जोशीमठ, चमोली जिले की गौरा की धरती जी हाँ गौरा देवी की धरती ..! वही धरती जहां से पहाड़ पेड़ जल जंगल जलवायु बचाने की चिपको जैसा आंदोलन का जन्म हुआ और धरती बचाने के लिए जन चेतना की शानदार मिसाल कायम कर गया वही गौरा की धरती का जोशीमठ कस्बा आज दरक रहा है खिसक रहा है जिसकी वजह से लोग दहशत में है और राज्य सरकार को हालात से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को हाई अलर्ट पर रखना पड़ा है।
ये भूधँसाव इस कदर है कि जोशीमठ कस्बे के कई इलाकों में घरों की दीवारों मे बड़ी बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं 576 परिवार अपने घरों को छोड़ चुके हैं, कस्बे की सड़कों में दरारें पड़ चुकी हैं कई जगहों पर पड़ी दरारों से पानी की मोटी धार निकल रही है और लोग बड़ी अनहोनी की आशंका से डरे सहमे हुए हैं कुछ दिनों पहले कस्बे के दो होटल आपस में झुक गये थे जिसकी तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई थी।
चिपको आंदोलन की जनक गौरा देवी की इस धरती के बाशिंदे पिछले कई दिनों से सर्द रातों में भी सड़क पर उतर कर संघर्ष करने को।मजबूर हैं, और उनकी इन सर्द रातों के संघर्ष की मजबूरी में आपदा प्रबंधन विभय सोया रहा और प्रशासनिक अधिकारी भी ठंड में अपने हीटर वाले कमरों से बाहर नही निकले।
नतीजा ये हुआ कि यहां के जनप्रतिनिधियों को लोगो की खरी खोटी सुननी पड़ी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट यहां से अपनी जमीनी राजनीति करते रहे है।उनके द्वारा जब सीएम धामी को हालात बताए तब जाकर शासन प्रशासन की नींद टूटी।
लोगों का मानना है कि जलविद्युत परियोजनाओं की मनमानी और अंधाधुंद निर्माण से गौरा की धरती खिसकने दरकने लगी है, हालांकि इस निमित्त सरकारी स्तर पर भी भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया गया था, फिलहाल डीएम के निर्देश पर तपोवन विष्णु गाड़ जल विद्युत परियोजना पर काम रोक दिया गया है। बीआर ओ को भी सड़को पर बालस्टिंग रोकने को कहा है।
वैसे 80 के दशक में भी इसी कस्बे में आज की तुलना में बहुत छोटे से भूधँसाव पर तत्कालीन सरकार नें तत्कालीन आयुक्त गढ़वाल मंडल महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में दिनांक 08/04/1976 को एक समिति गठित की थी जिसने क्षेत्र का सर्वेक्षण किया और एक महीने के अंदर दिनांक 03/05/1976 को जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बैठक आहूत कर जांच समिति नें अपनी आख्या रखी जिसमे स्पष्ट कहा गया कि जोशीमठ कस्बा भूगर्भीय दृष्टि से बड़े निर्माण के लिए सही नहीं है अतः यहाँ बड़े निर्माण नही किये जाने चाहिए। परंतु उस दौर में किसी ने ये बात नही सुनी।
जोशीमठ केवल गौरा देवी की धरती ही नही ये पौराणिक स्थल भगवान बद्री नाथ धाम का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। कहने वाले ये बताते थे कि जोशीमठ हिमालय की रेत की ढलान पर बसा हुआ कस्बा है और यहां जायदा बोझ नहीं डाला जाना चाहिए लेकिन समय के साथ साथ यहां कच्चे निर्माण ऊंची इमारतों में बदलते गए और आज हालात भयावह हो गए।
उत्तराखंड सरकार ने एनटीपीसी को हट्स बनाने को कहा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भू धंसाव प्रभावित परिवारों के लिए एनटीपीसी को तत्काल 2000 फेब्रिकेट्स हट्स बनाने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने कहा है कि सुरक्षित स्थान पर ये हट्स अगले एक हफ्ते में तैयार हो जाए ।
रुड़की आईआईटी के विशेषज्ञ डा सत्येंद्र मित्तल के अनुसार जहां भूमि धंसाव में पानी का रिसाव हो रहा है वहां युद्ध स्तर पर केमिकल ग्रांऊटिंग का छिड़काव किया जाना चाहिए।
धामी ने बुलाई बैठक
सीएम धामी ने शुक्रवार की शाम को जोशीमठ धंसाव विषय पर एक आपात बैठक बुलाई है।जिसमे जन प्रतिनिधियों के साथ साथ शासन,प्रशासन और विशेषज्ञ भी बुलाए गए है।,
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