सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद की कोर्ट से जारी समन को चुनौती देने वाली पत्रकार राणा अयूब की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस कृष्ण मुरारी और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने ये फैसला सुनाया।
कोर्ट ने राणा अयूब को गाजियाबाद कोर्ट जाकर साक्ष्यों के आधार पर अपना पक्ष रखने को कहा। 31 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान राणा अयूब की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने गाजियाबाद की कोर्ट से जारी समन को चुनौती देते हुए कहा था कि मामला गाजियाबाद कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। उन्होंने कहा था कि राणा अयूब का निवास स्थान मुंबई का है और उन्होंने जिस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से चंदा जुटाया, वो भी मुंबई का है, जिस खाते में पैसे मंगाए गए वो भी मुंबई का है। ऐसे में गाजियाबाद कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं बनता है।
पत्रकार राणा अयूब ने चैरिटी के नाम पर एकत्र किया धन, ED का दावा; 50 लाख रुपए अपने अकाउंट में डाले
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राणा अयूब की दलीलों का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि यह समन लोगों से चंदे में लिए करोड़ों रुपयों के गबन के लिए जारी हुआ है। मनी लॉन्ड्रिंग दूसरे अनूसूचित अपराध से जुड़ा हुआ है। अगर कोई व्यक्ति सिंगापुर में मनी लॉन्ड्रिंग करता है तो क्या ईडी सिंगापुर में केस दाखिल करेगी। गाजियाबाद के कुछ लोगों ने राणा अयूब के अभियान के लिए चंदा दिया इसलिए गाजियाबाद कोर्ट के पास क्षेत्राधिकार है।
दरअसल गाजियाबाद कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन जारी कर 27 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया था। राणा अयूब ने गाजियाबाद कोर्ट के इस समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अयूब पर ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म, ‘केटो’ के जरिए अभियान चलाकर चैरिटी के नाम पर आम जनता से 2.69 करोड़ रुपये की रकम जुटाने और इसके निजी इस्तेमाल का आरोप है।
इस मामले में ईडी ने 2021 में यूपी पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की थी। ईडी की जांच के मुताबिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाई गई धनराशि राणा अयूब के पिता और बहन के खाते में ट्रांसफर की गई थी। अयूब ने अपने लिए 50 लाख रुपये की एफडी भी बनवाई थी। जबकि चैरिटी के लिए लगभग 29 लाख रुपये का इस्तेमाल किया था।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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