गोवा में पाञ्चजन्य के सागर संवाद में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हिस्सा लिया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया, वहीं गोवा के विकास और इतिहास पर खुलकर चर्चा की। पंच प्रण में औपनिवेशिक दासता की मानसिकता से मुक्त हुए बिना भारत आगे नहीं बढ़ सकता। गोवा में औपनिवेशिक दासता से मुक्ति के लिए आप कोई पहल करेंगे। इस सवाल पर गोआ के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा मुक्ति संग्राम में शामिल सभी बलिदानियों को मैं प्रणाम करता हूं। गोवा अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति नहीं पा सका, गोवा के लोगों को यह मुक्ति मिले हम इसी बात को लेकर चल रहे हैं।
चर्चा में आगे उनसे पूछे गए सवाल कि गोवा में आज की अगर बात करें, तो भाजपा दोबारा सत्ता में आई है। आप की छवि अच्छी है, लेकिन छवि के साथ सुशासन भी ठीक रहे, यह भी महत्वपूर्ण है। सुशासन के लिए आपने क्या किया? इस पर उन्होंने कहा कि अटल जी को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अटल जी के सुशासन को लेकर ही मनोहर पर्रीकर जी चलते थे। गोवा सबसे आगे है। गोवा में सुशासन का संकल्प है, हम उसी को लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं।
गोवा के लिए आत्मनिर्भरता बड़े स्तर पर पर्यटन पर टिकी है। मौज-मस्ती का ठिकाना बना रहे या इसके सांस्कृतिक विरासत को बचाना । इस प्रश्न का उत्तर देते हुए, उन्होंने कहा कि यहां बीच पर्यटन पर लोग मौज-मस्ती के लिए आते हैं। गोवा आध्यात्मिक पर्यटन, वेलनेस पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
आयुर्वेद की संभावनाएं आपने कैसे देख लीं इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का धन्यवाद है। जो श्रीपद नायक जी के समय में आयुष अस्पताल गोवा में शुरू हो सका। यहां चार दिन का विश्व आयुर्वेद सम्मेलन हुआ। उसी दिन गोवा के दूसरे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री ने किया था।
प्रमोद सावंत जी से जब ये प्रश्न किया गया कि अभी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आई थी कन्वर्जन को लेकर गोवा के संदर्भ में उस टिप्पणी को आप कैसे देखते हैं और आगे का रास्ता कैसा है। इस पर उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि गोवा में पहले से समान नागरिक संहिता लागू है। बीच-बीच में यहां कन्वर्जन की घटनाएं होती थीं, लेकिन हमारी सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। गोवा के लोग चाहे हिंदू हों, कैथोलिक हों, वे भाईचारे के साथ यहां रहते हैं। लेकिन कुछ बाहरी तत्व लोगों को कन्वर्जन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इसे सहन नहीं किया जाएगा।
बाकी दुनिया भविष्य में गोवा को कैसे देखे। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां की इकोनॉमी यहां से लौह अयस्क निर्यात होता था। बीच में बंद था, अब हम फिर माइनिंग शुरू कर चुके हैं। टूरिज्म के साथ-साथ आयरन जिसका गोवा की इकोनॉमी में और भी योगदान करेगा। इसके अलावा पीपीपी प्रोजेक्ट हैं।
देश में युवा नेताओं की कतार में आप काफी आगे हैं। देश का युवा राजनीति में बदलाव चाहता है। आपकी राजनीति परंपरागत राजनीति से अलग कैसे हैं? आपकी कार्यसंस्कृति क्या है? गोवा की जकड़न खत्म करने के लिए प्रमोद सावंत की कल्पना क्या है? इस सवाल पर उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के नवनिर्माण में गोवा पीछे न छूटे। हम देश के साथ आगे बढ़े। राज्य के लिए काम करना, राज्य के लोगों के लिए काम करना, हम डबल इंजन की सरकार का फायदा कैसे यहां के लोगों को दे सकें, इसके लिए हमारी सरकार काम कर रही है।
आपकी सरकार के भौतिक लक्ष्य क्या हैं? वादों को पूरा करने की दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे? इस प्रश्न पर उत्तर देते हुए प्रमोद सावंत ने कहा कि राज्य का मूल्यांकन सतत विकास लक्ष्य के आधार पर होता है। 2017 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तो हम सतत विकास लक्ष्य में 7वें नंबर पर थे। 2021 में जब राज्य का सतत विकास मूल्यांकन हुआ तो हम 4 नंबर पर आ गए थे। सतत विकास लक्ष्य संख्या 6 यानी स्वच्छ जल एंव स्वच्छता में हमें सौ प्रतिशत अंक मिले। इसी तरह लक्ष्य संख्या 7 यानी अक्षय ऊर्जा में हमें 100 प्रतिशत अंक मिले। यह हमारी उपलब्धि है। हमारी विजन और मिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और ह्यूमन डेवलपमेंट है। आत्मनिर्भर गोवा के लिए हमने स्किल गोवा का लक्ष्य बनाया है।
राजनीति में सतत विकास के लिए प्रमोद सावंत की क्या सोच है? कांग्रेसमुक्त देश के प्रधानमंत्री के आह्वान को प्रमोद सावंत ने कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बौद्धिक विपक्ष रहना चाहिए। जो हमारे साथ आना चाहता हैं, उसका स्वागत है। मैं चाहता हूं कि दुनिया गोवा को केवल मौज मस्ती के लिए न जाना जाए बल्कि सुशासन संवाद के लिए भी इसे जाना जाए। पर्पल महोत्सव 5 से 8 जनवरी तक दिव्यांग महोत्सव, आयुर्वेद महोत्सव, फिल्म महोत्सव के लिए गोवा प्रसिद्ध रहा है।
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