गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत भागलपुर (बिहार) में थे। उन्होंने भागलपुर के कुप्पाघाट स्थित महर्षि में हीं आश्रम में सद्गुरु निवास का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दुनिया के अधूरे जीवन में पूर्णता लाने का विचार भारत के पास है।
सुख की प्राप्ति के लिए 2000 साल तक अलग-अलग प्रयोग हुए, फिर भी दुनिया दु:खी है। अंतत: दुनिया अब यह समझने लगी है कि भारतीय मनीषियों ने जिस परम सुख की बात कही, वही सत्य है। उन्होंने कहा कि दुनिया में दो प्रकार के विचार हैं-मानवतावादी और अहंतावादी।
जो व्यक्ति एकांत में साधना और लोकांत में परोपकार करता है, उसी का जीवन सफल है। इस अवसर पर पटना जंक्शन स्थित हनुमान मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने भी अपने विचार रखे।
मानवतावादी विचार मानता है कि जैसे सब प्राणी हैं, वैसे मैं भी हूं, वहीं अहंतावादी विचार अपने अस्तित्व को सर्वोपरि मानता है। हमारे मनीषियों ने बताया कि सुख हमारे अंदर है। आत्मज्ञान से कभी न समाप्त होने वाला सुख मिलता है, लेकिन सिर्फ इससे जीवन नहीं चलता। इसलिए लौकिक जीवन में हमें कर्म करना पड़ता है।
इसे साधने का नाम ही जीवन है। इसलिए जो व्यक्ति एकांत में साधना और लोकांत में परोपकार करता है, उसी का जीवन सफल है। इस अवसर पर पटना जंक्शन स्थित हनुमान मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने भी अपने विचार रखे।
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