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भारत की बढ़ती रक्षा आत्मनिर्भर क्षमता

भारत रक्षा उपकरणों का आयात करने के बजाए अब देश में इनका उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रहा। मोदी सरकार ने रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति-2020 के तहत स्वदेशी रक्षा निर्माण का विकास किया

by WEB DESK
Jan 25, 2023, 07:15 am IST
in भारत, रक्षा
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भारत 2014 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा उपकरण आयातक देश था। यह देश के बजट पर बड़ा बोझ तो था ही, उसमें हमारी महत्वपूर्ण रक्षा जरूरतों को विदेशी शक्तियों द्वारा नियंत्रित करने का जोखिम भी निहित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में रक्षा उपकरणों के निर्माण को पूरी तरह देश की जिम्मेदारी बनाने का फैसला लिया गया। यह पहल ही आत्मनिर्भर भारत की नीति है।
रक्षा निर्माण अब मेक-इन-इंडिया का केंद्र बिंदु बन गया है। इसे मेक-क, मेक-कक और मेक-ककक श्रेणी में बांटा गया है।

पहली श्रेणी 354 हल्के युद्धक टैंकों पर केंद्रित है, जिसमें शुरुआती 59 टैंक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और शेष का निर्माण भारतीय निजी उद्योग के लिए सरकार द्वारा वित्तपोषित डिजाइन और विकास परियोजना के तहत होगा। साथ ही, इस श्रेणी में इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित एन्क्रिप्टेड संचार उपकरण, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. द्वारा डिजाइन की जा रही सामरिक संचार प्रणाली और राज्य के स्वामित्व वाले बख्तरबंद वाहन निगम लि. द्वारा बनाए जा रहे फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल हैं। इनका उपयोग भारतीय थल सेना करेगी, जबकि एयरबोर्न इलेक्ट्रो आप्टिकल पॉड, एयरबोर्न स्टैंड-आफ जैमर और सुरक्षित संचार प्रणाली का उपयोग भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाएगा।

दूसरी श्रेणी के तहत परियोजनाओं का वित्त पोषण रक्षा उपकरणों के नए उभरते घरेलू विनिर्माण उद्योग द्वारा किया जा रहा है। इस श्रेणी की परियोजनाएं प्रोटोटाइप, स्पेयर पार्ट्स, राडार प्रणाली, इंस्ट्रूमेंटेशन पार्ट्स और संबद्ध घटकों से संबंधित हैं।

स्वदेशी सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन ऐरे राडार और सुपरक्रू क्षमता वाला एकल सीट और ट्विन-इंजन स्टील्थ आल-वेदर मल्टीरोल फाइटर विमान होगा। आज भारत इस कारण बेहतर रक्षा परियोजनाओं को लागू करने में सक्षम हो पा रहा है, क्योंकि इसने स्वदेशी रक्षा निर्माण और अनुसंधान क्षमताओं का विकास किया है।

नौकरशाही बाधक नहीं
नौकरशाही पर भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा होने का आरोप लगाया जाता रहा है। मोदी सरकार का पहला कदम रक्षा एजेंटों से संबंधित नियमों को सुव्यवस्थित करना था। अब रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बिचौलियों की भर्ती को स्पष्ट नियमों व शर्तों के तहत सख्ती से नियंत्रित किया जाता है। साथ ही, ‘चीफ आफ डिफेंस स्टाफ’ पद को सृजित कर रक्षा खरीद सौदों पर नौकरशाहों के प्रभाव को बहुत सीमित कर दिया गया है।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता
‘रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति-2020’ के तहत सरकार ने निजी उद्योगों को रक्षा प्रणालियों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया है। इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के साथ डीपीएसयू को रक्षा वस्तुओं के स्थानीय निर्माण में भाग लेने के इच्छुक स्थानीय एमएसएमई, स्टार्ट-अप के साथ संवाद करने की अनुमति देने के लिए भी एक प्रणाली बनाई गई है। सरकार ने 8 वर्ष के भीतर रक्षा आधुनिकीकरण की प्रकृति को ही बदल कर रख दिया है।

नौसेना को स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत से आधुनिक बनाया गया है। फरवरी 2015 में भारत सरकार ने विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में छह परमाणु पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण को मंजूरी दी। भारत का परमाणु शक्ति संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) कार्यक्रम डीआरडीओ, परमाणु ऊर्जा विभाग और भारतीय नौसेना के प्रबंधन व संचालन के अधीन चल रहा है। वर्तमान में, भारत फ्रांस के नौसेना समूह के साथ साझेदारी में मुंबई में सरकारी स्वामित्व वाली मझगांव डॉक लिमिटेड में 6 नई स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। वायु सेना की दक्षता बढ़ाने के लिए सरकार ने सुखोई लड़ाकू विमानों को उन्नत किया है और फ्रांस से चौथी पीढ़ी के राफेल लड़ाकू विमान खरीदे हैं। इनके अतिरिक्त रुद्र अटैक हेलिकॉप्टर, ध्रुव यूटिलिटी हेलिकॉप्टर, एमआई17वी5 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर और कामोव केए-226टी लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर मौजूदा सरकार की कुछ प्रमुख उपलब्धियां रही हैं।

वर्तमान में एचएएल और वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) संयुक्त रूप से उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान का विकास कर रहे हैं। यह एक स्वदेशी सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन ऐरे राडार और सुपरक्रू क्षमता वाला एकल सीट और ट्विन-इंजन स्टील्थ आल-वेदर मल्टीरोल फाइटर विमान होगा। आज भारत इस कारण बेहतर रक्षा परियोजनाओं को लागू करने में सक्षम हो पा रहा है, क्योंकि इसने स्वदेशी रक्षा निर्माण और अनुसंधान क्षमताओं का विकास किया है। हालांकि भारत को अभी भी अमेरिका, चीन और रूस के आयुध विकास के साथ प्रतिस्पर्धा करने के अपने इरादे को पूरा करने के लिए लंबा रास्ता तय करना शेष है।

Topics: इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेडएन्क्रिप्टेड संचार उपकरणभारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि.Navy gets indigenously built aircraft carrierDefense Research and Development Organization (DRDO)‘मेक इन इंडिया’Indian Telephone Industries Limitedलड़ाकू विमानencrypted communication equipmentFighter AircraftBharat Electronics Ltd.रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनभारत का परमाणु शक्तिनौसेना को स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत‘चीफ आफ डिफेंस स्टाफ’
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