जर्मनी में एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। यहां पुलिस ने एक त्वरित कार्रवाई करते हुए एक ईरानी मूल के नागरिक को पकड़ा है। पुलिस का कहना है कि यह आदमी देश में एक जबरदस्त रासायनिक हमला बोलने का षड्यंत्र तैयार कर रहा था। पुलिस की यह कार्रवाई जर्मनी के डोर्टमंड प्रांत में कैस्ट्रोप रौक्सेल नाम के शहर में हुई है। पता चला है कि इस कार्रवाई में पुलिस ने उस ईरानी नागरिक के अलावा एक अन्य को भी गिरफ्ततार लिया है।
जर्मनी की पुलिस द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कथित षड्यंत्रकारी मजहबी कट्टरपंथ से प्रेरित है और इसी की सनक में देश में एक बड़े रासायनिक हमले का षड्यंत्र बना रहा था। बताया यह भी गया है कि इस हमले को अंजाम देने के लिए कथित षड्यंत्रकारी जहरीले रासायन इकट्ठे कर चुका था। ये खतरनाक रसायन सायनाइड तथा रिसिन बताए जा रहे हैं। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, इन रसायनों के अलावा गिरफ्तार व्यक्ति के पास से संभावित रासायनिक आक्रमण में खुद को बचाए रखने के लिए पुलिस ने शरीर पर पहनने का एक खास सुरक्षा वस्त्र भी जब्त किया है।
चांसलर ओलाफ शोल्ज ने ईरान सरकार की तीखी भर्त्सना की। उन्होंने हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों के प्रति समर्थन भी व्यक्त किया था। शोल्ज ने ईरान में जारी हिंसा को लेकर ईरान सरकार को दोषी करार दिया था। इसके साथ ही उन्होंने धमकी भरे स्वर में कहा था कि यदि ईरान सरकार ने ससही रास्ता नहीं अपनाया तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि जर्मनी की पुलिस को एक गुप्तचर सूचना मिली थी कि कोई रासायनिक आक्रमण करने की साजिश रच रहा है। उस जानकारी में कथित आतंकी के हुलिए का कुछ ब्योरा भी दिया गया था। इसके आधार पर पुलिस ने छानबीन शुरू की और एक विशेष आपरेशन में उक्त आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। ऐसी ही एक घटना वहां 5 साल पहले भी देखने में आई थी जब पुलिस ने ट्यूटनिशिया मूल के एक आदमी को उसकी पत्नी सहित पकड़ा था। दोनों पर लंबा मुकदमा चला था, जिसमें आरोप साबित होने पर दोनों ही आरोपियों को क्रमश: 10 तथा 8 साल की जेल हुई थी।
दरअसल ईरान में करीब चार माह से चले आ रहे हिजाब विरोधी आंदोलन के लिए ईरान ने पश्चिमी देशों की सरकारों पर इस आंदोलन को खाद-पानी देने का आरोप लगाया था। आंदोलन में अभी तक हजारों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, सैकड़ों पुलिस तथा सेना की गोलियों के शिकार बन चुके हैं। करीब 12 लोगों को फांसी पर टांगा जा चुका है। विभिन्न शहरों में प्रर्दशनकारी शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं। सुरक्षा बलों से आएदिन जबरदस्त मुठभेड़ देखने में आ रही है।
इसका मुकाबला करने के लिए ईरान सरकार ने कट्टरपंथी जमातों को हिजाब के पक्ष में माहौल बनाने के लिए उतारा हुआ है। बुर्काधारी महिलाएं और मजहबी कट्टरपंथी मौलवी हिजाब के पक्ष में जुलूस निकालते आ रहे हैं। इससे दोनों तरफ का पारा चढ़ा हुआ है। इस मुद्दे पर दुनियारभर के देशों ने ईरान की सरकार को घेरा हुआ है।
गत दिनों जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने खुद ईरान सरकार की इस मुद्दे पर तीखी भर्त्सना की। उन्होंने हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों के प्रति समर्थन भी व्यक्त किया था। शोल्ज ने ईरान में जारी हिंसा को लेकर ईरान सरकार को दोषी करार दिया था। इसके साथ ही उन्होंने धमकी भरे स्वर में कहा था कि यदि ईरान सरकार ने ससही रास्ता नहीं अपनाया तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। संभवत: इसी बात को लेकर जर्मनी से चिढ़े उस व्यक्ति ने वहां इस तरह के जानलेवा हमले की साजिश रची हो।
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