विश्व गुरु के रूप में भारत ही विश्व को सही राह दिखा सकता है, हम समय-समय पर अपने विचार विश्व के सामने रखते हैं। वास्तव में मानव ने अपनी त्रुटिपूर्ण गतिविधियों से जड़-चेतन के समक्ष संकट खड़ा करने का कार्य किया है।
गत 7-9 जनवरी तक वाराणसी स्थित शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में सुफलाम (पृथ्वी तत्व) नाम से एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें देश-विदेश के अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे। इस गोष्ठी का आयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली), भाऊराव देवरस संस्थान एवं किसान संघ के संयुक्त तत्वावधान में हुआ था।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री भैयाजी जोशी ने इस अवसर पर कहा कि विश्व गुरु के रूप में भारत ही विश्व को सही राह दिखा सकता है। हम समय-समय पर अपने विचार विश्व के सामने रखते हैं। वास्तव में मानव ने अपनी त्रुटिपूर्ण गतिविधियों से जड़-चेतन के समक्ष संकट खड़ा करने का कार्य किया है। आज आवश्यकता है, उसे सही दिशा बताने की ताकि सभी का कल्याण हो सके। जगद्गुरु संत ज्ञानेश्वर दास महाराज जी ने कहा कि अब समय आ गया है, जब किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती के प्रति जागरूक करना होगा।
अखिल भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने तीन दिन तक चली संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि आज संपन्न वर्ग के लोग बोतल का पानी पीते हैं, जबकि सामान्य व्यक्ति को यह उपलब्ध नहीं हो पाता। आने वाले समय में भू-जल की स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
आज जनसंख्या के एक बड़े वर्ग को संतुलित पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे है। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में जमीन, पानी और पहाड़ को एक जीव माना गया है। आज इनके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आंदोलन चलाने की आवश्यकता है, ताकि सामान्य लोग इससे जुड़ सकें।
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