अमृतकाल का पहला बजट  : विकसित भारत की नींव
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होम भारत

अमृतकाल का पहला बजट  : विकसित भारत की नींव

इस बार के बजट की विशेषताओं की चर्चा बहुत कुछ आंखों पर पट्टी बांधकर हाथी को देखने जैसी रही। किसी को यह चुनावी बजट नजर आया, तो किसी को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को दी गई बढ़त दिखाई दी। कृषि का पहलू तो अपने स्थान पर है ही। क्या कोई ऐसी भी बात थी, जो वास्तव में इन सारी बातों का आपस में पिरोए हुए थी? पाञ्चजन्य ने इस विषय पर बजट के उपरांत वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से हर संभव पहलू से बात की। स्वयं वित्त मंत्री की दृष्टि में वह सूत्र क्या था...देखिए इस विशेष प्रस्तुति में...

पाञ्चजन्य वेब डेस्क by पाञ्चजन्य वेब डेस्क
Feb 6, 2023, 01:33 pm IST
in भारत, साक्षात्कार, आजादी का अमृत महोत्सव
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण

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आपकी दृष्टि में बजट का मर्म क्या है? आपने कहा कि यह बजट अगले 25 वर्ष के लिए भारत की अर्थ नीतियों का एक ब्लूप्रिंट है। क्या आप इसे कुछ विस्तार से बताएंगी?
बहुत सारे कारक हैं, जो भारत के अमृत काल के लिए अनुकूल और सकारात्मक हैं, जिनमें जनसांख्यिकी, बुनियादी ढांचे का निर्माण और आपूर्ति शृंखलाओं का वैश्विक पुनर्गठन शामिल है। इस बजट में इस प्रकार की सम्मोहक दृष्टि और रणनीति प्रस्तुत की गई है, जो इस विश्वास को और मजबूत करती है। जैसे- पूंजीगत व्यय में भारी उछाल और मध्यम वर्ग पर कर के बोझ में कमी के माध्यम से हम निकट-अवधि के विकास के लिए मजबूत आवेग प्रदान कर रहे हैं। बजट का संबंध उन तकनीकी रुझानों से भी है, जिन्हें भारत को अपने विकास के अगले चरण की योजना बनाते समय अपनाना होगा। इसी प्रकार, हमने सरकारी खर्च में उचित सुधार किया है। सरकार निवेश को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े कदम उठा रही है, जिससे आने वाले वर्षों में विकास को गति मिलेगी।

 2014 के बाद से अब तक के सारे बजट में से आपके द्वारा प्रस्तुत बजट में विशेष तौर से यह देखने में आया है कि कोई भी बजट किसी चुनाव या अन्य राजनीतिक स्थिति से खास तौर पर प्रेरित नहीं होता, बल्कि विकास की निरंतरता को बनाए रखने की दिशा में होता है। आने वाले वर्ष में लोकसभा चुनाव हैं। स्वाभाविक है कि इस बजट का असर चुनाव पर पड़ेगा। ऐसे में इस बार मुख्य चुनौती क्या रही?
हमारी सरकार ने हमेशा अंत्योदय को ध्यान में रखते हुए गरीबों के उत्थान के साथ ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर विश्वास किया है और काम किया है। हमने हर बजट को नए अवसर पैदा करने, सभी के लिए बेहतर विकास के साधन के रूप में देखा है और इसलिए सभी नीतियां और आवंटन देश के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। यह बजट ऐसे समय में आया है, जब वैश्विक अनिश्चितता व्याप्त है। यूक्रेन में युद्ध, वैश्विक आर्थिक मंदी है। कई विदेशी केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाने में लगे हुए हैं। सरकार की नीतियां और यहां तक कि यह बजट भारत को वैश्विक अनिश्चितताओं से पूरी तरह सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। हमारी नीतियां इन चुनौतियों से निबटने में सफल रही हैं इसलिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत दुनिया का एक ‘उज्ज्वल सितारा’ है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण, आज प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास दर सबसे अधिक है।

आपकी सरकार ‘न्यू रिजीम’ व्यवस्था को प्रोत्साहित कर रही है, जबकि माना जाता है कि इसके बढ़ने से लोग लंबी अवधि के निवेश की तरफ उतने ज्यादा प्रोत्साहित नहीं होंगे। इससे मध्यमवर्गीय लोगों के पास भविष्य के लिए जमा राशि कुछ नहीं होगी। इस पर आप क्या कहेंगी?
नई कर व्यवस्था के तहत नए स्लैब और दरों की घोषणा करने में सरकार का इरादा धीरे-धीरे कटौतियों और छूटों को दूर करना है, ताकि व्यक्तिगत करदाताओं और संस्थाओं के लिए करों में कमी की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया जा सके। प्रत्येक करदाता आयकर अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत कटौती का लाभ नहीं उठा सकता था। नई कर व्यवस्था ऐसे कई करदाताओं को लाभ देती है और उन्हें अपने लिए उपयुक्त तरीके से निवेश करने की अधिक स्वतंत्रता है। करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था सरल और आसान है। हमारे नागरिकों को 7 लाख से कम आय होने पर कर का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। हमने 50,000 रुपये की मानक कटौती शुरू की है। मूल कर छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी है। ये प्रावधान लोगों के हाथों में अधिक पैसा देंगे और इस प्रकार उच्च निवेश क्षमता होगी।

 आपने एमएसएमई क्षेत्र के लिए ठीक ही कहा है कि यह भारत के विकास का इंजन है। लेकिन कुछ क्षेत्रों को छोड़कर एमएसएमई क्षेत्र का अधिकांश बाजार स्वयं भारत ही है। एमएसएमई क्षेत्र की निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ाने या एफएमसीजी क्षेत्र में भारत के स्वदेशी उत्पादों को बढ़ाने के लिए आने वाले दिनों में सरकार की क्या योजनाएं हैं?
देश में 6.3 करोड़ से अधिक एमएसएमई हैं और सकल घरेलू उत्पाद का 31 प्रतिशत और निर्यात का 45 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई का है। यह 12 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता भी है। मोदी सरकार हमेशा एमएसएमई के साथ खड़ी रही है। इसने उनकी सहायता और समर्थन के लिए कई नीतियां बनाई हैं। कोरोना के दौरान एमएसएमई के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) लाई गई, जिससे उन्हें काफी मदद मिली। इस बजट में इस योजना के तहत अधिक आवंटन किया गया है। सरकार ने एमएसएमई को उसके उत्पादों और सेवाओं को विदेशी बाजार में निर्यात करने के लिए आवश्यक सलाह और सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से देशभर में 52 निर्यात सुविधा केंद्र (ईएफसी) स्थापित किए हैं। एमएसएमई मंत्रालय 102 उद्यम विकास केंद्र (ईडीसी) चलाता है, जिसका उद्देश्य मौजूदा और इच्छुक एमएसएमई को पेशेवर सलाह और सहायता सेवाएं प्रदान करके अग्रणी उद्यमियों का एक नेटवर्क बनाना है। ये ईडीसी ‘वन-स्टॉप-शॉप’ के रूप में कार्य करते हैं और जागरूकता, ऊष्मायन, उद्यम सुविधा आदि सहित घटकों के तहत सेवाएं प्रदान करते हैं।

सरकार एमएसएमई क्षेत्र में उत्पादों और सेवाओं की बिक्री क्षमता बढ़ाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजना भी चलाती है। इसके तहत संगठनों को विदेशों में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, क्रेता-विक्रेता बैठक आदि में एमएसएमई की यात्रा, भागीदारी के लिए सुविधा प्रदान की जाती है। प्रौद्योगिकी संचार, व्यापार के अवसरों की खोज, संयुक्त उद्यम आदि के लिए भारत में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं। ग्रामीण और शहरी भारत, दोनों में खपत बढ़ने के साथ, इससे एफएमसीजी क्षेत्र में हमारे एमएसएमई का लाभान्वित होना निश्चित है।

 बुनियादी ढांचा क्षेत्र में किए जाने वाले पूंजी निवेश में 33 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। शहरी बुनियादी ढांचे के लिए एक और कोष बनाया गया है। भारतीय रेलवे के लिए अब तक की सबसे बड़ी रकम आवंटित की गई है। निश्चित रूप से स्टील से लेकर आटोमोबाइल तक और सीमेंट से लेकर इंजीनियरिंग तक कई क्षेत्र इससे लाभान्वित होंगे और रोजगार के अवसर भी बहुत बड़े पैमाने पर खुलेंगे। ऐसे में एक प्रश्न मन में यह आता है कि क्या इन अवसरों का उपयोग करने के लिए अपने युवाओं को दक्ष बनाने की प्रक्रिया और स्थिति से आप संतुष्ट हैं?
बजट की सात प्राथमिकताएं ‘सप्तऋषि’ हैं। वे हैं समावेशी विकास, अंतिम मील तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र। हमने अपने सक्षम युवाओं को सात प्राथमिकताओं में से एक के रूप में मान्यता दी है। सरकार ने देशभर में कौशल विकास के सभी प्रयासों को गति देने के लिए 2014 में ही एक अलग मंत्रालय बनाया था। कुशल जनशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को दूर करने, कौशल उन्नयन के निर्माण, नए कौशल और नवीन सोच के निर्माण के लिए सरकार अथक प्रयास कर रही है। इस बजट में यह घोषणा की गई है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 अगले तीन वर्ष के भीतर लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए शुरू की जाएगी, जिसमें कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन जैसे उद्योग 4.0 के लिए नए युग के पाठ्यक्रम शामिल हैं। मांग-आधारित औपचारिक कौशल को सक्षम करने, एमएसएमई सहित नियोक्ताओं के साथ जुड़ने और उद्यमिता योजनाओं तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए ‘एकीकृत स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म’ लॉन्च किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अवसरों हेतु युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्यों में 30 ‘कौशल भारत अंतरराष्ट्रीय केंद्र्र’ स्थापित किए जाएंगे।

विशेष तौर पर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना ने भारत की वित्त मंत्री को काफी वित्तीय राहत और गुंजाइश उपलब्ध करा दी है। क्या यही स्थिति आने वाले दशकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर बन सकती है?
पूंजी निवेश के लिए बजट में 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बजट में लगातार तीसरे वर्ष 33 प्रतिशत की भारी वृद्धि, विकास क्षमता और रोजगार सृजन, निजी निवेश में भीड़ और भारत को सही मायने में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार राज्यों को इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा देने और उन्हें पूरक नीतिगत कार्यों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों को एक और वर्ष के लिए 50 साल का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान कर रही है। इन्फ्रास्ट्रक्चर लोगों के लिए सामान, सेवाओं और श्रम को स्थानांतरित करना आसान और अधिक सुविधाजनक बना देगा, स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और निश्चित रूप से नए रोजगार के अवसर पैदा करेगा। यह अर्थव्यवस्था की समग्र मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं पर महत्वपूर्ण गुणक प्रभाव (मल्टीप्लायर इफेक्ट) सुनिश्चित करेगा।

 जहां तक वित्तीय सुविधा या गुंजाइश का प्रश्न है, क्या जीएसटी और डिजिटलीकरण के बिना भारत की राजकोषीय स्थिति का सुदृढ़ हो सकना संभव होता? इसी से जुड़ा दूसरा प्रश्न है कि क्या डिजिटलीकरण का अगला चरण भी राजकोषीय दृढ़ता के विचार से प्रेरित है?
सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन और देश की वृद्धि व विकास के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने पर जबरदस्त ध्यान केंद्रित किया है। जेएएम ट्रिनिटी, आधार, डीबीटी, डिजिटल इंडिया, ईज आफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म्स, जीएसटी का रोलआउट किया गया, जिसने हाल के वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था द्वारा दिखाए गए लचीलेपन के लिए एक ठोस नींव रखी। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में डीबीटी और आधार प्रमाणीकरण की शुरुआत से लाखों फर्जी लाभार्थियों का सफाया हो गया है। इससे सरकार को भारी बचत हुई है और नागरिकों को समय पर लाभ मिल रहा है। 2021-22 में यह अनुमान है कि डीबीटी के माध्यम से लाभ वितरण के कारण सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत की। 2013 से 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक डीबीटी मोड के माध्यम से स्थानांतरित किए गए हैं। इस दिशा में और अधिक प्रयास किए जाएंगे, ताकि देश में पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही हो।

भारत को मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश कहा जाता रहा है। इस समय की भारत की अर्थव्यवस्था को आप किस रूप में देखती हैं? क्या भविष्य में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका मात्रा के बजाय गुणवत्ता की ओर शिफ्ट होगी?
मोदी सरकार ने हमेशा ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के सिद्धांत पर काम किया है। इसका मतलब है कि सरकार एक समर्थकारी और सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करती है। इससे समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों को आवश्यक सेवाएं कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से प्रदान की जाती हैं। निवेशकों को राजनेताओं या नौकरशाहों की हथेली को चिकना करने की जरूरत नहीं पड़ती। हमने सुनिश्चित किया है कि अच्छी तरह से निर्धारित नीतियां और पारदर्शी तंत्र हो। ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ का मतलब मंत्रालयों, मंत्रियों या सिविल सेवकों की कम संख्या होना नहीं है। इसका अर्थ है- आम आदमी की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में कानूनों, विनियमों और अनुपालन के रूप में सरकार के हस्तक्षेप को कम करना। इसका मतलब लोगों को अपनी और देश की वृद्धि तथा विकास सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाना है। इसमें मोटे तौर पर लालफीताशाही और भ्रष्टाचार को कम करके और ई-गवर्नेंस को प्रोत्साहित करके सरकारी प्रक्रियाओं को आसान बनाना शामिल है। आकांक्षाओं की पूर्ति एक सतत वास्तविकता बने, इसके लिए ‘सबका प्रयास’ अनिवार्य है। 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से अपनी भूमिका निभानी होगी।

आपने नई कर व्यवस्था में आयकर सीमा 7 लाख करने की घोषणा की है, लेकिन अब तक भी पुरानी व्यवस्था के माध्यम से 5 लाख+2 लाख यानी मध्यम वर्ग 7 लाख तक तो बचत पहले भी कर रहा था। इसमें नया क्या किया है?
करदाताओं के पास अपनी पसंद के अनुसार पुरानी योजना और नई योजना के बीच चयन करने का विकल्प होता है। इससे पहले, करदाता के पास ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था। कई करदाता आयकर अधिनियम के तहत विभिन्न छूटों का लाभ नहीं उठा सके और इसलिए अधिक करों का भुगतान किया। कम कर दरों के साथ एक कर प्रणाली यथासंभव सरल और आसान होनी चाहिए, जिससे विवाद और जटिलताएं न हों। नई कर व्यवस्था बहुत सरल है और कर अधिकारियों के साथ विवाद की संभावना शून्य है। इसलिए इस नई कर व्यवस्था से कई करदाताओं को लाभ होगा। नए स्लैब और कम कर दरों के साथ दो योजनाओं के बीच ‘समता’ हासिल की गई है।

महिलाएं आत्मनिर्भर हों, उनका सशक्तिकरण हो, इसके लिए बजट में क्या खास है?
शहरी महिलाओं से लेकर गांवों में रहने वाली महिलाओं तक, व्यापार में लगी महिलाओं से लेकर घर के कामों में व्यस्त महिलाओं तक, सरकार ने वर्षों से उनके जीवन को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। जल जीवन मिशन हो, उज्ज्वला योजना हो, पीएम आवास योजना हो, ऐसी कई पहलों को बहुत जोर-शोर से आगे बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, ‘महिला स्वयं सहायता समूह’ एक बहुत शक्तिशाली क्षेत्र है, जिसने आज भारत में बहुत बड़ा स्थान हासिल कर लिया है। अगर उन्हें जरा-सा भी प्रोत्साहन दिया जाए, तो वे चमत्कार कर सकते हैं। इसलिए ‘महिला स्वयं सहायता समूहों’ के सर्वांगीण विकास की एक नई पहल इस बजट में एक नया आयाम जोड़ेगी। महिलाओं के लिए विशेष बचत योजना भी शुरू की जा रही है। जनधन खाते के बाद यह विशेष बचत योजना घर बनाने वाली, परिवारों की माताओं और बहनों को एक नया बढ़ावा देने वाली है।

बजट में आपने सबसे ज्यादा ध्यान किन क्षेत्रों पर दिया है?
यह बजट पिछले बजट में रखी गई नींव और इंडिया@100 के लिए तैयार की गई योजना पर आधारित होने की उम्मीद है। हम एक समृद्ध और समावेशी भारत की कल्पना करते हैं, जिसमें विकास का लाभ सभी क्षेत्रों और नागरिकों, विशेष रूप से हमारे युवाओं, महिलाओं, किसानों, ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तक पहुंचे। कई अन्य बातों के अलावा बजट में तीन बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पहला, नागरिकों, विशेषकर युवाओं को उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करना। दूसरा, विकास और रोजगार सृजन को मजबूत गति प्रदान करना और तीसरा, मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता को और मजबूत करना।

पिछले दिनों एमएसपी और कृषि कानूनों को लेकर खूब हंगामा हुआ था। इस बार सरकार किसानों के लिए क्या खास लेकर आई है, जो उन्हें राहत देगा और सरकार का जो दोगुनी आय का लक्ष्य है, उसे पूरा करेगा?
यह बजट कृषि और सहकारिता को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की धुरी बनाएगा। सरकार सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी खाद्य भंडारण योजना लाई है- भंडारण क्षमता। बजट में नई प्राथमिक सहकारी समितियों के गठन की महत्वाकांक्षी योजना की भी घोषणा की गई है। इससे खेती के साथ दूध और मछली उत्पादन के क्षेत्र का विस्तार होगा। किसानों, पशुपालकों और मछुआरों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा। इस बजट में किसानों के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हमने 20 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण की उपलब्धता का लक्ष्य रखा है। उच्च मूल्य वाली बागवानी फसल के लिए गुणवत्तापूर्ण और रोगमुक्त रोपण सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 2,200 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। हमने प्राकृतिक खेती, कृषि-स्टार्टअप और कृषि-तकनीक के लिए आवंटन किया है, जो किसानों के लिए फायदेमंद होगा। सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम-किसान योजना के तहत शुरुआत से अब तक 11.3 करोड़ किसानों को वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कवर किया गया है। हमने किसानों के लिए एमएसपी लगातार बढ़ाया है। 2018 से सभी अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत का 1.5 गुना तय किया गया है। जब दुनिया भर में खाद के दाम बढ़े हैं, तो हमने इस वित्त वर्ष में किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ी हुई सब्सिडी दी।

आपने बजट की सप्तऋषि प्राथमिकता में युवाशक्ति को केंद्र बिंदु रखा है। इस बजट में युवाओं के रोजी-रोजगार और उनके भविष्य के लिए आपने क्या घोषणाएं की हैं?
अमृत काल का पहला बजट विकसित भारत की आकांक्षाओं और संकल्पों की मजबूत नींव रखता है। यह अमृत काल हमारी ‘अमृत पीढ़ी’ के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। पिछले कुछ वर्षों में हमारी सरकार ने विकास रणनीति के रूप में नवाचार पर नीतिगत जोर दिया है। इनोवेशन हमारी ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के केंद्र में है, जिसके 3 स्पष्ट उद्देश्य हैं- मेक इन इंडिया, इनोवेट इन इंडिया और ट्रांसफॉर्म द इंडियन इकोनॉमी। यह युवाओं के लिए अरबों अवसर पैदा करेगा। ‘पीएम कौशल विकास योजना’, कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन और सॉफ्ट स्किल जैसे उद्योग 4.0 के लिए नए युग के पाठ्यक्रमों को कवर करते हुए अगले तीन वर्षों के भीतर लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए शुरू किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अवसरों के लिए युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्यों में 30 ‘कौशल भारत अंतरराष्ट्रीय केंद्र’ स्थापित किए जाएंगे। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को जीवंत रूप में विकसित किया जाएगा। तीन वर्ष में 47 लाख युवाओं को वजीफा सहायता प्रदान करने के लिए एक अखिल भारतीय ‘राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना’ के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण शुरू किया जाएगा। मांग-आधारित औपचारिक कौशल को सक्षम करने, एमएसएमई सहित नियोक्ताओं के साथ जोड़ने और उद्यमिता योजनाओं तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए एक एकीकृत ‘स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म’ लॉन्च किया जाएगा। पर्यटन के लिए ‘देखो अपना देश’ पहल के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र विशिष्ट कौशल और उद्यमिता विकास का तालमेल बिठाया जाएगा।

वैश्विक निवेशक भारत में अधिक से अधिक निवेश करें, उसके लिए इस बजट में क्या संकेत हैं?
भारत उच्चतम विकास दर के साथ दुनिया में एक उज्ज्वल स्थान है। पिछले नौ वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दुनिया में 10वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बढ़ा है। सरकार ने पूंजीगत व्यय पर अबाध जोर दिया है। यह लागत प्रभावी रसद अवसंरचना और निर्बाध कनेक्टिविटी के साथ औद्योगिक विकास का पूरक होगा। कारोबार में सुगमता में सुधार के लिए कई सुधार प्रस्तावित किए गए हैं। सरकार ने कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है, जिन्हें अत्यधिक देरी और अन्य बाधाओं के कारण अब तक असंभव माना जाता था। प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय भूमिका ने बुनियादी ढांचे में बदलाव को संभव बनाया है। केवल नई परियोजनाओं की घोषणा करने के बजाय, प्रधानमंत्री ने नियमित रूप से प्रगति मंच के माध्यम से परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी की है। इससे लंबे समय से लंबित विभिन्न परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद मिली है। इन सभी ने भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना दिया है और पिछले दो वित्तीय वर्ष में इसने एफडीआई के रूप में 160 अरब डॉलर से अधिक अधिक राशि प्राप्त की है।

बजट में पीएम विकास की चर्चा है। क्या है पीएम विकास योजना? इसके बारे में विस्तार से बताएं?
सदियों से पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों ने, जो औजारों का उपयोग करके अपने हाथों से काम करते हैं, भारत के लिए प्रसिद्धि अर्जित की है। उन्हें आम तौर पर विश्वकर्मा के रूप में जाना जाता है। उनके द्वारा बनाई गई कला और हस्तकला आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व करती है। पहली बार उनके लिए सहायता पैकेज की परिकल्पना की गई है। नई योजना ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ (पीएम विकास) उन्हें एमएसएमई मूल्य शृंखला के साथ एकीकृत करते हुए अपने उत्पादों की गुणवत्ता, पैमाने और पहुंच में सुधार करने में सक्षम बनाएगी। योजना के घटकों में न केवल वित्तीय सहायता शामिल होगी, बल्कि उन्नत कौशल प्रशिक्षण तक पहुंच, आधुनिक डिजिटल तकनीकों का ज्ञान और कुशल हरित प्रौद्योगिकियां, ब्रांड प्रचार, स्थानीय और वैश्विक बाजारों के साथ जुड़ाव, डिजिटल भुगतान और सामाजिक सुरक्षा भी शामिल होगी। इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को बहुत लाभ होगा।

प्रधानमंत्री जी का पूर्वोत्तर पर काफी ध्यान रहता है। अनेक योजनाएं चल रही हैं, तो बहुत-सी पूरी हो चुकी हैं। इस बार इन राज्यों में ढांचागत विकास ज्यादा से ज्यादा हो, इसके लिए बजट में क्या प्रावधान किए गए हैं? यहां के किस क्षेत्र पर सरकार का ज्यादा ध्यान होगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ वर्ष के शासन और आठ पूर्वोत्तर राज्यों के जादुई परिवर्तन के बीच एक आकर्षक संबंध बना सकते हैं। यह लंबे समय से उपेक्षित एक क्षेत्र के शासन में एक प्रेरक सबक है, जो राष्ट्र की अष्टलक्ष्मी के रूप में प्रमुखता से प्रगति कर रहा है। 2014 में प्रचंड जनादेश के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र में प्रगति की एक नई सुबह की शुरुआत करने के लिए दृढ़ विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने पूर्वोत्तर को ‘भारत का प्राकृतिक आर्थिक क्षेत्र’ कहा और इसमें टैप करने को प्राथमिकता दी। आज, वह इसे ‘भारत का नया विकास इंजन’ कहते हैं। पूर्वोत्तर के लिए बजटीय सहायता 2014 में 36,108 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 76,040 करोड़ रुपये (110 प्रतिशत) हो गई है। संचयी रूप से, 2014 से इस क्षेत्र में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। पीएम-डिवाइन की घोषणा केंद्रीय बजट 2022-23 में पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास अंतराल को दूर करने के लिए की गई थी। हमने पीएम डिवाइन के लिए इस साल 2,200 करोड़ रुपये दिए हैं। यह 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण वाली एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। यह योजना उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय द्वारा उत्तर-पूर्वी परिषद या केंद्रीय मंत्रालयों या एजेंसियों के माध्यम से लागू की जाएगी। यह प्रधानमंत्री गति शक्ति की भावना में बुनियादी ढांचे को समेकित रूप से निधि देगा। यह उत्तर-पूर्व की महसूस की गई जरूरतों के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।

प्रधानमंत्री आवास योजना और जल जीवन मिशन योजना के लिए आपने 80 और 70,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। तय समय में क्या आप इस लक्ष्य को पूरा कर पाएंगी?

पिछले आठ-नौ वर्ष में सार्वजनिक सेवा वितरण, सरकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में एक आदर्श बदलाव देखा गया है। पहले लगभग असंभव माने जाने वाले कठोर लक्ष्यों को अपनाना और उन्हें समय पर पूरा करना, पीएम मोदी के नेतृत्व में नई सामान्य बात हो गई है। सरकार ने विभिन्न वंचित समूहों के लिए अपरिवर्तनीय सशक्तिकरण सुनिश्चित किया है, जिससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करके आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली है। पिछले आठ वर्ष में कल्याण कवरेज के बड़े पैमाने पर विस्तार ने भारत को अंतत: 100 प्रतिशत संतृप्ति प्राप्त करने की आकांक्षा दी है। सुशासन के लाभों की संतृप्ति कवरेज भेदभाव और भ्रष्टाचार की राजनीति को समाप्त करती है, जो कुछ को लाभ प्रदान करके और दूसरों को इससे वंचित करके खेला जाता था। अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन के रोलआउट के समय, लगभग 3.2 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास नल से जलापूर्ति थी। जल जीवन मिशन के शुभारंभ के बाद से 11 करोड़ परिवारों को उनके घरों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है, जो 3 वर्ष में लगभग 3 गुना अधिक है। हमें विश्वास है कि हम योजनाओं के लिए किए गए आवंटन को खर्च करने में सक्षम होंगे।

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