उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो फॉरेस्ट डिविजन में बनाई जाने वाली टाइगर सफारी योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी टाइगर रिजर्व में सभी निर्माण कार्य पर भी रोक लगाई है।
उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार की मदद से टाइगर पर्यटन को प्रमोट करने के लिए कोटद्वार से बीस किमी. आगे पाखरो फॉरेस्ट डिविजन में टाइगर सफारी शुरू करने का ताना बाना बुना और इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए, काम भी पिछली त्रिवेंद्र सरकार ने शुरू करवाया। इस योजना पर तत्कालीन फॉरेस्ट मिनिस्टर हरक सिंह रावत,राज्य सभा सदस्य अनिल बलूनी भी जुटे।
बतादें, सरकारी आपाधापी में इस योजना में एक चूक यह हो गई कि इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से कोई इजाजत नहीं ली गई। दरअसल, किसी भी टाइगर रिजर्व में जू जैसी सफारी की इजाजत अभी तक नहीं दी गई है, एनटीसीए, एनजीटी का मानना है, कि इससे टाइगर रिजर्व का स्वरूप बिगड़ जाएगा, बाघों के विचरने का स्थान कम हो जाएगा।
टाइगर सफारी में एक बाउंड्री बाड़ा बनाकर उसमें बूढ़े बाघों को रखे जाने और उन्हें पर्यटकों को दिखाने की योजना थी। इस योजना में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो कोर जोन में छ: हजार पेड़ बिना एनटीसीए की अनुमति के काटे गए। पुलिया, सड़क और भवन निर्माण हुआ, जिसमें भ्रष्टाचार भी हुआ।
इस मामले में तत्कालीन डीएफओ किशन चंद समेत कई वन अधिकारी जेल में हैं। वहीं जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आया, तो जहां कोर्ट ने एनजीटी और एनटीसीए को सभी टाइगर रिजर्व में नए निर्माण और टाइगर सफारी जैसे विषयों पर रोक लगाने को कहा है। वहीं इस बारे में जवाब भी दाखिल करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवाई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने इस मामले में दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए, ये रोक लगाई है। पीठ ने कहा कि अगले आदेशों तक सरकार द्वारा घोषित टाइगर रिजर्व पार्कों में कोई भी निर्माण नहीं होगा। पीठ ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट को भी एनटीसीए को अवगत कराने का आदेश दिया है।
इस आदेश में टाइगर रिजर्व में किसी भी प्रकार के चिड़ियाघर, सफारी बनाने के आदेश वापिस लेने को कहा गया है। जिससे पर्यटन गतिविधियों से वन्य जीवों को दूर रखा जा सके। कोर्ट ने कहा कि ऐसी योजनाओं की आवश्यकता क्या है ? इस बात की भी समीक्षा की जानी चाहिए।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी का नया प्रोजेक्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। बाघ पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञ इमरान खान कहते है, कि बेहतर यही होता कि टाइगर सफारी के लिए टाइगर रिजर्व से जुड़े फॉरेस्ट डिविजन को चयनित किया जाता तो ऐसी परेशानियां नहीं आती।
बाघ विशेषज्ञ जेड ए. अंसारी ने बताया कि टाइगर सफारी पाखरो में बनाए जाने में हमें इसलिए भी आपत्ति थी, कि कॉर्बेट पार्क बरसात में बंद रहने से केवल छह, सात महीने के लिए खुलता है, और यदि सरकार टाइगर सफारी, रिजर्व, बफर जोन से बाहर बनाती तो सालभर टाइगर टूरिज्म मिलता।
बरहाल, अब उत्तराखंड सरकार को बाघ सफारी के लिए नया स्थान चुनने के लिए विकल्प खोजना चाहिए , और उसके लिए वेस्टर्न फॉरेस्ट सर्कल अथवा प्रस्तावित हल्द्वानी जू का एरिया सबसे उपयुक्त स्थान है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हल्द्वानी दौरे के दौरान हल्द्वानी जू के लिए बजट जारी करने की बात कही है। जानकारी के मुताबिक उनकी भी इच्छा है, कि इस लंबित प्रोजेक्ट को टाइगर पर्यटन से जोड़ा जाए।
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