11 सितम्बर 2001 को अमेरिका में हुआ जिहादी हमला उस देश को ही नहीं, पूरी दुनिया को हिलाकर रख गया था। उसे आतंक की तरफ से विश्व को एक खुली चुनौती की तरह देखा गया था। ट्विन टॉवर पर हुए उस आतंकी हवाई हमले के साजिशकर्ता ओसामा बिन लादेन को बाद में पाकिस्तान की शरण में छुपे पाया गया था। वहां वह ऐबटाबाद की सैन्य छावनी के निकट एक किलेनुमा घर में पाकिस्तानी सेना की कथित पनाह में रह रहा था। तब अमेरिका ने मई 2011 में एक गुप्त अभियान में उस आतंकी को उसके अड्डे में घुसकर मारा था।
अब कुछ गोपनीय दस्तावेजों ने एक हैरान करने वाला खुलासा किया है। इसके अनुसार, 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले से करीब 9 महीने पहले ही ब्रिटेन वैश्विक आतंकी ओसामा बिन लादेन का खात्मा करने की पूरी तैयारी कर चुका था। पता यह भी चला है कि ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपने इस गुप्त अभियान के बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति से चर्चा भी की थी। लेकिन, अमेरिका ने ब्रिटेन के उस आपरेशन का क्रियान्वित नहीं होने दिया था।
ओसामा बिन लादेन, जो तब अल कायदा का सरगना था, ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तथा उसके रक्षा अधिष्ठान पेंटागन पर हमला बोला था। इस हमले को देखकर दहली दुनिया को इसकी विभीषकता का भान हुआ था और इसके विरुद्ध एकजुट होकर लड़ने की कसमें खाई गई थीं। अब जो गोपनीय दस्तावेजों से सामने आया है उससे लगता है कि संभवत: अमेरिका पर हुए उस हमले बचा जा सकता था, बशर्ते ब्रिटेन का वह अभियान सिरे चढ़ता।
जो बातें अब सामने आई हैं उनसे स्पष्ट होता है कि अमेरिका के नेताओं ने ब्रिटेन ने उस ऑपरेशन के बारे में शुरू में तो अपनी रजामंदी दे दी थी, लेकिन फिर उस पर लगाम लगवा दी। ब्रिटेन अभी उस अभियान पर आगे कुछ सोच पाता उससे पहले ही अमेरिका ने संभवत: दुनिया के सामने ‘आतंकवाद के विरुद्ध अपनी गंभीरता’ प्रदर्शित करने के लिए अफगानिस्तान में मौजूद बिन लादेन के गुप्त अड्डों पर मिसाइलों से हमला बोल दिया। नतीजा यह हुआ कि इस कार्रवाई से लादेन के कान खड़े हो गए। वह अफगानिस्तान में उस अड्डे को छोड़कर कहीं और जा छुपा।
अमेरिका की उक्त कार्रवाई से पहले बिन लादेन 1998 में अफ्रीकी देशों केन्या तथा तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर हमले कर चुका था। इतना ही नहीं, साल 2000 में उसने यमन में अमेरिकी नौसेना के यूएसएस कोल पर हमले किए थे। इन दोनों हमलों के दोषी ओसामा को अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई सरगर्मी से ढूंढ रही थी। तब तक ब्रिटेन लादेन को हमेशा के लिए खत्म करने का खाका तैयार कर चुका था, लेकिन अमेरिका ने किसी बहाने उसे निरस्त करा दिया और बाद में अफगानिस्तान में खुद उस जिहादी के ठिकानों पर मिसाइलों से हमले कर दिए, जिसमें वह बच निकला और उसने अमेरिका को ‘बर्बाद’ करने की कसमें खा लीं।
दस्तावेज बताते हैं कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ एक भोज में थे, जहां एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि सभी चाहते हैं ओबीएल (ओसामा बिन लादेन) को खत्म कर दिया जाए। प्रधानमंत्री ब्लेयर के विदेश नीति सलाहकार जॉन सॉवर्स का तब कहना था कि अमेरिकियों को कोई सबूत नहीं मिला है जो दिखाता हो कि युद्धपोत यूएसएस कोल पर हमला ओसामा बिन लादेन ने करवाया था। ऐसा है तो अमेरिका पुख्ता सबूत मिलने तक हवाई हमले शुरू नहीं करेगा।
दस्तावेज बताते हैं कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ एक भोज में थे, जहां एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि सभी चाहते हैं ओबीएल (ओसामा बिन लादेन) को खत्म कर दिया जाए। प्रधानमंत्री ब्लेयर के विदेश नीति सलाहकार जॉन सॉवर्स का तब कहना था कि अमेरिकियों को कोई सबूत नहीं मिला है जो दिखाता हो कि युद्धपोत यूएसएस कोल पर हमला ओसामा बिन लादेन ने करवाया था। ऐसा है तो अमेरिका पुख्ता सबूत मिलने तक हवाई हमले शुरू नहीं करेगा।
अमेरिका ब्रिटेन के आपरेशन के बारे में जान चुका था लेकिन तो भी बिल क्लिंटन के फरमान पर आगे बढ़ते हुए 20 अगस्त 1998 को अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत खोस्त में मौजूद लादेन के गुप्त अड्डे पर मिसाइलों से हमला बोल दिया गया। अमेरिका चाहता था ओसामा बिन लादेन का खात्मा हो। लेकिन आतंकी सरगना बिन लादेन उस हमले में बच निकला। अमेरिका का मिशन कामयाब नहीं हुआ पर इससे ब्रिटेन का अभियान भी धरा रह गया।
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