सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी के जरिये कराने का आदेश दिया है। जस्टिस के एम जोसफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान बेंच ने ये फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखी जानी चाहिए अन्यथा इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। जस्टिस केएम जोसेफ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि लोकतंत्र आम आदमी के हाथों शांतिपूर्ण क्रांति का वाहक है और इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र तभी प्राप्त किया जा सकता है जब शासकीय व्यवस्था ईमानदारी से मौलिक अधिकारों का पूर्ण रूप पालन कराने का प्रयास करे। लोकतंत्र पर तब खतरा पैदा होगा जब कानून का शासन केवल जुबानी तरीके से हो।
कोर्ट ने 24 नवंबर, 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने इस मामले पर चार दिन सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल कोर्ट में पेश की थी। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नियुक्ति में सरकार की ओर से दिखाई गई रही तेजी पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि एक ही दिन फाइल को क्लीयरेंस मिलने से लेकर नियुक्ति तक कैसे हो गई। पद तो 15 मई, 2022 से खाली था।
सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि आमतौर पर वीआरएस लेने वाला कर्मचारी तीन महीने का नोटिस देता है। तब प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें संदेह है कि अरुण गोयल ने वीआरएस के लिए नोटिस दिया था कि नहीं। इसलिए गोयल की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज कोर्ट को मंगाने चाहिए। इस पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि कोर्ट बड़े मसले पर विचार कर रही है। अटार्नी जनरल ने कहा था कि प्रशांत भूषण जैसा बता रहे हैं वैसा नहीं है। इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि कोर्ट ने 17 नवंबर 2022 को सुनवाई की। उस समय भूषण ने अंतरिम अर्जी पर विचार करने को कहा था। उसके बाद 22 नवंबर 2022 को सुनवाई हुई। इसलिए अरुण गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइल कोर्ट में दाखिल कीजिए। उन्होंने अटार्नी जनरल से कहा था कि जैसा कि आप अपने आप को सही कह रहे हैं तो फाइल दाखिल करने में कोई हीला-हवाली नहीं करनी चाहिए।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए 23 अक्टूबर, 2018 को कॉलेजियम की तरह एक कमेटी गठित करने की मांग करने वाली याचिका को सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान बेंच को रेफर कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग को मजबूत बनाने और उसकी विश्वसनीयता बचाये रखने के लिए निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कमेटी गठित की जाए।
याचिका अनूप बरनवाल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जो कमेटी बनाई जाए उसमें विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस भी शामिल हों। इनकी नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष सेलेक्शन कमेटी का गठन करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए।
टिप्पणियाँ