जम्मू-कश्मीर में आतंक की कमर तोड़ने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है। यही वजह है कि घुसपैठ की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है। लगातार मुस्तैदी और नई तकनीकों के प्रयोग से भी अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर घुसपैठ करते आतंकियों को सेना ने मार गिराकर उनके मंसूबों को ध्वस्त किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 5 सालों में केंद्र शासित प्रदेश में घुसपैठ की संख्या कम हुई है और यह घटकर 73 तक आ गई। जो 5 सालों में सबसे कम है।
आतंकी मंसूबों को किया ध्वस्त
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 साल से अलग-अलग प्रयासों की वजह से घुसपैठ की संख्या में रोकने में खासी मदद मिली है। 2017 से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घुसपैठ में कमी आई है और साल 2021 में ऐसे प्रयासों की संख्या घटकर 73 रह गई। 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ मिलकर सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। 2017 में जहां घुसपैठ करने की 419 कोशिश की जानकारी मिली थी, जो 2018 में 328 तक आ गई। फिर 2019 में 216 और 2020 में 99 तक सिमट गई। अब 2021 में यह संख्या 73 तक आ गई।
इन प्रयासों से मिली सफलता
रिपोर्ट के अनुसार सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, अंतरराष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा और लगातार बदलते घुसपैठ मार्गों के पास बहुस्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड़ के निर्माण और रखरखाव, तथा नालों पर पुलियों और पुलों का निर्माण होने से आतंक रोधी अभियानों को जहां सफलता मिली है वहीं सीमापार से घुसपैठ करने वाले मूंसबों पर पानी फिरा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेहतर तकनीक, हथियार और उपकरण, बेहतर खुफिया और अभियान समन्वय, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फ्लडलाइट लगाए जाने और घुसपैठ को रोकने के लिए खुफिया प्रवाह के तालमेल तथा राज्य के भीतर आतंकवादियों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाइयों ने आतंकी आकाओं और आतंकियों के हौंसलों को पस्त किया है।
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