बिहार में नेपाल से सटे जिलों और पश्चिम बंगाल के साथ सीमा साझा करने वाले झारखंड के कई जिलों में मुस्लिम आबादी दोगुनी हो गई है। इसी अनुपात में लव जिहाद, जमीन जिहाद और जमीन पर कब्जे के मामले भी बढ़े हैं, पर राज्य सरकारें तुष्टीकरण में जुटी हुई हैं
बिहार और झारखंड में मुसलमान छल-बल से बड़े पैमाने पर हिंदुओं की जमीन कब्जा रहे हैं। खासकर, झारखंड में हिंदू समुदाय की लड़कियां जिहादियों के निशाने पर हैं। बिहार के सीमांत जिलों और झारखंड के संथाल परगना में अप्रत्याशित रूप से जनसांख्यिकीय बदलाव आया है। महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बढ़े हैं, फिर भी राज्य सरकारें तुष्टीकरण में जुटी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से सटे होने के कारण झारखंड में घुसपैठ हो रही है। संथाल परगना के दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा और जामताड़ा जिले में मुसलमानों की आबादी अप्रत्याशित रूप से तो बढ़ी ही है, इन इलाकों में महिलाओं के खिलाफ अपराध भी उसी अनुपात में बढ़े हैं। विधानसभा से लेकर संसद तक में यह मामला उठाया जा चुका है, लेकिन राज्य सरकार ने जिहादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में जनजातीय आबादी घटती जा रही है। राजमहल के भाजपा विधायक अनंत ओझा के अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठिए राज्य की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं। ये जनजातीय लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन भी हड़प रहे हैं। इस कारण राजमहल के आसपास के क्षेत्रों में जनसांख्यिक बदलाव आया है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस बरहेट विधानसभा से विधायक हैं, वह साहिबगंज जिले में आता है। इसी साहिबगंज में 17 दिसंबर को दिलदार अंसारी और उसके परिवार ने जनजातीय पहाड़िया समुदाय की रुबिका पहाड़िन की निर्मम हत्या कर दी। इसके बाद हत्यारों ने उसकी खाल उतारी और शव के 50 से अधिक टुकड़े कर आसपास के क्षेत्रों में फेंक दिए। मुख्य आरोपी दिलदार का मामा मोईनुल अंसारी अभी भी फरार है। इस घटना के दो दिन बाद ही साहिबगंज में पहाड़िया समुदाय की एक महिला के साथ सद्दाम ने बलात्कार किया। इसी तरह दुमका, जो हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन का विधानसभा क्षेत्र है, में 23 अगस्त को अंकिता नाम की युवती को शाहरुख ने पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था। दुमका के ही श्रीअमड़ा में 2 सितंबर को जनजातीय समाज की नाबालिग लड़की के साथ अरमान अंसारी ने दुष्कर्म किया था।
जब वह शादी का दबाव बनाने लगी तो अरमान ने उसकी हत्या कर शव को पेड़ से लटका दिया था। सितंबर में ही खूंटी और लोहरदगा में लव जिहाद के दो मामले आए थे। दोनों ही मामलों में जनजातीय समाज की नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म हुआ था। खूंटी में आरोपी फखरुद्दीन था और लोहरदगा में रब्बानी अंसारी उर्फ साजन उरांव। इसी तरह, 21 अक्तूबर को सिमडेगा के बानो प्रखंड में एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर बलात्कार किया गया, फिर उसकी हत्या कर दी गई। लड़की के परिजनों का आरोप था कि चांद अंसारी ने इस घटना को अंजाम दिया। ये सभी मामले लव जिहाद, जमीन जिहाद, पीएफआई और बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े पाए गए हैं।
एक जानकारी के अनुसार, संथाल परगना के कई गांवों में जनजातीय आबादी समाप्ति की ओर है। करीब 5 साल पहले खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा था कि राजमहल, उधवा, तालझारी, बरहेट के अयोध्या, वृंदावन, करमटोली, महाराजपुर गंगटिया, जोंका, तीन पहाड़, पाकुड़ के चंद्रापाड़ा, राशीपुर, जोगाडीह सहित दर्जनों गांव जो कभी जनजातीय बहुल थे, अब मुस्लिम बहुल हो चुके हैं। देखा गया है कि एक मुस्लिम की पहली पत्नी मुस्लिम होती है और दूसरी पत्नी जनजातीय समाज की।
जनजातीय समाज की जमीन कोई गैर-जनजातीय नहीं खरीद सकता, लेकिन यदि कोई जनजातीय लड़की किसी गैर-जनजातीय व्यक्ति से शादी कर ले तो आसानी से जमीन कब्जाई जा सकती है। इसी का लाभ उठाकर मुसलमान जनजातीय समाज की हजारों एकड़ जमीन कब्जा चुके हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में जब पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) सक्रिय था, उस समय इस समाज की जमीन सबसे अधिक खरीदी गई। पीएफआई के लोग या उसके समर्थक जमीन कब्जाने के लिए जनजातीय समाज की लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाते हैं। संदिग्ध गतिविधियों के लिए पीएफआई को सबसे पहले झारखंड में प्रतिबंधित किया गया था। अब पूरे देश में प्रतिबंधित होने के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि उसकी भूमिका खत्म हो गई है।
एक अन्य आंकड़े के अनुसार, 1994 में साहिबगंज जिले में 17,000 बांग्लादेशियों की पहचान की गई थी। मतदाता सूची से इनके नाम भी हटा दिए गए थे। लेकिन इन्हें वापस इनके देश नहीं भेजा गया। अब इनकी संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। बीते 50 साल में इन क्षेत्रों में जनजातीय आबादी काफी कम हो गई है, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग दुगुनी हो गई है। 1901 में राजमहल अनुमंडल में हिंदू जनजातीय आबादी लगभग 84 प्रतिशत थी, जबकि मुसलमान 9.38 प्रतिशत ही थे। 2011 में जनजातीय आबादी घटकर 26.80 प्रतिशत, जबकि मुस्लिम 34.61 प्रतिशत हो गए। इसी तरह, पाकुड़ में 2001 में मुस्लिम 33.11 प्रतिशत थे, जो 2011 में बढ़कर 35.87 प्रतिशत हो गए। गोड्डा जिले में भी मुस्लिम आबादी में जबरदस्त वृद्धि हुई है। यह बात वहां के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में कही है।
संथाल परगना में ही नहीं, पूरे झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ कर रहे हैं। खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, जमशेदपुर सहित कई जिलों में इन्होंने बस्तियां बसा ली हैं। दुमका की पूर्व विधायक लुईस मरांडी के अनुसार, झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का बड़ा गिरोह सक्रिय है, जो लव जिहाद और कन्वर्जन में लगा हुआ है। दुमका से पाकुड़ के रास्ते बेरोक-टोक बांग्लादेशी घुसपैठ कर रहे हैं और राज्य में चोरी, झपटमारी सहित कई अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। उनका आरोप है कि राज्य सरकार से घुसपैठियों को शह मिल रही है।
लुईस मरांडी की बातों पर गौर करें तो झारखंड में जबसे हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, आपराधिक मामले बेतहाशा बढ़े हैं खासकर महिलाओं के प्रति। झारखंड में 18 से 30 वर्ष की महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, झारखंड में 43 प्रतिशत महिलाएं अपराध की शिकार बन रही हैं। 2021 में सूबे में बलात्कार के 1425 मामले दर्ज किए गए, यानी औसतन हर 6 घंटे में एक महिला से बलात्कार हुआ। इसी तरह, महिलाओं पर हमले के 164 और इतने ही मामले बलात्कार के प्रयास के दर्ज किए गए। इनमें 46 मामलों में महिलाओं व बच्चियों से दूसरी बार बलात्कार हुआ। लेकिन 720 अपराधियों को ही सजा मिली।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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