जम्मू-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट (आईएमपीएआरडी) द्वारा “नियमों का उल्लंघन करते हुए” फैकल्टी सदस्यों की कथित अवैध नियुक्तियों की जांच के आदेश प्रशासन द्वारा दिए गए हैं। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है, जो एक महीने में जांच पूरी करेगी। खबरों के अनुसार जांच समिति को यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि संस्थान में फैकल्टी मेंबर्स की अनियमित नियुक्तियों के बारे में सरकार को सूचित क्यों नहीं किया गया। यहां भी कहा गया है कि ये नियुक्तियां मौजूदा महानिदेशक के कार्यकाल से पहले की हैं। साथ ही क्या आईएमपीएआरडी की गवर्निंग काउंसिल ने पांच साल में बैठकें आयोजित करने के दौरान सभी मानदंडों का पालन किया या नहीं। आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि समिति पांच साल में आईएमपीएआरडी के पूरे कामकाज का मूल्यांकन करेगी और कार्य/अकादमिक वातावरण, प्रबंधन क्षमता और संस्थागत अखंडता में सुधार के लिए अपनी सिफारिशें देगी।
भ्रष्टाचार पर प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति
जम्मू—कश्मीर प्रशासन की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति रही है। यह वजह है कि पिछले समय से चली आ रही धांधलियों को पकड़ पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। बता दें कि इससे पहले प्रशासन 800 फायरमैन की भर्ती को रद्द कर चुका है। इस भर्ती में आरोप था कि चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है। इसमें 14,000 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर पुलिस में 1,200 उप निरीक्षकों, वित्त विभाग में 1,000 लेखा सहायकों और 1,300 जूनियर इंजीनियरों के चयन प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के बाद उम्मीदवारों के चयन को भी रद्द कर दिया है। सीबीआई भी इन मामलों की जांच कर रही है और सब-इंस्पेक्टर घोटाले में चार्जशीट तक दाखिल कर चुकी है।
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