संत ईश्वर फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में संत स्वामी अवधेशानंद गिरि जी, एवं मीनाक्षी लेखी की उपस्थिति में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन हुआ।
फाउंडेशन की महासचिव वृंदा खन्ना ने संत ईश्वर सम्मान का परिचय देते हुए बताया कि संत ईश्वर फाउंडेशन की स्थापना 9 वर्ष पूर्व हुई थी और 7 वर्ष पूर्व पहली बार संत ईश्वर सम्मान देना प्रारंभ किया गया। यह सम्मान व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में मुख्यतः चार क्षेत्र- जनजातीय , ग्रामीण विकास, महिला-बाल विकास एंव विशेष योगदान (कला, साहित्य, पर्यावरण,स्वास्थ्य और शिक्षा) में तीन श्रेणियों 1 विशेष सेवा सम्मान, 4 विशिष्ट सेवा सम्मान एवं 12 सेवा सम्मान में दिया जाता है। जो क्रमशः आर्ट ऑफ़ लिविंग बेंगलुरु के भानुमति नरसिम्हन को संत ईश्वर विशेष सेवा सम्मान मिला, वहीं जनजातीय क्षेत्र में मिजोरम से पुईथीयाम रोरेलियना (विशिष्ट सेवा सम्मान), कर्नाटक से कौशल्या रविंद्र हेगड़े, सिक्किम से सोनम डुंडेन लेपचा, मध्य प्रदेश से मेवालाल पाटीदार को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।
भानुमती नरसिम्हन, आर्ट ऑफ लिविंग जिन्होंने बेंगलुरु, कर्नाटक में 30 बच्चों के साथ संस्था की शुरुआत की और महिला शिक्षा, कैदी पुनर्वास, गरीबी उन्मूलन, महिला स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्रों में कार्य करते हुए 8000 से अधिक महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं देशभर में 170000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, उन्हें इस वर्ष संत ईश्वर विशेष सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।
ग्रामीण क्षेत्र में गुजरात के राम कुमार सिंह (विशिष्ट सेवा सम्मान ), कच्छ के नीलकंठ गो विज्ञान केंद्र, तेलंगाना के पल्ले सृजन एवं उत्तर प्रदेश से खुशहाली फाउंडेशन को संत ईश्वर सेवा सम्मान दिया गया।
नीलकंठ गो विज्ञान केंद्र गुजरात के कच्छ क्षेत्र में गोपालन और गोसंवर्धन का प्रेरक है। मेघजी भाई हिरानी ने गोबर आधारित 80 से ज्यादा उत्पाद में 25000 से ज्यादा गोबर के गणपति और केवल इस वर्ष 10 लाख गोबर के दिए बनवाए। इससे गांव में रहने वाले निवासियों को आर्थिक लाभ भी हुआ और देसी गाय को पालना भी और अधिक शुरू हुआ।
खुशहाली संस्था विशेषकर वंचित समाज के बच्चों की शिक्षा और शारीरिक पुष्टता के लिए कार्य करने के साथ पर्यावरण जागरूकता और स्वावलंबन के लिए भी कार्य कर रही हैं। खुशहाली संस्था ने बरेली, पीलीभीत, कासगंज, मथुरा, अमेठी, प्रयागराज, बनारस, सोनभद्र और देहरादून तक ऐसे 2 लाख परिवारों को 11 लाख से अधिक फलदार पेड़ दिए।
महिला एवं बाल विकास क्षेत्र से गुजरात के श्री गुरूजी ज्ञान मंदिर को (विशिष्ट सेवा सम्मान ) , जम्मू से मुक्ति संस्था, महाराष्ट्र से सावित्री बाई फुले महिला एकात्म मंडल, बिहार से वंदे मातरम युवा मिशन को सम्मानित किया गया ।
वंदे मातरम युवा मिशन बिहार के गया में शिक्षा का अलख जगाने का कार्य कर रहा है। 1500 से अधिक झुग्गी झोपड़ियों के वंचित बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हुए संस्था आज 100 शिक्षकों और कार्यकर्ताओं की सहायता से 15 से अधिक सांध्यकालीन पाठशाला संचालित कर रही है जहां लाभार्थियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
विशेष योगदान क्षेत्र में पंजाब के उमेन्द्र दत्त को (विशिष्ट सेवा सम्मान ), राजस्थान से डॉ तपेश माथुर, उत्तराखंड से सच्चिदानंद भारती, अरुणाचल प्रदेश से बानबंद लोसु एवं राजस्थान से मेजर सुरेंद्र नारायण माथुर को वर्ष 2022 के संत ईश्वर सम्मान से सम्मानित किया गया। इस प्रकार से इस वर्ष देश भर से समाज के कल्याण में लगे 18 व्यक्तियों एवं संस्थाओं को सम्मानित किया गया।
संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना ने मंचस्थ स्वामी अवधेशानंद जी महाराज और अन्य विभूतियों के साथ सेवा परमो धर्म पुस्तक का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि इस वर्ष संत ईश्वर सम्मान देने का शतक (100) पूरा हो रहा है और यह पुस्तक उन सभी सौ सेवा साधकों का परिचय देते हुए समाज को सेवा करने की प्रेरणा सदैव देती रहेगी, ऐसा विश्वास है।
स्वामी जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने आशीर्वाद देते हुए संत ईश्वर सम्मान को शतक पूरा करने की बधाई दी और कहा कि संत ईश्वर सम्मान आने वाले समय में भी सेवा करने वालों का ऐसे ही सम्मान करता रहेगा।
अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि सेवा से अहमन्यता का नाश होता है और पवित्र अंतःकरण की निर्मिति होती है। अतः सेवा साधन नहीं अपितु समस्त आध्यात्मिक साधनों की फलश्रुति है। सेवा परमात्मा को रिझाने का अचूक साधन है, जो सेवा और पारमार्थिक कार्यों में संलग्न हैं, वही परमात्मा के प्रिय हैं। इस दृष्टि से देश के सुदूर और दुर्गमक्षेत्रों में कार्यरत ये सेवाव्रती परमात्मा के प्रतिनिधि ही है। वेदान्त में परमात्मा की तीन सत्ताएँ हैं। वृक्ष, धरती, अम्बर, अग्नि, जल, पवन प्रकाशादि के रूप में परमात्मा स्वयं भी सेवा और पारमार्थिक कार्यों में संलग्न है। जब व्यक्ति में पारमार्थिक प्रवृत्तियाँ जाग जाती हैं तो वह व्यक्ति नही, संस्था और संस्था से ऊपर उठकर सिद्धान्त बन जाता है। जैसे ही आप सेवा के लिए प्रस्तुत होते हैं तो आप अनन्त हो जाते हैं।
इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा देश के कोने कोने से आए सेवाभावी महापुरुषों को यह सम्मान देकर मै खुद को धन्य महसूस कर रही हूँ। उन्होंने भी संत ईश्वर सम्मान के शतक पूर्ण होने पर फाउंडेशन को शुभकामनाएं दी और सेवा परमो धर्म पुस्तक के बारे में बोलते हुए कहा कि इस पुस्तक से सभी को सेवा करने की प्रेरणा मिलेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री गुणवन्त कोठरी, पद्मश्री जवाहर लाल कौल, सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व-मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री प्रमोद कोहली, महामण्डलेश्वर स्वामी अपूर्वानन्द गिरि जी, सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
टिप्पणियाँ