स्वामी विवेकानंद और नारी जागरण का शंखनाद
May 21, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

स्वामी विवेकानंद और नारी जागरण का शंखनाद

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष- स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत की स्त्रियों को ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे वह निर्भय होकर भारत के प्रति अपने कर्तव्यों को भली भांति निभा सकें

by WEB DESK
Feb 22, 2023, 04:43 pm IST
in भारत
स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत का जिक्र होते ही मानस पटल पर जो आभा उभरती है वह शक्ति की है। स्त्रियों की स्वतंत्र अस्मिता, उनके विचार स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने उस समय नारी जागरण का शंखनाद किया था, जब भारत पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। स्वामी विवेकानंद कहते हैं, ‘वैदिक धर्म में स्त्री-पुरुष का कोई भेद नहीं किया गया है। क्या तुम्हें स्मरण है कि विदेहराज जनक की राजसभा में किस प्रकार धर्म के गूढ़ तत्वों पर महर्षि याज्ञवल्क्य से वाद-विवाद हुआ था? इस वाद-विवाद में ब्रह्मवादिनी गार्गी ने मुख्य रूप से भाग लिया था। उन्होंने कहा था, ‘मेरे दो प्रश्न मानो कुशल धनुर्धारी के हाथ में दो तीक्ष्ण वाण हैं।’ वहां पर उनके स्त्री होने के संबंध में कोई प्रसंग तक नहीं उठाया गया है। आपको विदित ही होगा कि प्राचीन गुरुकुलों में बालक और बालिकाएं समान रूप से शिक्षा ग्रहण करते थे। इससे अधिक साम्यता और क्या हो सकती?’

स्वामी विवेकानन्द कहते हैं, ‘मेरा तो दृढ़ विश्वास है कि जिस जाति ने सीता को उत्पन्न किया, चाहे वह उसकी कल्पना ही क्यों न हो, उस जाति में स्त्री जाति के लिए इतना अधिक सम्मान और श्रद्धा है जिसकी तुलना संसार में हो ही नहीं सकती।…जहां तक गृहस्थ धर्म का संबंध है, मैं बिना संकोच के कह सकता हूं कि भारतीय प्रणाली में अन्य देशों की अपेक्षा अनेक सद्गुण विद्यमान हैं।’ स्वामी जी गृहस्थों को हीन नहीं मानते थे। उनका विचार था कि गृहस्थ भी ऊंचा और संन्यासी भी नीचा हो सकता है- ‘संन्यासी और गृहस्थ में कोई भेद नहीं करता। संन्यासी हो या गृहस्थ- जिसमें भी मुझे महत्ता, हृदय की विशालता और चरित्र की पवित्रता के दर्शन होते हैं, मेरा मस्तक उसी के सामने झुक जाता है।’

स्वामी विवेकानन्द की उद्घोषणा है ‘भारत! तुम मत भूलना कि तुम्हारी स्त्रियों का आदर्श सीता, सावित्री, दमयंती हैं, मत भूलना कि तुम्हारे उपास्य हैं सर्वत्यागी उमानाथ शंकर। मत भूलना कि तुम्हारा विवाह, तुम्हारा धन और तुम्हारा जीवन इंद्रिय सुख के लिए अपने व्यक्तिगत सुख के लिए नहीं है। मत भूलना कि तुम जन्म से ही माता के लिए बलि स्वरूप रखे गये हो। मत भूलना कि तुम्हारा समाज उस विराट महामाया की छाया मात्र है।’

स्वामी विवेकानंद में नारियों के प्रति असीम उदारता का भाव था। वे कहते थे कि ‘ईसा अपूर्ण थे, क्योंकि जिन बातों में उनका विश्वास था, उन्हें वे अपने जीवन में नहीं उतार सके। उनकी अपूर्णता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि उन्होंने नारियों को नरों के समकक्ष नहीं माना। असल में, उन्हें यहूदी संस्कार जकड़े हुए था, इसलिए वे किसी भी नारी को अपनी शिष्या नहीं बना सके। इस मामले में बुद्ध उनसे श्रेष्ठ थे, क्योंकि उन्होंने नारियों को भी भिक्षुणी होने का अधिकार दिया था।’

स्वामी जी से किसी पत्रकार ने पूछा ‘स्वामी जी, तो क्या भारतीय स्त्री जीवन के संबंध में हम इतने संतुष्ट हैं कि हमारे समक्ष उसकी कोई भी समस्या नहीं है?’

स्वामी जी, ‘नहीं, बहुत सी समस्याएं हैं…और ये समस्याएं बड़ी गंभीर हैं, परंतु इनमें से कोई भी ऐसी नहीं हैं जो शिक्षा रूपी मंत्र बल से हल न हो सके। पर हां, शिक्षा की सच्ची कल्पना इसमें से कदाचित ही किसी को हो।’

प्रश्न -‘तो शिक्षा की आप क्या परिभाषा देते हैं?’

स्वामी जी ने स्मित हास्य से कहा, ‘….शिक्षा वह है जिससे मनुष्य की मानसिक शक्तियों का विकास हो। वह केवल शब्दों का रटना मात्र नहीं है। वह व्यक्ति की मानसिक शक्तियों का ऐसा विकास है, जिससे वह स्वमेव स्वतंत्रतापूर्वक विचार कर ठीक- ठाक निश्चय कर सके। हम चाहते हैं कि भारत की स्त्रियों को ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे वह निर्भय होकर भारत के प्रति अपने कर्तव्यों को भली भांति निभा सकें और संघमित्रा, लीला, अहिल्याबाई तथा मीराबाई आदि भारत की महान देवियों द्वारा चलायी गई परम्परा को आगे बढ़ा सकें एवं वीर-प्रसूता बन सकें। भारत की स्त्रियां पवित्र और त्यागमूर्ति हैं क्योंकि उनके पास वह बल और शक्ति है, जो सर्वशक्तिमान परमात्मा के चरणों में सर्वार्पण करने से प्राप्त होती।’ स्त्री शिक्षा पर बल देते हुए स्वामी जी कहते हैं, ‘हमें नारियों को ऐसी स्थिति में पहुंचा देना चाहिए जहां वे अपनी समस्या को अपने ढंग से स्वयं सुलझा सकें। उनके लिए यह काम न कोई कर सकता है और न किसी को करना ही चाहिए। और हमारी भारतीय नारियां संसार की अन्य किन्हीं भी नारियों की भांति इसे करने की क्षमता रखती हैं।’

स्वामी विवेकानंद का दृढ़ विश्वास था, ‘स्त्री जाति के प्रश्न को हल करने के लिए आगे बढ़ने वाले तुम हो कौन? क्या तुम हर एक विधवा और हर एक स्त्री के भाग्यविधाता भगवान हो? दूर रहो! अपनी समस्याओं का समाधान वे स्वयं कर लेंगी। विवेकानंद उद्घोष करते हैं, ‘नारियां महाकाली की साकार प्रतिमाएं हैं। यदि तुमने उन्हें ऊपर नहीं उठाया तो यह मत सोचो कि तुम्हारी अपनी उन्नति का कोई अन्य मार्ग है। संसार की सभी जातियां नारियों का सचमुच सम्मान करके ही महान हुई हैं। जो जाति नारियों का सम्मान करना नहीं जानती, वह न तो अतीत में उन्नति कर सकी, न आगे उन्नति कर सकेगी।’

एक पत्रकार ने स्वामी जी से प्रश्न किया कि आपका इस देश की स्त्रियों के लिए क्या संदेश है। उन्होंने उत्तर दिया, ‘वही जो पुरुषों के लिए है। भारत और भारतीय धर्म के प्रति विश्वास और श्रद्धा रखो। तेजस्विनी बनो, हृदय में उत्साह भरो, भारत में जन्म लेने के कारण लज्जित न होओ, वरन् उसमें गौरव अनुभव करो और स्मरण रखो कि यद्यपि हमें दूसरे देशों से कुछ लेना अवश्य है, पर हमारे पास दुनिया को देने के लिए दूसरों की अपेक्षा सहस्र गुना अधिक है।’

स्वामी जी के अनुसार, ‘समझता हूं प्रत्येक राष्ट्र का यह प्रधान कर्तव्य है कि वह मातृशक्ति के प्रति सम्मान के भाव का सम्पोषण करे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वैवाहिक बंधन की धार्मिक पवित्रता में दृढ़ विश्वास होना अत्यावश्यक है। इसी साधन से देश पूर्ण पवित्रता के आदर्श को प्राप्त कर सकता है। यह एक शाश्वत सत्य है कि जिन गृहों में पवित्र जीवन पाया जाता है वहां स्वयं भगवती लक्ष्मी के रूप में निवास करती है। इतना ही नहीं, सच्चा शक्ति उपासक वह पुरुष है जो सर्वशक्तिमान परमात्मा की शक्ति का सर्वत्र अनुभव करता है और प्रत्येक स्त्री में उस शक्ति का प्रकाश देखता है।’

प्रबुद्ध भारत (दिसम्बर 1898) के प्रतिनिधि को उत्तर देते हुए वे कहते हैं, ‘नारियों की तुलना में अपने देश की नारियों की अवस्था भिन्न देखकर हम एकदम यह न मान बैठें कि हमारे यहां की स्त्रियों की दशा हीन है। विगत कई सदियों से भारत में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण होता रहा है जिससे हम स्त्रियों का विशेष संरक्षण करने को बाध्य हुए हैं। यही तथ्य हमारे प्रचलित सामाजिक रीति रिवाजों के मूल में है, न कि स्त्री जाति की हीनता का सिद्धांत। …भारत में स्त्री जीवन के आदर्श का आरंभ और अंत मातृत्व में ही होता है। पाश्चात्य देशों में गृह की स्वामिनी और शासिका पत्नी है, भारतीय गृहों में घर की स्वामिनी और शासिका माता है। हमारे यहां परमात्मा को भी जगन्माता, जगज्जननी आदि नामों से संबोधित किया गया है। विश्व में जननी नाम से अधिक पवित्र और निर्मल दूसरा कौन-सा नाम है, जिसके पास कभी वासना और पाशविक तृष्णाएं फटक भी नहीं सकतीं। यही मातृत्व भारतीय नारीत्व का आदर्श है। माता की महानता इसलिए है कि गर्भ में स्थित बालक पर माता का जो प्रभाव पड़ता है वही बालक को शुभ या अशुभ प्रवृत्ति वाला बनाता है।’

स्वामी विवेकानंद का दृढ़ विश्वास था कि आध्यात्मिकता की जननी इस भारत भूमि का भविष्य परम उज्ज्वल है।

(इनपुट- पाञ्चजन्य आर्काइव)

Topics: स्वामी विवेकानंदमहिलाओं पर स्वामी विवेकानंद के विचारअंतरराष्ट्रीय महिला दिवसWomen's Day
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

स्वामी विवेकानंद

इंदौर में स्वामी विवेकानंद की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी स्थापित, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया भूमिपूजन

भगवान और माता सीता

भारत की राष्ट्रीय देवी हैं सीता माता: स्वामी विवेकानंद

माधव नेत्रालय के शिलान्यास समारोह में  सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और श्री नरेंद्र मोदी के साथ (बाएं से) श्री देवेंद्र फडणवीस, स्वामी अवधेशानंद जी महाराज, स्वामी गोविंददेव गिरि जी , श्री नितिन गडकरी  व अन्य

‘स्वयंसेवक के लिए सेवा ही जीवन’

‘युद्ध नहीं, शांति के उपासक हैं हम’

Mukhyamantri mahila samman yojna launched in Delhi

दिल्ली की महिलाओं के लिए खुशखबरी: हर महीने 2500 रुपये सीधे खाते में, शुरू हुई महिला सम्मान योजना!

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संदेश- “स्त्री शक्ति की उपलब्धियों का करें सम्मान”

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

इन दो महिला शिक्षकों पर कलावा पहनने पर छात्रों की पिटाई करने का आरोप है

जनेऊ-कलावा पहनने पर 30 छात्रों की ईसाई शिक्षिकाओं ने की पिटाई

महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर

मानवता की रक्षा के लिए अपनाएं अहिल्यादेवी का आदर्श

बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार

Wang से मिलकर भी खाली हाथ रहे पाकिस्तानी विदेश मंत्री Dar, चीनी विदेश मंत्री ने दोहराया ‘आपस में बातचीत’ का फार्मूला

उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्रह्मोस मिसाइल का प्रतीक भेंट किया गया

‘ब्रह्मास्त्र’ है ब्रह्मोस

Operation sindoor

धर्म सेतु की पुनर्स्थापना: ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय चेतना का नया अध्याय

ऑपरेशन मीर जाफर

ऑपरेशन मीर जाफर: देश के भीतर छिपे गद्दारों पर बड़ा प्रहार

Jyoti Malhotra

ज्योति मल्होत्रा ने सब किया कबूल! कब, कहां, किससे मिली?

एशियाई शेर (फोटो क्रेडिट - गिर नेशनल पार्क)

गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या 891 हुई, आबादी के साथ क्षेत्र भी बढ़ा

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी: 26 नक्सली ढेर, एक जवान बलिदान

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी पाकिस्तान की पिटाई और तबाही का सच उजागर होने के बाद भी, जिन्ना के देश का बेशर्म दुष्प्रचार तंत्र मुनीर को हीरो दिखाने में जुटा है

भारत से पिटा पाकिस्तान का फौजी कमांडर मुनीर जनरल से बन बैठा फील्ड मार्शल, क्या तख्तापलट होने जा रहा जिन्ना के देश में

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies