खुद को तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बनवाने वाले शी जिनपिंग ने जिम्मेदारी संभालते ही अगले पांच साल के लिए अपनी प्राथमिकताएं जगजाहिर कर दी हैं। उन्होंने कहा है कि उनका पूरा जोर चीन की सेना को आधुनिकतम और फौलादी बनाने पर रहने वाला है। वे सेना को चीन के परकोटे ‘ग्रेट वॉल आफ चाइना’ सरीखी अभेद्य बनाना चाहते हैं। इसे उन्होंने ‘ग्रेट वॉल आफ स्टील’ नाम दिया है।
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अधिवेशन में सोमवार को अपने भाषण में शी जिनपिंग ने उन्हें तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुनने के लिए प्रतिनिधियों को ‘धन्यवाद’ दिया। इस मौके पर उनकी सरकार की आगे की योजनाओं की झलक भी पेश की। इस संदर्भ में चीन की सेना पीएलए को और दमदार बनाने की घोषणा की।
तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने जिनपिंग इससे पहले भी अपने कमांडरों को संबोधित करते हुए सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दे चुके हैं। गत अक्तूबर में ही उन्होंने सैनिकों से ‘युद्ध के लिए तैयार’ रहने को कहा था। सेना के आधुनिकीकरण को लेकर भीतरखाने पीएलए में काफी कुछ चल रहा है। एक से एक हथियारों की खरीदी और तैनाती जारी है। यही वजह है कि कल अपने संबोधन में जिनपिंग ने अपनी सेना को ‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’ बनाने का इरादा सार्वजनिक रूप से घोषित किया।
जिनपिंग ने सेना के आधुनिकीकरण को चालू रखने की बात कही। इसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’ बनाने की बात कही। उन्होंने कहा, सेना देश की संप्रभुता, सुरक्षा तथा विकास हितों की रक्षा करने में सक्षम है। यहां बता दें कि चीन की ग्रेट वॉल 20,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी दीवार है जिसे वहां के विभिन्न शासकों ने आक्रमणों से बचने के लिए बनवाया था।
उल्लेखनीय है कि शी की पहल पर बीजिंग में अभी पिछले ही दिनों सऊदी अरब तथा ईरान के बीच सात साल बाद संबंध पटरी पर लौटे हैं। बेशक, इसके जरिए चीन ने संकेत दिया है कि विश्व मंच पर वह और बड़ी भूमिका निभाने की सोच रहा है। बीजिंग में संपन्न हुए उक्त करार को चीन अपनी एक बड़ी कूटनीतिक जीत के नाते प्रचारित कर रहा है। वह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि खाड़ी देशों में अभी तक रही अमेरिका की पूछ घटती जा रही है। जबकि चीन उस क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान में मनमाफिक संशोधन करने के बाद शी जिनपिंग ने यूं भी उम्र भर खुद को सत्ता के शीर्ष पर बिठाए रखने का मार्ग खोल लिया था। माओ के बाद 69 साल के शी ही दस साल से ज्यादा कुर्सी पर रहने वाले नेता बन गए हैं।
चीन की संसद के इस विशेष अधिवेशन के समापन सत्र में जिनपिंग ने आगे कहा, ‘मुझे बढ़ने की प्रेरणा देता है लोगों का विश्वास। इस विश्वास को बनाए रखना मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी भी है।’ उन्होंने सबसे वादा किया कि चीन के नागरिकों के भरोसे को बनाए रखेंगे। लेकिन साथ ही जिनपिंग ने सुरक्षा पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए कहा कि विकास का आधार सुरक्षा है और स्थायित्व से खुशहाली आती है।
जिनपिंग ने इसी मौके पर चीन की सेना के आधुनिकीकरण को चालू रखने की बात कही। इसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’ बनाने की बात कही। उन्होंने कहा, सेना देश की संप्रभुता, सुरक्षा तथा विकास हितों की रक्षा करने में सक्षम है। यहां बता दें कि चीन की ग्रेट वॉल 20,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी दीवार है जिसे वहां के विभिन्न शासकों ने आक्रमणों से बचने के लिए बनवाया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि जिनपिंग का सेना पर जोर दिया जाना दरअसल वर्तमान भूराजनीतिक परिस्थितियों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। अमेरिका से उसके संबंधों में खटास सबके सामने है। साथ ही वह पड़ोसी देशों और भारत को भी धमक में रखना चाहता है। लेकिन जिनपिंग को यह जान लेना चाहिए और शायद वह समझ भी गए होंगे कि अब भारत पहले वाला कमजोर भारत नहीं है। भारत की सेना आधुनिकीकरण की प्रक्रिया बहुत पहले शुरू कर चुकी है। और अब तो ज्यादातर हथियार देश में ही बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
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