दुनियां की सबसे प्राचीन धार्मिक नगरी काशी को जल्द ही एक और नया आयाम मिलने जा रहा है। काशी खंड में वर्णित प्राचीन मंदिरों की खोज विद्द्वानों द्वारा की जाएगी। इसके लिए संस्कृत विश्वविद्यालय ने 16 विद्वानों की समिति बनाई है। कमेटी शोध कर मंदिरों का स्थान, महत्व और प्राचीनता पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग की ओर से प्रकाशित ग्रंथ ”काशी खंड” के आधार पर शास्त्रों के अनुसार विद्द्वानों द्वारा मंदिरों को चिन्हित किया जाएगा। जनवरी माह में समिति की चार चक्रों बैठक होगी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी फाइनल रिपोर्ट वाराणसी विकास प्राधिकरण को सौपेंगे।
पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, काशी विद्धतपरिषद और काशी विश्वनाथ धाम न्यास के अध्यक्ष प्रो नागेंद्र पांडेय, प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. रामनारायण द्विवेदी, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, डॉ. पद्माकर मिश्र, प्रो. हरिशंकर पांडेय, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, डॉ. रविशंकर पांडेय समेत कई अन्य विद्द्वान भी समिति रहेंगे।
वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक गोयल की पहल पर इस कार्य को किया जा रहा है। गूगल मैप पर काशी के इन प्राचीन मंदिरों का स्थान दिखेगा। भक्तों को पहुंचने में आसानी होगी। विद्द्वानों के द्वारा दी गई रिपोर्ट पर विचार विमर्श कर निकलने वाली त्रुटियों को भी दूर किया जाएगा। मंदिरों की प्रामाणिकता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। जनवरी माह के अंत तक फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ली जायेगी। दुर्लभ और प्राचीन मंदिरों को पहचान मिलेगी।
काशी की गलियों और घाटों पर सैकड़ों मंदिर है। जिनका इतिहास भी नही मिलता। इस शोध से काशी की प्राचीनता के बारे में भी लोग जान पाएंगे।
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