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चुनाव और ममता का हिंसाचार

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रास बिहारी ने पश्चिम बंगाल की खूनी राजनीति पर लिखी पुस्तक ‘पश्चिम बंगाल विधानसभा 2021, भय-आतंक का चुनाव’ में खुलासा किया है

पाञ्चजन्य ब्यूरो by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Mar 17, 2023, 04:10 pm IST
in पुस्तकें
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लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 42 में 18 सीटें जीतने के बाद राज्य में हिंसा तेज हो गई थी। तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने भाजपा समर्थकों को चुन-चुन कर मारा और दहशत फैलाने के लिए कई कार्यकर्ताओं को फांसी पर लटका दिया।

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रास बिहारी ने पश्चिम बंगाल की खूनी राजनीति पर लिखी पुस्तक ‘पश्चिम बंगाल विधानसभा 2021, भय-आतंक का चुनाव’ में खुलासा किया है कि विधानसभा चुनाव से पहले, मतदान की प्रक्रिया के दौरान और राज्य में 2 मई को हुई मतगणना के बाद तीसरी बार तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद 175 से ज्यादा लोग मारे गए थे। चुनावी हिंसा में मरने वालों का यह अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है। 2018 के पंचायत चुनाव से पहले जारी हिंसा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तेज हो गई थी। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 42 में 18 सीटें जीतने के बाद राज्य में हिंसा तेज हो गई थी। तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने भाजपा समर्थकों को चुन-चुन कर मारा और दहशत फैलाने के लिए कई कार्यकर्ताओं को फांसी पर लटका दिया।

नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी की पश्चिम बंगाल की खूनी राजनीति पर यह चौथी पुस्तक है। इससे पहले 2021 में बंगाल के रक्तरंजित राजनीतिक इतिहास पर रक्तांचल-बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति, रक्तरंजित बंगाल-लोकसभा चुनाव 2019 और बंगाल- वोटों का खूनी लूटतंत्र प्रकाशित हुई थी। नई पुस्तक का 3 मार्च 2023 को प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में यश पब्लिकेशन के स्टॉल पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी रहे श्री कैलाश विजयवर्गीय, एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष तथा आईटीवी के संपादकीय निदेशक श्री आलोक मेहता एवं पाञ्चजन्य के संपादक और प्रसिद्ध लेखक श्री हितेश शंकर ने लोकार्पण किया।

पुस्तक में बताया गया है कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव की घोषणा 26 फरवरी 2021 को हुई थी। चुनाव आयोग की तैयारियों के साथ ही राज्य में जगह-जगह हिंसा बढ़ने लगी थी। राजनीतिक हिंसा में जनवरी में 12 और फरवरी में आठ लोगों की हत्या हुई। चुनाव की घोषणा के बाद मतदान तक मार्च और अप्रैल के दौरान 50 से ज्यादा लोग राजनीतिक हिंसा में मारे गए। 2 मई को मतगणना के बाद एक महीने में ही लगभग 50 लोग मारे गए। जून से लेकर दिसंबर तक 53 लोग मारे गए। आंकड़ों को देखे थे 2021 में पूरे वर्ष में 175 से ज्यादा लोग मारे गए।

पुस्तक में खुलासा किया गया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के 2 मई 2021 को नतीजे आने के बाद राज्य हिंसा की आग में जल उठा था। जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों को फूंक दिया गया। भाजपा ने 2 मई से 21 मई तक राजनीतिक हिंसा में मारे गए 31 कार्यकर्ताओं की सूची जारी की थी। भाजपा ने नौ कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा किया था। तृणमूल के छह और संयुक्त मोर्चा के दो कार्यकर्ता मारे गए। 2 से 6 मई के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माना था कि हिंसा में 16 लोगों की मौत हुई। 22 मई तक हिंसा में 37 लोगों की मारे जाने का दावा किया गया था। 22 मई तक भाजपा के मारे गए कार्यकर्ताओं में 14 अनुसूचित जाति (एससी) से, एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) से एवं तीन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से थे। राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया की खबरों के अनुसार मई महीने लगभग 50 लोग मारे गए थे। राजनीतिक हिंसा में 2 मई को आठ, 3 मई को आठ, 4 मई को तीन, पांच मई को तीन, 6 मई को तीन, 7 मई को दो और 8 मई को दो लोग मारे गए थे।

पश्चिम बंगाल में मई में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी की तीसरी सरकार बनने के बाद जारी हिंसा पूरे साल जारी रही। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा हिंसा की जांच दौरान विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं पर हमले होते रहे। आपसी लड़ाई में तृणमूल कार्यकर्ता एक-दूसरे को बमों से उड़ाते रहे। भाजपा ने नवंबर तक चुनाव बाद राजनीतिक हिंसा में 54 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या का दावा किया था। जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार जून से लेकर दिसंबर 53 से ज्यादा लोग राजनीतिक हिंसा, बमबारी और गोलीबारी में मारे गए। जून में सात, जुलाई में नौ, अगस्त में नौ, सितंबर में सात, अक्तूबर में छह, नवंबर में 12 और दिसंबर में चार लोग मारे गए।

Topics: श्री कैलाश विजयवर्गीयएडिटर्स गिल्ड आफ इंडियाआतंक का चुनाव’पश्चिम बंगालShri Kailash Vijayvargiyaतृणमूल कांग्रेसEditors Guild of IndiaTrinamool Congress'Election of Terror'West Bengalममता बनर्जीMamata BanerjeeNational Union of Journalistsनेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया)
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