नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया में पिछले दिनों कट्टरपंथी छात्रों ने होली के विरोध में अल्लाह हू और नारा-ए-तकबीर के भड़काऊ नारे लगाए। यह भी लिखा गया कि काफिरों के त्यौहार में हिस्सा लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि जामिया प्रशासन ने इस पर संज्ञान लिया है। लेकिन अब दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर (डीयू) में होली खेलने पर प्रतिबंध लगाया गया है। छात्र गीले रंग, पानी के गुब्बारे और पिचकारी से होली नहीं खेल सकते। अगर वे ऐसा करेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। होली खेलने पर रोक के बैनर भी नॉर्थ कैंपस में लग गए हैं। वहीं, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भी होली खेलने पर रोक लगी थी। छात्रों के विरोध के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने होली पर इस तरह की कार्रवाई का विरोध किया है। एबीवीपी, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश के अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों में होली को हुड़दंग जैसे नकारात्मक शब्दों के साथ जबरन परिसर में होली न मनाने संबंधी जारी किए गए दिशानिर्देशों को तत्काल वापस लेने की मांग की। ये दिशानिर्देश होली जैसे व्यापक तथा उमंग पूर्ण त्योहार को ग़लत परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने वाले हैं।
एबीवीपी की ओर से कहा गया कि होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली एक ऐसा त्योहार है जिसमें व्यक्ति के अंदर के अवगुण, बुराइयां होलिका में जलाकर एक अधिक अच्छा व्यक्ति बनने का भाव है। होली का सामाजिक महत्व भी है, यह एक ऐसा पर्व है जब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाते हैं,सभी तरह के मनभेद और मतभेद दूर हो जाते हैं। सभी व्यक्ति एक रंग में रंगकर बड़े हर्षोल्लास के साथ अपना ओहदा, पढ़ाई , सामाजिक स्थान, आर्थिक स्थिति सब भूलकर, खुलकर एक समता का अनुभव करना इस त्योहार की विशेषता है। ऐसे त्योहार को हुड़दंग कहना वास्तविकता से परे है।
एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि,” होली मनाने को लेकर डीयू आदि के प्रपत्र सर्वथा अनुचित और मानसिक दिवालियापन के सूचक हैं। इस प्रकार के गैर ज़रूरी दिशानिर्देश होली की उमंग तथा त्योहार से जुड़े महत्वपूर्ण संदेशों के प्रसार के स्थान पर इसे ग़लत परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करते हैं। सभी शैक्षणिक संस्थान इस तरह के दिशानिर्देशों को तत्काल वापस लें तथा अनावश्यक टिप्पणियां करने से बाज आएं। शैक्षणिक संस्थानों को सांस्कृतिक विषयों पर इस तरह की हिंदूफोबिक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए और पक्षपातपूर्ण रूख बदलना चाहिए।”
टिप्पणियाँ