गिलगित में वही कुछ देखने में आ रहा जो अफगानिस्तान में अब आएदिन की बात हो चली है। वहां लड़कियों की शिक्षा के विरोधी कठमुल्ला और कट्टरपंथी गुट लड़कियों कीे स्कूलों को निशाना बना रहे हैं। गिलगित के दायमेर नामक स्थान पर तीन दिन हुए लड़कियों के एक स्कूल को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना पर पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कल दुख जताते हुए गिलगित सरकार से लड़कियों के स्कूलों की सुरक्षा करने की अपील की है।
पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक द डॉन की रिपोर्ट बताती है कि गिलगित बाल्टिस्तान के अधिकारियों ने इस निंदनीय हरकत पर ‘आतंकवादियों’ की भर्त्सना की है। उन्होंने कम से कम अभी तो यह कहा ही है कि वहां शिक्षा संस्थानों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी और इतना ही नहीं, उन्होंने स्कूल को फिर से बनाने का वादा किया है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग द्वारा इस बारे में एक वक्तव्य जारी करके कहा गया है कि एचआरसीपी ने गिलगित बाल्टिस्तान सरकार से यह पक्का करने की अपील की है कि बच्चों के शिक्षा के अधिकार की हर हाल में रक्षा की जाए। यह काम किन्हीं चरमपंथी तत्वों द्वारा किया गया है, यह मानते हुए आयोग ने संघीय और गिलगित बाल्टिस्तान सरकारों से शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने की अपील के साथ ही उसने सुरक्षा प्रदान करने की भी अपील की है।
आयोग का कहना है कि शिक्षा से जुड़े हर स्थान को सुरक्षा प्रदान की जाए, ऐसा चाहे कुछ वक्त के लिए ही किया जाए, लेकिन स्कूल परिसरों को सुरक्षित किया जाना चाहिए। एचआरसीपी ने अपने वक्तव्य में आगे कहा है कि न केवल लड़कियों की शिक्षा बल्कि महिलाओं को खुलकर बोलने देने का भी हक दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके विरोधी चरमपंथी तत्वों पर लगाम कसने के लिए जो जरूरी हो, वह उपाय किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि दायमेर का लड़कियों का स्कूल सात हजार की आबादी वाले इस सैमीगल पेन क्षेत्र में बस यही एक है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि इस स्कूल में करीब 70 लड़कियां शिक्षा ले रही थीं। हालांकि अभी तक किसी भी गुट ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन माना जा रहा है कि यह हरकत महिला अधिकारों और शिक्षा के विरोधी मजहबी कट्टरपंथियों के गुट ने की है।
गिलगित में सक्रिय कट्टर इस्लामवादी गिलगित-बाल्टिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई लिखाई के कट्टर विरोध में रहे हैं। ठीक वैसे जैसे अफगानिस्तान में कठमुल्ले तालिबान लड़ाके। इस क्षेत्र के अधिकांश भागों में लड़कियों की शिक्षा, खासकर दायमेर मुस्लिम चरमपंथियों के दबदबे का इलाका माना जाता है। लड़कियों के स्कूल को जलाने की गत मंगलवार अपने में पहली घटना नहीं है। 2018 में भी एक ही रात में इलाके में 12 स्कूलों को फूंक दिया गया था। साल 2005 में तो ऐसी अनेक घटनाएं हुई थीं।
स्कूल को जलाने की इस घटना के विरोध में द दायमेर यूथ मूवमेंट ने सिद्दीकी अकबर चौक, चिलास में एक विरोध रैली का आयोजन किया। इसमें शामिल लोगों ने स्कूल जलाने की इस ‘शरियाई’ हरकत की कड़ी निंदा कीं। रैली में स्थानीय सरकार के विरुद्ध नारे लगाए गए। रैली में नेताओं ने लोगों से कहा कि वे आतंकवादियों और इस्लामवादियों से कोई संबंध न रखें। उन्होंने कहा कि लगता नहीं कि सरकार आतंकवादियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई करेगी।
टिप्पणियाँ