भारत विश्व का अनूठा देश है, जिसकी सॉफ्ट पावर उसकी सभ्यतागत विरासत और सांस्कृतिक कौशल पर आधारित है। भारत की छवि ऐसे सौम्य देश की है जो सैन्य शक्ति होने के बावजूद स्वभाव से आक्रामक नहीं है, जिसकी बढ़ती सैन्य शक्ति को खतरे के रूप में नहीं देखा जाता है
कोरोना महामारी की पिछली लहरों के दौरान विश्व समुदाय अभिवादन के लिए नमस्ते करता नजर आया था। योग और आयुर्वेद की लोकप्रियता विश्व भर में बढ़ती जा रही थी। सब में भारत निहित था। यह भारत की सॉफ्ट पावर के कुछ सबसे स्पष्ट उदाहरण हैं। भारत विश्व का ऐसा अनूठा देश है, जिसकी सॉफ्ट पावर उसकी सभ्यतागत विरासत और सांस्कृतिक कौशल पर आधारित है। सॉफ्ट पावर के लिहाज से शक्तिशाली तो कई देश हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश अपनी संस्कृति को ‘पश्चिमीकृत’ करके या मिलता-जुलता दिखाकर मित्रता गांठने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। इसके विपरीत भारत सांस्कृतिक एकता और उसी में भरपूर विविधता वाला देश है। एक ऐसा लोकतांत्रिक देश, जिसकी आकांक्षाओं से भरी हुई, सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता से भरी हुई बहुत जीवंत जनसंख्या है। जिसकी अथाह सांस्कृतिक गहराई है, अपार तकनीकी क्षमता है और संकट काल में विश्व की मदद करने के लिए जिसके हजारों हाथ हैं।
विश्व में भारत की छवि एक ऐसे सौम्य देश की है जो लोकतंत्र, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, स्थिरता और प्रतिबद्धता के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी बढ़ती भूमिका को लेकर पूरी तरह निश्चिंत है। जो विश्व के संकटों को विश्व का साझा संकट मानता है। जो सैन्य शक्ति है, लेकिन स्वभाव से आक्रामक नहीं है और जिसकी बढ़ती सैन्य शक्ति को निकट और तमाम दूर देशों द्वारा खतरे के रूप में नहीं देखा जाता है। जो अपनी सहस्राब्दियों पुरानी सभ्यता और आधुनिक विकास की कहानी के कारण आज भी दुनिया के सभी क्षेत्रों के लिए कौतुक और रुचि पैदा करता है। वास्तव में भारत की सभ्यतागत गहराई और विस्तार लगभग सभी देशों के लिए सहज, सुलभ और उपयोगी सिद्ध हुई है। भारत को अपने सांस्कृतिक दायित्वों की गुरुता का पूरा अहसास है।
16 जनवरी, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायसीना डायलॉग में भारतीय विदेश नीति को स्पष्ट करते हुए भारत की सभ्यतागत विरासत के साथ वैश्विक संस्थानों के पुनर्गठन की बात कही थी। भारत का विदेश मंत्रालय भी अन्य सरकारी संगठनों के साथ आर्थिक सहयोग, विकास परियोजनाओं, कौशल के उन्नयन, छात्र आदान-प्रदान और छात्रवृत्ति, लोगों से लोगों के संबंध, प्रशिक्षण कार्यक्रम और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए व्यापक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कार्यक्रमों का संचालन और समन्वय करता है। इसमें रचनात्मक और ललित कला, पुरातत्व, शैक्षणिक सम्मेलन आदि शामिल हैं। यहां तक कि भारत के सशस्त्र बल भी भारतीय तटों से दूर आपदा क्षेत्रों में फंसे अन्य देशों को मानवीय और आपदाकालिक सहायता प्रदान करते हैं। यही कारण है कि भारत जब वैश्विक विषयों पर अपनी राय रखता है, तो वह नैतिकता की सशक्त धारणाओं से पुष्ट होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राएं भारत की सांस्कृतिक और सौम्य शक्ति को प्रस्तुत करने का एक विशिष्ट अवसर साबित होती रही हैं। भारत की फिल्मों और संगीत से लेकर योग की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा तक, भारत की कला से लेकर वास्तुकला तक, भारत के व्यंजनों से लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की विरासत तक, भारत की सौम्य छवि मेजबान देश के पटल पर स्थापित होती रही है। इस वर्ष जुलाई में मोदी ने भारत और मध्य एशिया के बीच आध्यात्मिक संबंधों को रेखांकित करके, भारत की बहुसांस्कृतिक विरासत पर जोर देकर मध्य एशिया में भारत की प्रचलित आलोचनाओं की धार कुंद कर दी। परिणाम, आज मध्य एशिया के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध हैं। इनमें अरब देश भी शामिल हैं और इस्राएल भी।
वास्तव में विदेशों में भारत की ‘ब्रांड वैल्यू’ को बढ़ाने के लिए एक सुविचारित प्रयास पहली बार हो रहा है। जानी-मानी संचार और जनसंपर्क सलाहकार कंपनी पोर्टलैंड ने सॉफ्ट पॉवर की वैश्विक रैंकिंग जारी करते हुए कहा था, ‘‘मोदी का भारत निश्चित रूप से एक ‘सॉफ्ट पावर प्लेयर’ है, जिस पर आने वाले वर्षों में नजर रखी जाएगी।’’ उदाहरण के लिए, विश्व संस्कृत सम्मेलन पहले भी होते थे और भारत के बाहर भी होते थे, लेकिन अब उनमें भारत की भागीदारी बहुत बड़े पैमाने पर होती है। भारत संस्कृत भाषा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विद्वानों को ‘अंतरराष्ट्रीय संस्कृत पुरस्कार’ से सम्मानित करता है। संस्कृत भाषा या साहित्य में भारत में शोध करने वाले विदेशी विद्वानों के लिए फेलोशिप प्रदान करता है और नए शिक्षार्थियों के लिए भारत में अध्ययन या शोध करने के अवसर प्रदान करता है।
भारत की आईटी क्षमता भारत की सॉफ्ट पावर का बहुत बड़ा स्रोत बन कर उभरी है। आज भारत खास तौर पर दोपहिया वाहनों के बाजार का विनिर्माण केंद्र है, छोटी कारों का बड़ा बाजार है, जेनेरिक दवाओं का सबसे विशाल स्रोत है, वैक्सीन निर्माण में विश्व का अग्रणी देश है। विश्व ने देखा है कि जब उसे कोरोना संकट का सामना करना पड़ा था, तो किस प्रकार भारत पूरी शक्ति से उसकी मदद के लिए सामने आया था। यह भारत की वह शक्ति है, जिसके लिए बहुत पहले कहा गया था… हमने तो दिलों को जीता है।
भारत की सॉफ्ट पावर बौद्ध धर्म, योग, नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार और भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों (जकार्ता, बाली, बैंकॉक) और स्मारकों (कंबोडिया, वियतनाम, लाओस) के संयुक्त पुनरुद्धार के रूप में परिलक्षित होती है। इनमें से योग भारत का सबसे सफल और सबसे लोकप्रिय सॉफ्ट-पावर स्रोत बनकर उभरा है। प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर नई दिल्ली में सामूहिक योग कार्यक्रम में हजारों लोगों का नेतृत्व स्वयं प्रधानमंत्री ने किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में योग की अपार लोकप्रियता को तो दर्शाता ही है, वह इसमें निहित विज्ञान और इसकी समृद्ध ज्ञान परम्परा को भी रेखांकित करता है। भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना के प्रस्ताव के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में 175 सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त करने में सफल रही थी। भारत में जन्मे योग के कार्यक्रम अब छह महाद्वीपों के 192 देशों में आयोजित होते हैं।
भारत ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए प्रवासी भारतीय मामलों के एक नए मंत्रालय का गठन किया है। यह भारत की सही प्रस्तुति के लिए एक नया तंत्र और नई व्यवस्था है। वास्तव में, भारतीय प्रवासियों को भारत की सॉफ्ट पावर के राजदूतों के रूप में देखा जाता है। 2014 से सरकार ने भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के लिए संसाधनों और परियोजनाओं में निवेश में भी वृद्धि की है। विदेशों में भारतीय दूतावासों की संख्या बढ़ाई गई है और जो नए राजनयिक मिशन और सांस्कृतिक केंद्र बनाए गए हैं, उनमें भारत की वास्तुकला की विविध शैलियों का उपयोग किया गया है।
आसियान, बिम्सटेक और सार्क जैसे क्षेत्रीय समूहों के साथ संबंधों को पुनर्जीवित किया गया है और ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’, ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के माध्यम से पूर्वी और दक्षिण एशियाई देशों के साथ रणनीतिक, सांस्कृतिक, राजनयिक और आर्थिक संबंधों को गहन करने के अभियान शुरू किए गए हैं। आज विश्व का अधिकांश हिस्सा भारत को एक शांतिपूर्ण उभरती हुई शक्ति की छवि में देखता है, जो सहिष्णु है और बहुसांस्कृतिक लोकतंत्र है।
जो एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था भी है और एक बड़ी आर्थिक सफलता की कहानी रच रही है। उदाहरण के लिए, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों का लक्ष्य भले ही घरेलू उत्पादन और विकास को प्रोत्साहित करना हो, वास्तव में इससे विश्व अर्थव्यवस्था में भारत एक अधिक कुशल, प्रतिस्पर्धी और लचीले देश के रूप में भी पेश होता है।
इसी प्रकार, भारत की आईटी क्षमता भारत की सॉफ्ट पावर का बहुत बड़ा स्रोत बन कर उभरी है। आज भारत खास तौर पर दोपहिया वाहनों के बाजार का विनिर्माण केंद्र है, छोटी कारों का बड़ा बाजार है, जेनेरिक दवाओं का सबसे विशाल स्रोत है, वैक्सीन निर्माण में विश्व का अग्रणी देश है। विश्व ने देखा है कि जब उसे कोरोना संकट का सामना करना पड़ा था, तो किस प्रकार भारत पूरी शक्ति से उसकी मदद के लिए सामने आया था। यह भारत की वह शक्ति है, जिसके लिए बहुत पहले कहा गया था… हमने तो दिलों को जीता है।
टिप्पणियाँ