अमेरिका के एक वरिष्ठ सीनेटर अगर सार्वजनिक मंच से भारत की प्रशंसा करते हैं तो उसके बहुत गहरे मायने समझे जाने चाहिए। इन दिनों अमेरिका और चीन के बीच तनाव चरम पर है। रूस—यूक्रेन युद्ध और ताइवान इस तनाव के दो बड़े कारण साफ दिखते हैं। ऐसे में वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटर चक शूमर का भारत को अमेरिका के सहज—स्वाभाविक साझेदार देश के तौर पर बताना भारत के दृष्टि से भी बहुत बड़ी कूटनीतिक सफलता समझा जाना चाहिए।
चक शूमर हाल ही में अमेरिकी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर भारत आए थे। यहां उन्होंने जो देखा, समझा उसके अनुसार ही उन्होंने वाशिंगटन में संसद के सदन में यह वक्तव्य दिया है। शूमर ने साफ कहा कि भविष्य की तकनीक की दृष्टि से भी अमेरिका को भारत के साथ सहयोग करना होगा। दोनों देश मिलकर आने वाले वक्त की तकनीक के कायदे तथा शर्तें तय कर सकते हैं।
अमेरिकी सांसद कहते हैं, दुनिया के अनेक लोकतांत्रिक देश चीन से एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, अक्षय ऊर्जा, अधुनातन सेमीकंडक्टर उत्पादन आदि कितने ही क्षेत्रों में टक्कर ले रहे हैं। भारत और अमेरिका के साथ ही विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों का प्रयास होना चाहिए कि तकनीक के क्षेत्र में ये बढ़त सम्पन्नता लेकर आए, बेलगाम सत्ता के हथियार नहीं।
वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटर भारत को चीन के विरुद्ध अमेरिका के लिए उपयुक्त साझेदार बताते हुए भारत की काबिलियत भी गिनाते हैं। उनका यह भी कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिनायकवादी रवैए के विरुद्ध विश्व के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता को रेखांकित कर चुके हैं। चक शूमर की अगुआई वाला प्रतिनिधिमंडल भारत सहित, पाकिस्तान, जर्मनी और इस्राइल भी गया था। सीनेटर शूमर के अलावा इस प्रतिनिधिमंडल में सीनेटर रॉन वाइडन, जैक रीड, मारिया कैंटवेल, एमी क्लोबुचर, मार्क वार्नर, गैरी पीटर्स, कैथरीन कोर्टेज़-मास्टो तथा पीटर वेल्च भी थे।
भारत में आकर, चक शूमर के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भी यह महत्वपूर्ण संदेश दिया था कि भारत और अमेरिका चीन के विरुद्ध एकजुट होकर काम कर सकते हैं। शूमर कहते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं है, यह सबसे युवा देश भी है जिसका भविष्य में तेजी से विकास होना तय है। अगर हम दो लोकतांत्रिक देशों को इस सदी में मिलकर फलना—फूलना है तो साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। इसमें रक्षा सहयोग को और बढ़ाने के साथ ही आर्थिक संबंधों तथा व्यापार में भी सहयोग को गति देनी होगी।
अमेरिकी सांसद कहते हैं, दुनिया के अनेक लोकतांत्रिक देश चीन से एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, अक्षय ऊर्जा, अधुनातन सेमीकंडक्टर उत्पादन आदि कितने ही क्षेत्रों में टक्कर ले रहे हैं। भारत और अमेरिका के साथ ही विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों का प्रयास होना चाहिए कि तकनीक के क्षेत्र में ये बढ़त सम्पन्नता लेकर आए, बेलगाम सत्ता के हथियार नहीं। शूमर का कहना है कि चीन अपने नागरिकों की जासूसी कराने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर रहा है। लेकिन भारत की तो किसी से तुलना भी नहीं हो सकती।
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