संयुक्त राष्ट्र में भारत एक बार फिर दमदारी के साथ अपने राष्ट्रीय हितों के साथ खड़ा है। यही वजह है कि भारत ने साफ शब्दों में प्रतिबंध झेल रहे देशों को मानवीय मदद के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का विरोध किया है। भारत की विदेश नीति की अनेक देश तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। भारत अकेला ऐसा देश था जो इस कथित मानवीय मदद के प्रस्ताव के विरोध में खड़ा था जबकि अन्य सदस्य देश इसका अनुमोदन कर चुके थे।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र में हाल में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि प्रतिबंधित देशों में भी मानवीय सहायता पहुंचनी चाहिए जिसके लिए ऐसे देशों में छूट लागू होनी चाहिए। प्रस्ताव का आशय था कि प्राकृतिक आपदाओं या मुसीबत की घड़ी में ऐसे देशों के लोगों को मानवीय मदद पहुंचाई जा सके। सभी सदस्य देशों ने ‘मानवीय सहायता’ के नाम पर इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाला, सिवाय भारत के।
भारत को आशंका है कि इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद ये सभी आतंकी संगठन ‘चैरिटी संस्थाएं’ बनाकर अपने को ‘मानवीय संगठन’ बताएंगे जिससे कि उन पर लगाए गए प्रतिबंधों में उन्हें छूट मिल जाए और वे बेखटके आतंकियों के लिए जमकर पैसा जुटाएंगे।
भारत की संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने दमदारी के साथ इस पर भारत का पक्ष और आपत्तियां सामने रखीं। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि भारत के पड़ोसी देश में काली सूची में डाले गए अनेक आतंकी समूह हैं। ऐसे समूहों ने इस तरह की ‘सहायता’ का हमेशा दुरुपयोग किया है। उन आतंकी गुटों ने मानवीय सहायता के नाम पर पैसा इकट्ठा किया है जिससे आतंकियों की भर्ती करने का भी खुलासा हुआ है।

कंबोज ने अपने वक्तव्य में पाकिस्तान का परोक्ष रूप से उल्लेख संभवत: इसलिए भी किया क्योंकि कुछ वक्त पहले वहां अतिवृष्टि की वजह से भीषण कहर बरपा था। उस दौरान विदेशों से वहां काफी पैसा और राहत सामग्री पहुंचाई गई थी। ऐसे समाचार मिले थे कि वहां मौजूद अनेक प्रतिबंधित आतंकी गुटों ने उस पैसे और सामान तक अपनी पहुंच बनाकर उन्हें गलत कामों के लिए इस्तेमाल किया था।
रुचिरा कंबोज के इस कथ्य में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि परिषद के इस प्रस्ताव के पारित होने से अनेक आतंकवादी संगठनों को खुली छूट मिल जाएगी। कारण यह कि ये गुट ‘मानवीय सहायता’ के नाम पर पैसे जुटाते आए हैं। उस पैसे से वे आतंकवादियों की भर्तियां करते देखे गए हैं। भारत को आशंका है कि इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद ये सभी आतंकी संगठन ‘चैरिटी संस्थाएं’ बनाकर अपने को ‘मानवीय संगठन’ बताएंगे जिससे कि उन पर लगाए गए प्रतिबंधों में उन्हें छूट मिल जाए और वे बेखटके आतंकियों के लिए जमकर पैसा जुटाएंगे। कंबोज ने पाकिस्तान में मौजूद अनेक आतंकी संगठनों का भी जिक्र किया, जैसे कुख्यात आतंकी सरगना हाफिज सईद का जमात-उद-दावा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के इस तरह का मत रखे जाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने इसकी प्रशंसा की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के उक्त प्रस्ताव पर भारत के मत को एकदम स्पष्ट तरीके से रखने को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तारीफ की। थरूर ने इस संदर्भ में अपने ट्वीट में लिखा, ”…प्रस्ताव के पीछे की मानवीय चिंताओं को समझते हुए, मैं भारत की उन आपत्तियों से पूरी तरह सहमति व्यक्त करता हूं, जिन्होंने उसे इसके बहिष्कार को प्रेरित किया है। इसको सिद्ध करने वाले प्रमाण के लिए हमें अपनी सीमा से ज्यादा दूर तक देखने की जरूरत नहीं है। वेल डन!”
टिप्पणियाँ