यूपी की तरह उत्तराखंड में भी मदरसों की जांच पड़ताल का काम शुरू होना था, लेकिन अभी तक ये काम शुरू नहीं हो पाया है। जबकि यूपी में ये काम एक बार नहीं, बल्कि दो बार पूरा भी हो चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने करीब आठ माह पहले इसकी घोषणा करने के बाद निर्देश जारी किए थे कि उत्तराखंड में भी मदरसों की जांच की जाएगी और इनको चलाने वालों, इनकी फंडिंग, इनके पाठ्यक्रम की भी जांच करवाई जाएगी, लेकिन सीएम की घोषणा पर समाज कल्याण, अल्पसंख्यक विभाग और जिला प्रशासन ने जांच का काम शुरू तक नहीं किया, जबकि जांच के लिए हर जिले में एडीएम के नेतृत्व में एक जांच समिति बनाई जानी थी। जिसमें सहायक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी को शामिल किया जाना था और इसकी ब्लॉक स्तर पर जांच की जानी थी।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में 415 मदरसे हैं जिनकी जांच होनी है। जिनमें से ज्यादातर उधम सिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल और देहरादून जिलों में हैं। ऐसी शिकायतें मिली थीं कि ये मदरसे, सरकार से सहायता तो लेते हैं, परंतु शिक्षा के मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है पूर्व में कांग्रेस सरकार के दौरान मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के वजीफे को लेकर करोड़ों का घोटाला, केंद्र में मोदी सरकार ने आते ही पकड़ लिया था। मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति को बैंक खातों को आधार कार्ड के साथ लिंक किया गया था तब ये भ्रष्टाचार उजागर हुआ था।
मदरसे में क्या खेल चल रहा है? इस बारे में यूपी में जांच पड़ताल के लिए सीएम योगी ने आदेश जारी किए थे, वहां जांच का काम जिला स्तर पर दो हफ्ते की तय सीमा में पूरा करवा लिया गया, जहां कुछ गलत लगा उसके लिए पुनः जांच करवा कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मंगा ली गई। इधर उत्तराखंड में सीएम धामी के आदेश जारी होने के आठ माह बीत जाने के बाद भी जांच शुरू नहीं हो पाई है।
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