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विकास का संकल्प

बजट 2024-25 में नीतिगत निरंतरता, सुधार, नए अवसरों का सृजन, चुनौतियों से निपटने की राह तो है ही, ‘विकसित भारत’ की झलक भी दिखती है। सरकार द्वारा चिह्नित नौ प्राथमिकताएं सशक्त, समर्थ, समृद्ध और संभावनाओं से परिपूर्ण ‘नए भारत’ की हैं

by नागार्जुन
Jul 29, 2024, 05:40 pm IST
in भारत, विश्लेषण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार 7वीं बार बजट पेश किया। 2024-25 के बजट में गरीब, महिलाओं, युवा और अन्नदाता पर विशेष जोर दिया गया है। अंतरिम बजट में ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार करने का वादा किया गया था। इस दिशा में 9 प्राथमिकताएं चिह्नित की गई हैं। इसमें नई पीढ़ी के लिए अवसर सृजित करने के साथ कृषि, रोजगार, मानव संसाधन विकास, नवोन्मेष, अनुकूल औद्योगिक वातावरण बनाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं, जो सशक्त, समृद्ध, समर्थ और संभावनाओं से परिपूर्ण भारत बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। खास बात यह है कि देश जिन क्षेत्रों में पिछड़ा हुआ है, उन पर भी जोर दिया गया है।

दुनिया के दो हिस्सों में लगभग आग लगी हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने सर्वग्रासी लहर का रूप धारण कर रखा है। उधर, पश्चिम एशिया की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। देश में कई तरह की चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। महंगाई आसमान छू सकती थी, अगर रूस से कच्चे तेल का आयात न किया जाता। मौसमी सब्जियों को छोड़ दें तो महंगाई नियंत्रित दिख रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई चार वर्ष के न्यूनतम स्तर पर थी और अभी भी स्थिर बनी हुई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के नीतिगत अनिश्चितता की गिरफ्त में होने के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि शानदार अपवाद बनी हुई है और आने वाले वर्षों में भी यह वृद्धि दर बनी रहेगी। पूरी दुनिया में महंगाई आसमान छू रही है, लेकिन भारत में अभी मुख्यतया गैर-खाद्य, गैर-र्इंधन में महंगाई दर 3.1 प्रतिशत है। इसका श्रेय वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को जाता है। अमेरिका के साथ संबंधों में संतुलन साधते हुए विदेश मंत्रालय ने न सिर्फ रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखा, बल्कि अमेरिका के प्रचंड विरोध से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाए रखा है। इसके बावजूद विपक्षी दल महंगाई का राग अलाप रहे हैं।

2022-23 में सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत था, जिसे 2023-24 में घटाकर 5.9 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया। नतीजा, राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.6 प्रतिशत तक आ गया। अब 2024-25 में इसे 4.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है। कोविड के बाद देश की अर्थव्यवस्था की जो स्थिति थी, उसे देखते हुए वित्तीय अनुशासन बनाए रखना बहुत कठिन था। लेकिन वित्तीय अनुशासन से राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगा, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इससे विदेशी निवेशकों के बीच सकारात्मक संदेश जा रहा है।

‘विकसित भारत’ के 9 आधार

इस बार बजट में ‘विकसित भारत’ के लिए जिन 9 आधारों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, वे हैं-
कृषि : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कृषि क्षेत्र की उत्पादकता और क्षमता हमारी प्राथमिकता है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए अगले दो वर्ष में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भरता, सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित करने के साथ कृषि क्षेत्र में डिजिटल ढांचा विकास और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

कृषि क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के 1.25 लाख करोड़ रुपये से 21.6 प्रतिशत यानी 25,000 करोड़ रुपये अधिक है। इसके अलावा, देश के 400 जिलों में डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का उपयोग कर खरीफ फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा। सब्जियों की आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने के लिए एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर्स कंपनियों की मदद ली जाएगी। भंडारण और विपणन पर जोर दिया जाएगा। फसल को मौसम की मार से बचाने के लिए 32 फसलों की 109 किस्में लाई जाएंगी और किसानों की मदद के लिए 5 राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। बजट में आपूर्ति शृंखला को और विकसित करने के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजूबती प्रदान की जाएगी।

रोजगार : भारत की तेजी से बढ़ती आबादी में 65 प्रतिशत युवा 35 वर्ष से कम उम्र के हैं। इनमें लगभग 51.25 प्रतिशत युवा ही रोजगार के योग्य हैं। युवाओं का कौशल विकास कर उद्योगों की मांग पूरी की जाएगी। सरकार ने 5 वर्ष में 4.1 करोड़ युवाओं के रोजगार और कौशल विकास का लक्ष्य रखा है। रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए तीन योजनाओं की घोषणा की गई है। पहली, ईपीएफओ में पहली बार पंजीकृत युवाओं को 3 किस्तों में 15,000 रुपये तक दिए जाएंगे। यह राशि डीबीटी के जरिए खाते में हस्तांतरित की जाएगी। इससे 30 लाख युवा लाभान्वित होंगे। दूसरी, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार देने वालों को इंसेंटिव दिया जाएगा।

ईपीएफओ के योगदान के आधार पर नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों को 4 वर्ष में इंसेंटिव मिलेगा। तीसरी, नियोक्ताओं को नए कर्मचारियों की नियुक्ति पर ईपीएफओ अंशदान के लिए 2 वर्ष तक प्रतिमाह 3,000 रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, 500 शीर्ष कंपनियों से 1 करोड़ युवाओं को युवाओं को इंटर्नशिप पर रखने को कहा गया है, जिसके सरकार लिए एक वर्ष तक 5,000 रुपये स्टाइपेंड देगी। यही नहीं, राज्य सरकारों और उद्योग की मदद से प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा की गई है। इसका उद्देश्य 1,000 आईटीआई को उन्नत करना और 5 वर्ष में 20 लाख युवाओं का कौशल विकास कर रोजगार देना है।

मानव संसाधन : तीसरी वरीयता समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय को दी गई है। इसमें वंचित समुदायों, महिला उद्यमियों सहित हाशिये पर खड़े समूहों के उत्थान और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने वाली कई प्रमुख पहल शामिल हैं। वनवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान में 63,000 गांव शामिल किए जाएंगे। इससे 5 करोड़ वनवासियों को लाभ होगा। वहीं, ‘पूर्वोदय पहल’ के तहत बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश सहित पूर्वी क्षेत्र का व्यापक विकास किया जाएगा।

इसमें मानव संसाधन विकास, बुनियादी ढांचा और आर्थिक विकास पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए 2.66 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की 100 से अधिक शाखाएं स्थापित की जाएंगी। कारीगरों, कलाकारों, स्वयं सहायता समूहों, अनुसूचित जाति और जनजाति, महिला उद्यमियों और रेहड़ी-पटरी वालों की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पीएम विश्वकर्मा, पीएम स्वनिधि, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय आजीविका मिशन और स्टैंड अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों में तेजी लाई जा रही है।

विनिर्माण और सेवाएं : बजट में एमएसएमई और विनिर्माण, विशेषकर श्रम-प्रधान विनिर्माण पर जोर दिया गया है। अलग से गठित स्व-वित्तपोषण गारंटी कोष हर आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक की गारंटी सुरक्षा प्रदान करेगा, जबकि ऋण राशि इससे अधिक हो सकती है। इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बाहरी मूल्यांकन पर निर्भर रहने के बजाए एमएसएमई को ऋण देने के लिए अपनी आंतरिक मूल्यांकन क्षमता बढ़ाएंगे।

‘तरुण’ श्रेणी के तहत जिन लोगों ने कर्ज चुका दिए हैं, उनकी ऋण की मौजूदा सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की जाएगी। साथ ही, 50 खाद्य विकिरण इकाइयों, एनबीएल मान्यता के साथ 100 खाद्य गुणवत्ता व सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाएं और ई-कॉमर्स निर्यात केंद्रों की स्थापना करने में आर्थिक सहायता दी जाएगी। ई-कॉमर्स निर्यात केंद्रों को सार्वजनिक निजी भागीदारी से विकसित किया जाएगा, जो एमएसएमई और पारंपरिक कारीगरों को अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचने में सक्षम बनाएंगे। एमएसएमई के लिए संकट काल के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा भी दी जाएगी।

शहरी विकास : प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के तहत 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए आवास बनाने पर 10 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 5 वर्ष तक 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है। राज्य सरकारों और बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ साझेदारी से सरकार बैंक योग्य परियोजनाओं के माध्यम से 100 बड़े शहरों में जलापूर्ति, सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देगी। इसके अलावा, रेहड़ी-पटरी वालों का जीवन स्तर सुधारने के लिए पीएम स्वनिधि योजना के तहत अगे 5 वर्ष में हर वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या ‘स्ट्रीट फूड हब’ स्थापित करने की योजना है।

ऊर्जा सुरक्षा : अंतरिम बजट में की गई घोषणा के अनुरूप छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना शुरू की गई है, ताकि 1 करोड़ घरों को हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिल सके। इस योजना में 1.28 करोड़ से अधिक पंजीकरण और 14 लाख आवेदन किए गए हैं। उम्मीद है कि परमाणु ऊर्जा, विकसित भारत के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगी।

बुनियादी ढांचा : सरकार ने बीते कुछ वर्षों के दौरान बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सरकार इसे अगले 5 वर्ष तक बनाए रखने का प्रयास करेगी। इसके लिए 11,11,111 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है। जनसंख्या वृद्धि के कारण 25,000 ग्रामीण बस्तियों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण की भी घोषणा की गई है। बिहार को इस बजट में खास तौर पर 58,900 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

इसमें 26,000 करोड़ रुपये सड़क परियोजनाओं के लिए, जबकि 21,400 करोड़ रुपये विद्युत संयंत्र और 11500 करोड़ रुपये बाढ़ नियंत्रण के लिए दिए जाएंगे। वहीं, आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को बाढ़ प्रबंधन, भूस्खलन एवं संबंधित परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचे में दीर्घावधि निवेश के लिए ब्याज मुक्त 1.5 लाख करोड़ रुपये देने का भी बजट में प्रावधान है।

नवाचार, अनुसंधान और विकास : बुनियादी अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान कोष बनाया जाएगा, जिसमें वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। अगले 10 वर्ष में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पांच गुना करने का लक्ष्य है। इसके लिए 1,000 करोड़ रुपये का उद्यम पूंजी कोष स्थापित किया जाएगा।

अगली पीढ़ी के सुधार : आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक नीति ढांचा, श्रम सुधार और एफडीआई नियमों के सरलीकरण की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की गई है। श्रमिकों को रोजगार और कौशल विकास सहित कई सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ उद्योग व व्यापार के लिए अनुपालन आसान बनाने के लिए श्रम सुविधा और समाधान पोर्टलों का नवीनीकरण किया जाएगा। ई-श्रम पोर्टल का अन्य पोर्टलों के साथ व्यापक एकीकरण इस तरह के वन-स्टॉप समाधान की सुविधा प्रदान करेगा। नाबालिगों के लिए एनपीएस वात्सल्य योजना शुरू होगी, जिसमें माता-पिता और अभिभावक अंशदान करेंगे। वयस्क होने पर योजना को सामान्य एनपीएस खाते में आसानी से परिवर्तित किया जा सकता है। ईज आॅफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए जन विश्वास विधेयक 2.0 पेश किया जाएगा।

नागार्जुन / आलोक पुराणिक

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