मई 2020 में गलवान में भारतीय सैनिकों से बुरी तरह पिटे चीनी सैनिकों और उनके कमांडरों के शरारती मंसूबों में उसके बाद से कमी नहीं दिखाई दी है। ड्रैगन वहां हर तरह की जंबी तैयारी करता आ रहा है और वार्ता की मेज पर तय चीजों से मुकरता आ रहा है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ‘सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ने’ की कितनी ही कसमें खाती हो, अंदर से उसके इरादे साफ नहीं दिखते! अब ताजा समाचार भी बीजिंग की इन्हीं मंशाओं को उजागर करता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूद चीनी सैनिकों को खासतौर पर संबोधित किया है। पता चला है कि जिनपिंग ने इस बातचीत के माध्यम से सीमा पर ‘युद्ध की तैयारियों’ पर गौर किया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ करीब दो साल से बने हुए तनाव के बीच राष्ट्रपति जिनपिंग ने जिस तरह से वहां तैनात अपने सैनिकों से खास चर्चा की है उससे विशेषज्ञ यही अंदाजा लगा रहे हैं कि सीमा पर ड्रैगन कोई गंभीर हरकत करने की तैयारी में है।
जिनपिंग ने पूर्वी लद्दाख से सटी सीमा पर तैनात पीएलए सैनिकों से जो वर्चुअल बातचीत की, उसका ब्योरा कल चीन के मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुआ था। चीन के समाचार पत्रों में आईं रिपोर्ट के अनुसार, जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के हेडक्वार्टर से शिनज्यांग सैन्य कमांड के अंतर्गत आने वाली खंजराब की सीमा पर मौजूद चीनी सैनिकों को विशेष रूप से संबोधित किया है। अपने वक्तव्य में सैनिकों को यह जानकारी दी कि बीते कुछ साल में उस इलाके में किस तरह का बदलाव होता आ रहा है और इससे चीनी सेना की रणनीति और कार्रवाई पर क्या असर पड़ रहा है।
जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के हेडक्वार्टर से शिनज्यांग सैन्य कमांड के अंतर्गत आने वाली खंजराब की सीमा पर मौजूद चीनी सैनिकों को विशेष रूप से संबोधित किया है। अपने वक्तव्य में सैनिकों को यह जानकारी दी कि बीते कुछ साल में उस इलाके में किस तरह का बदलाव होता आ रहा है और इससे चीनी सेना की रणनीति और कार्रवाई पर क्या असर पड़ रहा है।
मीडिया की रिपोर्ट बताती हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मौके पर अपने जवानों से सीमाई क्षेत्रों में गश्त के अलावा दूसरे जुड़े कामों को लेकर कई प्रश्न किए। जवाब में फौज की ओर से बताया गया कि अब वहां वे चौबीसों घंटे चौकसी बनाए हुए हैं। यह सुनकर जिनपिंग ने फौजियों की पीठ थपथपाई और उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि वे इस तरह की चीजें बनाए रखें।
चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा को न मानते हुए भारत में पूर्व की सरकारों के राज में साल में सैकड़ों बार सीमा का अतिक्रमण करता रहा था। वह भारत के काफी बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए बैठा है और लद्दाख तक उसकी नजर बनी हुई है। इसी मुद्दे को उठाकर वह बीच—बीच में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश, जिसे वह ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताता है, में भारत के साथ वह बेवजह के हिंसक संघर्ष छेड़ता रहा है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास 5 मई, 2020 को भी ऐसी ही एक हिंसक झड़प में चीनी सैनिक बुरी तरह पिटकर हटे थे। तबसे दोनों देशों के बीच गतिरोध चला रहा है जिसे दूर करने के लिए इस बीच दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 17 दौर की बात हो चुकी है जो कमोबेश बेनतीजा ही रही है। अभी कुछ वक्त पहले ही चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में भी भारतीय सीमा में दखल दी थी जिसका भारत की ओर से करारा जवाब दिया गया था।
हालांकि जिनपिंग का अपने सैनिकों को विशेष रूप से यूं संबोधित करना किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। लेकिन कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि यह चीन की अपने यहां कहर बरपा रहे कोरोना से ध्यान हटाने की एक चाल है। वे मानते हैं कि ताइवान की सीमा पर भी चीन सैनिक हरकतें बढ़ाता जा रहा है। इस संदर्भ में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे मैकमास्टर ने भी कम्युनिस्ट चीन की नीयत और मंशा में खराबी की तरफ इशारा किया था।
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