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छात्रों को सुलगाने की तैयारी

बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र के बहाने कांग्रेस और वामपंथियों ने अपनी छात्र इकाइयों को सक्रिय कर दिया है। दिल्ली से लेकर हैदराबाद तक विश्वविद्यालयों का माहौल बिगाड़ने की तैयारी है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Feb 1, 2023, 08:00 am IST
in भारत, विश्लेषण
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केंद्र सरकार द्वारा बीबीसी निर्मित वृत्तचित्र पर पाबंदी लगाने के बावजूद जेएनयू में वामपंथी गुट के छात्रों ने इसकी स्क्रीनिंग की कोशिश की, जिस पर 24 जनवरी को रातभर बवाल हुआ। जेएनयू प्रशासन की रोक के बावूजद वामपंथी छात्रों के एक गुट ने स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर के लॉन में रात नौ बजे वृत्तचित्र दिखाने का कार्यक्रम रखा। लेकिन शाम 7:30 बजे तकनीकी खराबी के कारण पूरे जेएनयू परिसर की बिजली चली गई। इसके बावजूद छात्र मोबाइल टॉर्च की रोशनी में लैपटॉप और मोबाइल पर लिंक साझा कर वृत्तचित्र देखने लगे। इसी दौरान जब कवरेज के लिए मीडियाकर्मी आए तो उनसे मारपीट की गई।

वामपंथी संगठन से जुड़े छात्रों का आरोप है कि अभाविप के कार्यकर्ताओं ने उन पर पथराव किया, लेकिन अभाविप ने इससे इनकार किया है। इस बीच, वसंतकुंज (उत्तर) थाने में 25 जनवरी को तीन शिकायतें दर्ज कराई गईं। इनमें दो अभाविप और आईसा की ओर से एक शिकायत मिली है। लेकिन पुलिस का कहना है कि जेएनयू परिसर में न तो पथराव हुआ और न ही किसी को चोट लगी है। जेएनयू प्रशासन की ओर से भी पुलिस को किसी तरह की सूचना नहीं मिली है। फिर भी जेएनयू की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

इस खबर को भी पढ़ें- बीबीसी-कांग्रेस का ‘हिट-जाब’!

पत्रकारों पर हमले की निंदा
नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) और दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने जेएनयू में जनम टीवी के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख गौतम और कैमरामैन उन्नीकृष्णन पर हमले की निंदा करते हुए हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग की है। इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स से संबद्ध एनयूजेआई के अध्यक्ष रास बिहारी, डीजेए के संयोजक राकेश थपलियाल, सहसंयोजक के.पी मलिक, सचिव बुधौलिया और अमलेश राजू ने एक बयान में कहा कि हमलावरों ने कैमरामैन से कैमरा छीनने की भी कोशिश की।

एक तरफ देश में कुछ संगठन विदेशी साजिश के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश का अपमान करने वाला वृत्तचित्र दिखा रहे हैं और दूसरी तरफ मीडियाकर्मियों पर हमला भी कर रहे हैं। संगठन के पदाधिकारियों ने हमलावरों के फोटो और वीडियो जारी करते हुए तत्काल उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। जेएनयू प्रशासन से भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। साथ ही, चेतावनी दी है कि कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन चलाया जाएगा।

दिल्ली में जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग की योजना सफल नहीं हुई। हैदराबाद यूनिवर्सिटी में बिना अनुमति स्क्रीनिंग की जांच चल रही है।

जामिया से हैदराबाद तक हंगामा
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भाकपा की छात्र इकाई एसएफआई ने वृत्तचित्र दिखाने की घोषणा की थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। साथ ही, विश्वविद्यालय के सभी गेट बंद कर दिए और किसी भी छात्र को अंदर नहीं आने दिया। इसके अलावा, भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती भी की गई थी। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर का कहना था कि डॉक्यूमेंट्री के जरिये विश्वविद्यालय परिसर में शांति और सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। वह किसी भी कीमत पर इस तरह के कार्यक्रम की अनुमति नहीं देंगी। आवश्यकता पड़ने पर प्रदर्शनकारी छात्रों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी।

वहीं, सरकार की पाबंदी के बावजूद हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों को वृत्तचित्र दिखाया गया। वहां भी खूब हंगामा हुआ। इसके बाद अभाविप ने जब इसकी शिकायत की तो विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा गया। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि परिसर में किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए छात्र संगठनों को डीन से अनुमति लेनी होती है। लेकिन वृत्तचित्र दिखाने के लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई, जो तय मानकों का उल्लंघन है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. देवेश निगम के अनुसार, ‘फ्रेटरनिटी मूवमेंट’ नामक छात्रों के समूह ने बिना अनुमति या पूर्व सूचना के 21 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी।

इस खबर को भी पढ़ें- 1. टूलकिट है बीबीसी

Topics: जामिया मिल्लिया इस्लामियानेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया)इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्सस्टूडेंट एक्टिविटी सेंटरजेएनयू में वामपंथी गुटUniversity of HyderabadJamia to Hyderabadscreening of documentaryJamia Millia Islamiaहैदराबाद यूनिवर्सिटीInternational Federation of Journalistsजामिया से हैदराबादStudent Activity Centreडॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंगLeft groups in JNU
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