गंगा-यमुना के संगम जितना ही पवित्र है काशी और तमिलनाडु का संगम : मोदी
Sunday, February 5, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

गंगा-यमुना के संगम जितना ही पवित्र है काशी और तमिलनाडु का संगम : मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने महीनेभर चलने वाले काशी तमिल संगमम का किया उद्घाटन, तमिल ग्रंथ तिरुक्कुरल की अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवादित पुस्तकों का किया विमोचन

WEB DESK by WEB DESK
Nov 19, 2022, 07:32 pm IST
in भारत
तमिल ग्रंथ तिरक्कुरल की अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवादित पुस्तकों का विमोचन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

तमिल ग्रंथ तिरक्कुरल की अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवादित पुस्तकों का विमोचन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail
https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-257805.mp3?cb=1668866574.mp3

वाराणसी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को काशी तमिल संगमम का विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने तमिल भाषा में रचित ग्रंथ तिरुक्कुरल का कई अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवादित पुस्तकों का विमोचन और तमिलनाडु से काशी आये छात्र-छात्राओं से संवाद किया। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के विभिन्न धर्मस्थलों व मठों के आधिनम (धर्मगुरुओं) को सम्मानित किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद रहे।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने हर हर महादेव, वणक्कम काशी, वणक्कम तमिलनाडु कहकर सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में संगमों की बड़ी महिमा है। नदियों-धाराओं के संगम से लेकर विचारों और विचाधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाज एवं संस्कृतियों के हर संगम को हमने सेलिब्रेट किया है। ये सेलीब्रेशन वास्तव में भारत की विविधताओं और विशेषताओं का सेलीबेशन है। आज हमारे सामने एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हुए हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है तो दूसरी ओर भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा यमुना की तरह ही पवित्र है। ये गंगा यमुना जैसी अनंत संभावनाओं और सामर्थ्य को अपने में समेटे हुए है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां ऋषियों ने कहा है एकोहं बहुस्याम, यानी एक ही चेतना अलग-अलग रूपों में प्रकट होती है। काशी और तमिलनाडु की फिलॉसफी को हम इसी रूप में देख सकते हैं। काशी और तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के केंद्र हैं। दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं। काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में रामेश्वर का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय और शक्तिमय हैं। एक स्वयं में काशी है तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। काशी और कांची दोनों का सप्तपुरियों में महत्वपूर्ण स्थान है। दोनों संगीत, साहित्य और कला का अद्भुत स्रोत हैं। काशी का तबला है और तमिलनाडु का तन्नुमाई। काशी में बनारसी साड़ी है तो तमिलनाडु का कांजीवरम सिल्क पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। दोनों भारतीय अध्यात्म के सबसे महान आचार्यों की जन्मभूमि और कर्मभूमि है। काशी भक्त तुलसी की धरती है तो तमिलनाडु संत तिरुवल्लुवर की भक्तिभूमि है। जीवन के हर क्षेत्र में काशी और तमिलनाडु की एक ऊर्जा के दर्शन होते हैं। आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र होता है। तमिल युवाओं की नई यात्रा से काशी यात्रा को जोड़ा जाता है। ये तमिल दिलों में काशी के लिए अविनाशी प्रेम ना अतीत में कभी मिटा ना भविष्य में कभी मिटेगा। यही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परंपरा है, जिसे हमारे पूर्वजों ने जिया था। आज ये काशी तमिल संगमम फिर से उस गौरव को आगे बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के निर्माण और विकास में तमिलनाडु ने अभूतपूर्व विकास दिया। तमिलनाडु के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को आज भी काशी याद करती है। ये बीएचयू के पूर्व कुलपति रहे हैं। महान वैदिक विद्वान राजेश्वर शास्त्री जी ने यहां रामघाट पर सांगवेद विद्यालय की स्थापना की। पट्टाभिराम शास्त्री जी हनुमान घाट पर रहे। उन्हें भी काशी में हमेशा याद किया जाता है। आप काशी भ्रमण करेंगे तो देखेंगे कि हरिश्चंद्र घाट पर तमिल शैली का काशी कामकोटी पंचायतन मंदिर बना है। केदारघाट पर 200 साल पुराना कुमारस्वामी मठ और मार्कण्डेय आश्रम है। हनुमानघाट और केदारघाट में बड़ी संख्या में तमिलनाडु के लोग रहते हैं, जिन्होंने पीढ़ियों से काशी में अपना योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की एक और महान विभूति महान कवि सुब्रमण्यम भारती लंबे समय तक काशी में रहे। यहीं मिशन कॉलेज और जयनारायण कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई की। अपनी प्रसिद्ध मूछें भी उन्होंने यहीं रखी थीं। महापुरुषों ने काशी और तमिलनाडु को एक सूत्र में बांधकर रखा है। काशी तमिल संगमम का ये आयोजन तब हो रहा है जब भारत ने अपनी आजादी के अमृत काल में प्रवेश किया है। भारत वो राष्ट्र है जिसने हजारों वर्ष से एक दूसरे के मनोभाव को जानकर, सम्मान करते हुए स्वाभाविक सांस्कृतिक एकता को जिया है। हमारे देश में सुबह उठकर 12 ज्योर्तिलिंगों को याद करने की परंपरा है। हम स्नान करते समय भी गंगा यमुना से लेकर गोदावरी और कावेरी तक की नदियों में स्नान करने की भावना प्रकट करते हैं।

काशी तमिल संगमम राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और विरासत को मजबूत करना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किये गये। काशी तमिल संगमम आज इस संकल्प के लिए एक प्लेटफार्म बनेगा। हमें राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा। विष्णुपुराण का एक श्लोक हमें बताता है कि भारत का स्वरूप क्या है। भारत वो है जो हिमलाय से लेकर हिन्द महासागर तक सभी विविधताओं को समेटे हुए है और उसकी हर संतान भारतीय है। तमिल संगम साहित्य में गंगा का बखान किया गया है। तिरुक्कुरल में काशी की महिमा गाई गयी है। ये भौतिक दूरियां और ये भाषा भेद को तोड़ने वाला अपनत्व ही था जो स्वामी कुमरगुरुपर तमिलनाडु से काशी आए और इसे अपनी कर्मभूमि बनाया। स्वामी कुमरगुरुपर ने यहां केदारघाट पर केदारेश्वर मंदिर का निर्माण कराया। बाद में उनके शिष्यों ने तंजावुर जिले में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया।

दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना भारत को नहीं जान सकते

प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में जन्मे रामानुजाचार्य ने काशी से कश्मीर तक की यात्रा की थी। आज भी उनके ज्ञान को आधार माना जाता है। मेरे शिक्षक ने मुझसे कहा था कि तुमने रामायण महाभारत पढ़ी होगी, लेकिन अगर इसे गहराई से समझना है तो राजाजी ने जो महाभारत लिखी है उसे जरूर पढ़ना। रामानुजाचार्य, शंकराचार्य, राजाजी और सर्वपल्ली राधाकृष्णन तक दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते।

तमिल विरासत को बचाना 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपनी विरासत पर गर्व का पंच प्राण सामने रखा है। दुनिया में किसी भी देश के पास कोई प्राचीन विरासत होती है तो वो उसपर गर्व करता है। उसे गर्व से दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है। मिस्र के पिरामिड से लेकर इटली के कॉलेजियम जैसे कितने ही उदाहरण हमारे सामने हैं। हमारे पास भी दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है। आज तक ये भाषा उतनी ही पॉपुलर और लाइव है। दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा भारत में है ये बात जब दुनियावालों को पता चलती है तो उन्हें आश्चर्य होता है, मगर हम उसके गौरवगान में पीछे रहते हैं। ये हम 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना है। उसे समृद्ध करना है। तमिल को भुलाएंगे तो देश का नुकसान होगा। तमिल को बंधनों में बांध कर रखेंगे तो भी देश का नुकसान होगा। हमें भाषा भेद को दूर करें भावनात्मक एकता कायम करना है।

मेरी काशी आपके सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ेगी

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी तमिल संगमम शब्दों से ज्यादा अनुभव का विषय है। तमिलनाडु से आये हुए सभी अतिथियों की काशी यात्रा उनकी मेमोरी से जुड़ने वाली है। ये आपके जीवन की पूंजी बन जाएगी। मेरी काशी आपके सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। मैं चाहता हूं कि तमिलनाडु और दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी ऐसे आयोजन हों और देश के दूसरे राज्य के लोग वहां जाएं। ये बीज राष्ट्रीय एकता का वटवृक्ष बने। राष्ट्रहित ही हमारा हित है।

Topics: tamil sangamamपीएम मोदीगंगाPM Modiयमुनाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीसंगमPrime Minister Narendra Modiतमिल ग्रंथतमिलनाडुतिरुक्कुरलकाशीSangamKashiTamil NaduyamunaTamil textsGangaTirukkuralतमिल संगमम
ShareTweetSendShareSend
Previous News

ये है रानी झांसी की कहानी, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ीं और बुंदेले हरबोलों के मुंह से हम सबने सुनी

Next News

श्रद्धा मर्डर केस : दिल्ली पुलिस को आफताब से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज मिला, बैग ले जाते दिख रहा दरिंदा

संबंधित समाचार

नौवहन से खुलेंगे विकास के नवद्वार

नौवहन से खुलेंगे विकास के नवद्वार

हमारी ज्ञान परंपरा और वैज्ञानिक मानस

हमारी ज्ञान परंपरा और वैज्ञानिक मानस

समाज के हर वर्ग और देश को राह दिखाने वाला है बजट : शिवराज सिंह

समाज के हर वर्ग और देश को राह दिखाने वाला है बजट : शिवराज सिंह

केंद्रीय बजट 2023 : अमृत काल का पहला ऐतिहासिक बजट विकसित भारत के निर्माण के लिए मजबूत नींव तैयार करेगा – प्रधानमंत्री

केंद्रीय बजट 2023 : अमृत काल का पहला ऐतिहासिक बजट विकसित भारत के निर्माण के लिए मजबूत नींव तैयार करेगा – प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति का संबोधन संविधान और संसदीय परंपरा का गौरव : प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति का संबोधन संविधान और संसदीय परंपरा का गौरव : प्रधानमंत्री

मन की बात : भारतीय इतिहास का काला अध्याय आपातकाल, छीन लिया था जीवन का अधिकार – प्रधानमंत्री

मन की बात : पद्म पुरस्कार विजेताओं के प्रेरक जीवन विस्तार से जानें और साझा करें – प्रधानमंत्री

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता, जनता ही देश की मालिक, खत्म किए जाएंगे अंग्रेजों के समय के कानून : किरेन रिजिजू

कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता, जनता ही देश की मालिक, खत्म किए जाएंगे अंग्रेजों के समय के कानून : किरेन रिजिजू

उत्तराखंड  : कौन हैं ये लोग जो देहरादून में आकर योजनाबद्ध तरीके से नदी किनारे बसते जा रहे हैं ?

उत्तराखंड : कौन हैं ये लोग जो देहरादून में आकर योजनाबद्ध तरीके से नदी किनारे बसते जा रहे हैं ?

संत रविदास जयंती पर विशेष : प्रभु जी! तुम मोती, हम धागा…

संत रविदास जयंती पर विशेष : प्रभु जी! तुम मोती, हम धागा…

2023 में भी विश्‍व के नंबर 1 नेता हैं प्रधानमंत्री मोदी

2023 में भी विश्‍व के नंबर 1 नेता हैं प्रधानमंत्री मोदी

पितृपक्ष मेला में गया से चीनी जासूस गिरफ्तार, पूछताछ में जुटी पुलिस

उत्तराखंड : डॉक्टरों की फर्जी डिग्रियां बनाता था इमलाख, एसटीएफ ने अजमेर से पकड़ा

बजट 2023 : रेल सुविधाओं के लिए उत्तराखंड को 5004 करोड़ की सौगात, विश्व स्तरीय बनेंगे हरिद्वार-देहरादून स्टेशन

बजट 2023 : रेल सुविधाओं के लिए उत्तराखंड को 5004 करोड़ की सौगात, विश्व स्तरीय बनेंगे हरिद्वार-देहरादून स्टेशन

रेल मंत्री का बड़ा ऐलान वंदे भारत ट्रेन के बाद अब वंदे मेट्रो की होगी शुरुआत, जानिए इसकी रफ्तार ?

रेल मंत्री का बड़ा ऐलान वंदे भारत ट्रेन के बाद अब वंदे मेट्रो की होगी शुरुआत, जानिए इसकी रफ्तार ?

‘सख्त निर्णय लेने पर हमें मजबूर न करें’ कॉलेजियम मामले में केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

‘सख्त निर्णय लेने पर हमें मजबूर न करें’ कॉलेजियम मामले में केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

‘अहमदिया महिलाओं पर हमले करो, उनके बच्चे मत पैदा होने दो’, यह सोच डराए हुए है पाकिस्तान के अहमदियाओं को

‘अहमदिया महिलाओं पर हमले करो, उनके बच्चे मत पैदा होने दो’, यह सोच डराए हुए है पाकिस्तान के अहमदियाओं को

समाज सुधार तथा समरसता के संवाहक संत रैदास

समाज सुधार तथा समरसता के संवाहक संत रैदास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • लव जिहाद
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies