गत दिसंबर को नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेट गवर्नेंस फोरम यानी आईआईजीएफ का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इसमें इंटरनेट से संबंधित सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर विशद चर्चा हुई। एक प्रकार से यह एक ‘हाइब्रिड’ आयोजन रहा।
इस अवसर पर डिजिटलीकरण के रोडमैप के साथ ही इंटरनेट गवर्नेंस पर अंतरराष्ट्रीय नीति के विकास में भारत की भूमिका और महत्व को ध्यान में रखकर इसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थापित करने पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए द इंटरनेट कापोर्रेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स यानी आईसीएएनएन बोर्ड की अध्यक्ष तृप्ति सिन्हा ने कहा कि यह मंच विभिन्न हितधारकों को साथ लाने और इंटरनेट से संबंधित सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर देता है। आईसीएएनएन यह ध्यान देता है कि नीतियों को समुदाय के वैश्विक बहु-हितधारकों द्वारा विकसित किया जाए।
हम भारत के व्यापक इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र (वर्तमान में 800 मिलियन यूएसपी) के विकास को स्वीकारते हैं, जिसके 2018 में केवल 400 मिलियन उपयोगकर्ताओं की तुलना में 2023 तक बढ़कर 900 मिलियन से अधिक हो जाने का अनुमान है।
आज पूरी संभावना है कि हम ग्रामीण भारत को इंटरनेट से लाभान्वित करने और इसे वास्तव में डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने में सक्षम रहेंगे।
आईआईजीएफ के इस द्वितीय आयोजन को संबोधित करते हुए नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज या ‘निक्सी’ के सीईओ अनिल कुमार जैन ने कहा, ‘‘इंडिया इंटरनेट गवर्नेंस फोरम के माध्यम से, हम आर्थिक विकास के लिए इंटरनेट की शक्ति का उपयोग करने में सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं’’।
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