उत्तराखंड राज्य बने हुए 22 साल हो गए हैं फिर भी देहरादून-हरिद्वार के भू- राजस्व का रिकॉर्ड सहारनपुर में क्यों पड़ा हुआ है? इसका जवाब उत्तराखंड सरकार नहीं दे पा रही है। इसी तरह उत्तराखंड में आवास विकास विभाग की जमीन भवनों की खरीद फरोख्त रजिस्ट्रियां, दाखिल खारिज क्यों नहीं हो रही हैं? इस पर यूपी आवास विकास को क्यों आपत्ति है इसका समाधान अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है? कोई जवाब देने को राजी नहीं।
उत्तराखंड में में पिछले कुछ सालों से सहारनपुर अभिलेखाकार कार्यालय से एक खेल चल रहा है, यहां से शत्रु संपत्तियों के कथित वारिस पैदा होकर देहरादून और हरिद्वार की संपत्तियों पर अपने दावे कर रहे हैं। इस खेल में बड़े-बड़े भू माफिया लिप्त बताए जा रहे हैं। यहां तक कि सरकारी संपत्तियों के भी वारिस पैदा हो गए हैं।
दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड राज्य गठन के 22 साल बाद भी यूपी के सहारनपुर से भू राजस्व अभिलेखों का रिकॉर्ड देहरादून कमिश्नरी में नहीं पहुंचा है, यूपी के वक्त से ये रिकॉर्ड सहारनपुर कमिश्नरी होने की वजह से वहीं है। उत्तराखंड सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर यूपी सरकार से गंभीरता से बात नहीं की है। जबकि संविधान के अनुसार ये भू राजस्व का रिकॉर्ड उत्तराखंड आ जाना चाहिए था।
इस रिकॉर्ड के उत्तराखंड में नहीं होने से सहारनपुर देवबंद के भू माफिया देहरादून में स्थानीय लोगों पर केस दर्ज करने में लगे हुए हैं। इसमें देहरादून नगर निगम के कुछ लिपिक भी इस षडयंत्र में शामिल बताए जाते हैं।
एक और मुद्दा यूपी आवास विकास परिषद से जुड़ा हुआ है। यूपी से विभाजन के बाद उत्तराखंड को यूपी आवास विकास परिषद ने संपत्तियों के अभिलेख हस्तांतरित नहीं किए। उत्तराखंड आवास विकास परिषद का गठन हो जाने के बावजूद इन दोनों राज्यों के विभागों की पत्रावलियां चलते चलते बीस साल हो गए हैं। जानकारी के अनुसार आवास विकास कॉलोनियों में रहने वाले करीब 22 हजार लोगों की रजिस्ट्रियां और दाखिल खारिज लंबित पड़े हुए हैं। पिछले दिनों दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस मुद्दे पर समाधान बैठक भी की थी, किंतु इसके बावजूद दोनों विभाग अभी तक कागजी कार्रवाई में ही उलझे हुए हैं और हजारों लोग परेशान घूम रहे हैं।
जरूरत इस बात की है कि उत्तराखंड सरकार इन दोनों मुद्दों पर यूपी सरकार से गंभीरता से बात करे और दोनों राजस्व अभिलेखों को उत्तराखंड लाए जाने का प्रयास करे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ये बात कह चुके हैं कि दोनों राज्यों के बीच संपत्ति को लेकर कोई विवाद अब बाकी नहीं है। ये बात सही भी है कि विवाद कोई नहीं है, परंतु मुद्दा संपत्ति भू आलेखों के हस्तांतरण का है। यदि जमीनों के रिकॉर्ड ही उत्तराखंड को नहीं मिलेंगे तो ऐसे में विवाद बने रहेंगे और भू माफिया इसका फायदा उठाते रहेंगे।
टिप्पणियाँ