लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर अपने विमान से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण भारतीय वेशभूषा शर्ट-लुंगी और कंधे पर गमछा पहने बीएचयू के एंफीथिएटर में अपने संबोधन की शुरुआत हर-हर महादेव, वणक्कम काशी, वणक्कम तमिलनाडु से की। तमिलनाडु से आए नौ शैव पीठों के आधीनम (धर्माचार्य) का वंदन, अभिनंदन किया। प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में आयोजन का उद्देश्य राष्ट्रीय एकात्मता को बताया। छांदोग्योपनिषद के सूत्र “एकोहं बहुस्याम:” के माध्यम से कहा, ईश्वर ने कहा है, मैं एक ही हूं, बहुत से रूपों में प्रकट हुआ हूं। यहां भी एक ही चेतना है जो पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधती है, वही चेतना आज विभिन्न रूपों में यहां प्रकट हो रही है। विष्णु पुराण में कहा गया है
“उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षंतद् भारतं नाम भारती यत्र संतति:। “
अर्थात समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में जो भूमि है, उसे भारत भूमि कहते हैं और हम सब भारतीय इसकी संतति हैं। हम सुबह उठकर “सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालम्ओम्कारेश्वरममलेश्वरम्” (द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति) के माध्यम से केदारनाथ से रामेश्वरम तक का ध्यान करते हैं।
राष्ट्रीय एकता के इसी भाव पर बल देते हुए संघ की शाखाओं में प्रात: काल गाए जाने वाले एकात्मता स्तोत्र
“गंगा सरस्वती सिंधु: ब्रह्मपुत्रश्च गंडकी।
कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी”
में याद दिलाया जाता है कि हम वही भारतीय हैं जो प्रात:काल उठकर देश की सभी नदियों का स्मरण करते हैं। यह नदियां उत्तर की हैं तो दक्षिण भारत की भी। श्री मोदी ने काशी के निर्माण में तमिल विभूतियों के योगदान को याद किया। महाकवि सुब्रह्मण्य भारती को नमन करते हुए कहा, भारत वो राष्ट्र है, जिसने हजारों वर्षों से “सं वो मनांसि जानताम” के मंत्र से एक दूसरे के मनों को जानते हुए, सम्मान करते हुए स्वाभाविक सांस्कृतिक एकता को जिया है। मेरा अनुभव है कि रामानुजाचार्य और शंकराचार्य से लेकर चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य जी और सर्वपल्ली राधाकृष्णन, राजेश्वर शास्त्री, पट्टाभिराम शास्त्री तक दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आयोजित काशी तमिल संगमम् उत्तर और दक्षिण भारत के दर्शन, संस्कृति और साहित्य की गौरवशाली विरासत को एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना के अनुरूप समृद्ध करेगा। केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्य मंत्री डा. एल मुरुगन ने कहा काशी की पावन भूमि से महाकवि भरतियार (सुब्रह्मण्य भारती) के एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार किया जा रहा है। काशी-तमिल संगमम् के उद्घाटन समारोह में स्वागत करते हुए डा. मुरुगन ने कहा कि स्वतंत्रता और महिलाओं के लिए लडऩे वाले सुब्रह्मण्य भारती के लिए बीएचयू में पीठ होना बेहद सराहनीय है। काशी और रामेश्वरम के संबंध काफी पुराने हैं। इन रिश्तों को बखूबी निभाया जा रहा है। आज तमिलनाडु की संस्कृति, परंपरा और विरासत उत्तर प्रदेश में दिख रही है।
लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट बाबतपुर में प्रधानमंत्री का स्वागत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या, महापौर मृदुला जायसवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भुपेंद्र चौधरी, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, सांसद सुब्रत पाठक व बीपी सरोज, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के विपिन सिंह आदि मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु से आए छात्रों के ग्रुप से मुलाकात की। पूछा, रास्ते में किसी प्रकार की समस्या तो नहीं हुई। आप लोग यहां आए हैं। काशी को अच्छे से घूमिए, देखिए और अच्छे से अध्ययन कर आगे बढि़ए। इस दौरान प्रधानमंत्री ने छात्रों के दो और छात्राओं के एक ग्रुप बनाकर फोटो खिंचवाई।
तमिलनाडु से आए 216 छात्रों के समूह ने काशी आगमन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल का स्वागत किया। कहा कि उनके सपने को उन्होंने साकार किया।
प्रधानमंत्री ने निश्चित रूप से अनोखा प्रयोग किया है। इसे जानने के बाद से ही उत्साहित था। आज जब इसका उद्घाटन हुआ तो उसे देखकर इसकी सार्थकता समझ में आई। -हरिहरा अलगप्पन, केरल
हम भाग्यशाली हैं कि हमारा चयन हुआ। इसके लिए चेन्नई विश्वविद्यालय ने हमारा चयन किया। साथ ही 48 घंटे की रेल यात्रा और काशी में स्वागत अविश्वमरणीय है। -संध्या, तंजावुर विश्वविद्यालय
चयन के बाद से ही उत्साहित था। काशी आने का सपना था। इसे प्रधानमंत्री मोदी ने पूरा कर दिया। यह उत्तर और दक्षिण के बीच के पूर्वाग्रह को दूर करेगा। – उत्कर्ष श्रीवास्तव, बीटेक छात्र
इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार। इस तरह के आयोजन ज्ञानवर्धन व देश की एकता-अखंडता की दिशा में बहुत ही दूरगामी परिणाम लाएंगे। -अरविंद, इंजीनियरिंग छात्र व आंशिक शिक्षक, चेन्नई
संगमम् प्रधानमंत्री की उत्कृष्ट सोच का उदाहरण है। हम रामेश्ववरम की धरती से यहां काशी विश्वनाथ की धरती पर आए। पूरा आयोजन बहुत अच्छा लगा। -शेदुरामन (मेडिकल छात्र-एमबीबीएस), तंजावुर, तमिलनाडु
काशी आकर बहुत ही खुश हूं। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात हुई और साथ ही इलैयाराजा को सामने सुनने का मौका मिला। शब्दों में इसे नहीं कहा जा सकता। वणक्कम काशी। -जगरनाथन, छात्र, तंजावुर विश्वविद्यालय।
काशी तमिल संगमम् में आए छात्र अपनी यात्रा के दिन रविवार को पूरे दिन काशी में घूमेंगे। सभी ई-बस से सुबह छह बजे हनुमानघाट स्थित सुब्रह्मण्य भारती के आवास, शंकराचार्य मंदिर जाएंगे। इसके बाद 10 बजे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन, रामनगर किला और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के आवास जाएंगे। दोपहर के भोजन के बाद वे ढाई बजे सारनाथ, पांच बजे रविदास घाट से नाव से गंगा आरती देखने जाएंगे। इस दौरान एम्फीथिएटर में प्रदर्शनी चलती रहेगी।
एम्फी थिएटर में लगी दक्षिण भारत के मंदिरों की फोटो गैलरी और सेल्फी हाल में युवाओं की भारी भीड़ रही। मंदिर जहां तमिलनाडु की धरोहर की कहानी कह रहे थे वहीं सेल्फी हाल में बैजंतीमाला, हेमा मालिनी, तमिलनाडु के महापुरुषों की चमकती फोटो आकर्षण का केंद्र रही। कुछ लोग तमिल साहित्य के प्रति आकर्षित थे।
काशी तमिल संगमम् में तमिलनाडु के छात्रों व प्रतिनिधियों ने हनुमान घाट पर मां गंगा की आरती उतारी। भारत की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा। साथ ही काशी तमिल सांझा संस्कृति की प्रगाढ़ता के लिए मां गंगा का पूजन कर आरती उतार अभिभूत हो गए। इस दौरान छात्रों ने काशी की संस्कृति और जायकों का भी आनंद लिया। गलियों में घूमे और गंगा के तट पर सुखद अनुभूति को महसूस किया।
काशी तमिल संगमम् में आये तमिलनाडु के प्रतिनिधियो ने रविवार को ‘नमामि गंगे ‘टीम के साथ हनुमान घाट पहुंचे। आरोग्य भारत की कामना से द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं गंगाष्टकम का सामूहिक रूप से पाठ किया गया। राष्ट्रध्वज हाथों में लेकर सभी ने गंगा स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं। सर्वत्र राम हैं, सर्वत्र महादेव हैं। कहा कि काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत साझी है।
छात्र अपनी यात्रा के दूसरे दिन रविवार को पूरे दिन व्यस्त रहेंगे और काशी में घूमेंगे। हनुमान घाट के बाद सभी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन करने पहूंचे। कुछ गंगा के रास्ते कुछ बस से। वहाँ बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। धाम में घूमे औऱ अन्न क्षेत्र में प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद रामनगर किला और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के आवास जाएंगे। दोपहर के भोजन के बाद वे ढाई बजे सारनाथ, पांच बजे रविदास घाट से नाव से गंगा आरती देखने जाएंगे। इस दौरान एंफीथिएटर में प्रदर्शनी की भी आम लोगों के लिए खुल गई।
काशी-तमिल संगमम्’ की तैयारियों का जायजा लेने यहां आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान शुक्रवार को महाकवि सुब्रमण्य भारती के हनुमान घाट स्थित घर पहुंचे। वहां वह उनके स्वजनों से मिलकर अभिभूत हो उठे। बोले, महाकवि का घर ज्ञान का केंद्र व पावन तीर्थ है। यहां आकर और स्वजनों से मिलकर धन्य हो गया। उन्होंने कहा कि यह देखकर और भी प्रसन्नता हो रही है कि आज भी उनके भांजे 96 वर्षीय केवी कृष्णन के बच्चे और पौत्र महाकवि की विरासत को न सिर्फ संरक्षित किए हैं, बल्कि और आगे बढ़ा रहे हैं। परिवार से मिलने के बाद प्रधान ने कहा कि महाकवि सुब्रमण्य भारती अब तक के सबसे महान तमिल साहित्यकारों में से एक हैं। सामाजिक न्याय और महिला सशक्तीकरण पर उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उनका जीवन, विचार और लेखन हमारी आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। इसके पूर्व शिक्षा मंत्री ने हनुमान घाट पर पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन द्वारा स्थापित सुब्रमण्य भारती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें हाथ जोड़कर नमन किया।
काशी में ही हुआ महाकवि का अध्यात्म व राष्ट्रवाद से परिचय
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि काशी में ही सुब्रमण्य भारती का परिचय अध्यात्म और राष्ट्रवाद से हुआ। काशी ने उनके व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव छोड़ा। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शुक्रवार को तमिल मूल के महान राष्ट्रवादी कवि भारती के आवास पहुंचे। वहां पर स्मरण करते हुए कुछ क्षण के लिए भावुक हो गए। परिवार से सहमति लेकर उनके घर के एक हिस्से को संग्रहालय बनाने की बात कही। इसके लिए जिला प्रशासन को सम्पर्क कर योजना बनाने के लिए कहा। प्रधान ने कहा कि पीएम मोदी जो कल्पना अब कर रहे हैं उसका सूत्रपात भारतीजी एवं मालवीयजी ने मिलकर सौ वर्ष पूर्व ही कर दिया था। काशी में होने जा रहा समागम तब की संस्कृति का ही हिस्सा है। इन्हीं सपनों को प्रधानमंत्री मोदी साकार करने को प्रतिबद्ध हैं। वह सुब्रहमण्य भारती के उस आंगन में पहुंचे जहां बैठ कर भारती वंदेमातरम् गीत गाते हुए इस गीत को ही अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया। इस दौरान परिवार को दिसंबर में समापन समारोह में मंच पर आमंत्रित किया।
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