भूमध्यसागर के तट पर करीब सवा पांच लाख की आबादी वाला ‘सेंट जॉन के दूतों’ की धरती रहे माल्टा देश से ‘परोपकार की झंडाबरदार ईसाइयत’ की एक अपरोपकार की खबर आई है। ईसाइयत के सर्वोच्च नेता पोप के अनुयायियों के इस देश के एक युगल ने भारत के तीन बच्चे गोद लिए थे। लेकिन अब समाचारों के अनुसार, उन्हें घर से बेघर कर दिया है। इस संबंध में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी यानी केंद्रीय दत्तक संसाधन संस्था (कारा) को कल चिट्ठी लिखकर जल्द से जल्द पूरा ब्योरा देने को कहा है।
हुआ यूं कि एनसीपीसीआर को पुणे के बाल बधिकार संगठन ‘सखी’ की निदेशिका ने एक शिकायत भेजी थी। उसमें ऐसा बताया गया था कि माल्टा में एक परिवार ने तीन भारतीय बच्चों को गोद लिया था। लेकिन अब उन्हें गोद लेने वालों ने छोड़ दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि यह शिकायत आयोग को उसके ई-बाल निदान पोर्टल के जरिए प्राप्त हुई थी। गोद लिए गए बच्चे भाई—बहन हैं और अब बेचारों पर भारी मुसीबत आन पड़ी है। इन बच्चों को भारत से गोद लेकर माल्टा ले जाया गया था। पर अब उन्हें गोद लेने वाले उनके माल्टा के ‘माता-पिता’ ने खुद से दूर कर दिया है। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में जानकारी देने के साथ ही यह भी मांग की है कि उन बच्चों को वापस भारत लाया जाए, उनकी उचित देखरेख की जाए, उन्हें शिक्षा दी जाए।
एनसीपीसीआर ने जो चिट्ठी केंद्रीय दत्तक संसाधन संस्था के निदेशक को लिखी है, उसमें मांग की गई है कि 24 घंटे के अंदर ही उन तीनों बच्चों से जुड़ी हर तरह की जानकारी और ‘गोद’ दिए जाने से जुड़े सभी दस्तावेज आयोग को उपलब्ध कराए जाएं। हालांकि कुछ समाचार पत्रों की रिपोर्ट बताती हैं कि वे बच्चे फिलहाल वहां की सरकार के संरक्षण में हैं।
सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि अगर बच्चे ‘बाकायदा’ पूरी प्रक्रिया के तहत गोद लिए गए थे तो फिर उन्हें घर से बेघर क्यों किया गया! बताया गया है, कि उन्हें गोद लेने वाले ‘अभिभावकों’ ने खुद कहा है कि वे अब उन बच्चों की देखभाल नहीं करना चाहते हैं।
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