उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक ने एक और फरमान जारी करके अपनी मूर्खता का परिचय दिया है। उसने राजधानी में कुत्ते का मांस बेचने के लिए एक रेस्टोरेंट खुलवाने की घोषणा की है। इस रेस्टोरेंट का नाम भी तय कर दिया गया है—’डेलिकेसी हाउस’। तानाशाह किम जोंग उन को लगता है कि उस सनकी के इस फरमान के बाद वहां के लोगों में ‘सेहत बढ़ाने’ वाले कुत्ते के मांस का चस्का लगेगा। यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि उस देश में न खेती किसानी ठीक से हो पा रही है, न आम लोगों के पास ठीकठाक रोजगार है। भुखमरी से जनता त्रस्त है।
अपनी सनक और सनकी फरमानों के लिए दुनियाभर में कुख्यात उत्तर कोरिया का तानाशाह किम का यह ताजा फरमान लोगों को हैरान कर रहा है। मिसाइलों को लेकर उन्माद की हद तक जा पहुंचे इस तानाशाह के आएदिन ऐसे फरमानों से देश की जनता भले कितनी भी त्रस्त हो लेकिन शिकायत नहीं कर सकती। कहते हैं, शिकायत करने वाला ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाता।
अपने देश में अनाज की भयंकर कमी को दूर करने की गरज से शायद किम ने यह आदेश जारी किया है। उसे लगता है इससे भोजन की कमी को वह ढक पाएगा। ऐसे में इस फरमान के प्रति लोगों में भितरखाने आक्रोश तो है पर उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते। राजधानी प्योंगयोंग में खुलने वाले कुत्ते के मांस के इस रेस्टोरेंट को ‘डेलिकेसी हाउस’ नाम दिए जाने की भी घोषणा हुई है।
बदमिजाज और बेहद गुस्सैल बताए जाने वाले तानाशाह किम ने यह घोषणा खेती पर हुए एक सम्मेलन के फौरन बाद की है। बताया है कि यह रेस्टोरेंट ‘साफ तथा स्वस्थ भोजन’ पहल के अंतर्गत एक नामी जगह बन जाएगा। तानाशाह खेती वाले सम्मेलन में शायद अपने देश में अकाल के दावों और डूबती खेती के आंकड़े देख ऐसा हिल गया कि उसने शायद कुत्तों पर अपना गुस्सा निकालना बेहतर समझा।
कहा जा रहा है कि उक्त रेस्टोरेंट एक सर्वसुविधा संपन्न होगा। इसके लिए राजधानी में स्थान भी तय कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सोशल मीडिया पर लोग इस कदम को लेकर अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं। ‘मिरर’ अखबार में खबर छपी है कि ‘डॉग मीट डेलीकेसी हाउस’ प्योंगयांग में एक बड़ी नदी के किनारे मौजूद ओक्रीगवान नूडल रेस्तरां के निकट बनाया जाएगा।
दक्षिण कोरिया के खाद्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद से, चीन में खेती में कमी और वहां से आयात कम होने की वजह से उत्तर कोरिया में करीब 10 लाख टन अनाज की कमी है। यह उसकी सालाना मांग से 20 फीसदी कम है। जैसा पहले बताया, इस कमी की वजह से ही शायद वहां गरीब जनता भूखे सोने को मजबूर हैं। तानाशाह को शायद लगता है कि लोग अनाज की कमी को भूलकर कुत्तों का मांस खाने की तरफ बढ़ेंगे।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जुलाई माह में चोंगजिन क्यॉन्गसोंग नामक स्थान पर हुई एक प्रतियोगिता के दौरान भी कुत्ते का मांस परोसा गया था। अब तानाशाह किम और उसके दरबारियों को लगता है, नए रेस्टोरेंट के जरिए वे जनता के पैसे का सही उपयोग कर पाएंगे। माना जा रहा है कि सनकी तानाशाह अन्य रेस्टोरेंट्स में भी कुत्ते का मांस परोसने की छूट दे सकते हैं या उसे अनिवार्य बना सकते हैं।
एनके न्यूज की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में सरकारी टेलीविजन पर बोलते हुए तानाशाह ने कुत्ते का मांस परोसने वाला एक रेस्टोरेंट बनाने को स्वीकृति दी थी। दरअसल उत्तर कोरिया जैसे दुनिया से अलग—थलग रहने वाले देश में कुत्ते के मांस को ‘राष्ट्रीय व्यंजन’ का दर्जा दिया गया है। इसे बढ़ावा देने के लिए यहां कई तरह के कार्यक्रम किए जाते रहे हैं। ऐसे कार्यक्रमों को उत्तरी कोरिया के सरकारी टेलीवीजन पर भी खूब दिखाया जाता है।
इस समाचार के बीच यह जानना दिलचस्प होगा कि दक्षिण कोरिया के खाद्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद से, चीन में खेती में कमी और वहां से आयात कम होने की वजह से उत्तर कोरिया में करीब 10 लाख टन अनाज की कमी है। यह उसकी सालाना मांग से 20 फीसदी कम है। जैसा पहले बताया, इस कमी की वजह से ही शायद वहां गरीब जनता भूखे सोने को मजबूर हैं। तानाशाह को शायद लगता है कि लोग अनाज की कमी को भूलकर कुत्तों का मांस खाने की तरफ बढ़ेंगे।
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