पछुवा देहरादून में ढकरानी क्षेत्र में उत्तराखंड जल विद्युत निगम की जमीन पर अवैध कब्जे करने वाले मुस्लिम परिवारों को समर्थन देने का ऐलान आम इंसान पार्टी के आकिल अहमद ने किया है। आकिल अहमद वो ही मुस्लिम नेता है जिसने कांग्रेस मे शामिल होकर पछुवा देहरादून में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोले जाने की बात कह कर, पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड देवभूमि की राजनीति को गर्मा दिया थे। बाद में आकिल अहमद ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपनी आम इंसान पार्टी बना दी।
आकिल अहमद क्यों उत्तराखंड की देवभूमि में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बाते करता है उसके पीछे बड़ी वजह है जनसंख्या असंतुलन, देहरादून जिले के पश्चिम क्षेत्र जिसे पछुवा देहरादून कहते है यहां मुस्लिम आबादी पैंतीस फीसदी से ज्यादा हो गई है, इससे लगते हरिद्वार जिले में भी यहीं हालात है। यूपी से सहारनपुर,मुजफ्फरनगर,मेरठ आदि जिलों से आए मुस्लिम परिवार यहां सरकारी जमीनों पर कब्जे करके बस गए है,इन्हे कांग्रेस शासन काल में स्थानीय विधायको और ब्लाक प्रमुखों का संरक्षण मिला, कांग्रेस को ये बात मालूम थी कि मुस्लिम कभी भी बीजेपी को वोट नही देते इसलिए उन्हें यहां मुस्लिम आबादी की अवैध रूप से बसावट का सीधा फायदा मिलता दिखलाई दिया और आज हालात इतने ज्यादा खराब हो गए है कि ढकरानी शक्ति नहर आसन बैराज पर नौ सौ से ज्यादा परिवारों ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है और अब उन्हें उत्तराखंड जल विद्युत निगम के अभियंताओं ने जमीन खाली करने के नोटिस दिए तो वे इस मुद्दे को बीजेपी द्वारा मुस्लिम उत्पीड़न से इसे जोड़ने लगे, जबकि यहां दिए गए नौ सौ से ज्यादा नोटिस में से सात सौ बारह मुस्लिम परिवार है शेष हिंदू बिहारी है।
इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व विधायक नव प्रभात इन अवैध कब्जेदारो को अपना संरक्षण दे रहे है, आम इंसान पार्टी के आकिल अहमद भी यहां आकर सरकार विरोधी भाषण दे गए है।
आम आदमी पार्टी के आजाद अली द्वारा भी आंदोलन को समर्थन दिया गया और यहां भीम आर्मी पार्टी भी धरने पर बैठी हुई है।
उधर धामी सरकार ने इस अवैध कब्जेदारी को हटाने के लिए कमर कस ली है, माना जा रहा है कल यानि 19 मार्च से यहां पुलिस फोर्स को साथ लेकर प्रशासन अवैध कब्जे हटाने की कारवाई शुरू करेगा।
उधर अवैध कब्जे करने वालो के समर्थन में टूल किट्स मीडिया भी पछुवा देहरादून पहुंचने लगा है ठीक उसी तरह जैसे हल्द्वानी रेलवे जमीन पर अवैध कब्जो पर इनके द्वारा ये माहौल बनाया गया कि उत्तराखंड और केंद्र की बीजेपी सरकार मुस्लिमो का उत्पीड़न कर रही है।
जलविद्युत निगम के अभियंताओं और देहरादून प्रशासन ने यहां नोटिस देने के बाद दोबारा से सत्यापन की कारवाई जब शुरू की तो उनका यहां महिलाओं को आगे करके विरोध किया गया। यानि एक योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम समर्थक टूल किट्स अपना काम कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक मुस्लिम सेवा संगठन, जमीयत ए उलेमा संस्थाएं देहरादून की पलटन बाजार मस्जिद में बैठक करके ये फैसला ले चुकी है कि सरकार से लंबी लड़ाई लड़ी जाएगी।
बरहाल अब अवैध कब्जे को हटाने के लिए धामी सरकार कितना ठोस कदम उठाती है? इस बात का इंतजार सभी को है। हालंकि प्रशासन ने बुल्डोजर और लेबर यहां तैनात कर साफ संदेश दे दिया है कि अतिक्रमण तो हटाया ही जाएगा।
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