गत दिनों सीकर (राजस्थान) में साहित्य संगम का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री नरेंद्र ठाकुर ने किया। उन्होंने कहा कि समाज में विमर्श स्थापित करने के लिए ऐसे आयोजन आवश्यक हैं।
साहित्य अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान को दिशा देता है, साहित्य समाज का दर्पण है। वर्तमान समाज का चिंतन साहित्य में प्रदर्शित होता है और जो साहित्य में प्रदर्शित होता है, वह समाज में दिखता है। समाज में जाति आधारित भेद तथा समरस समाज की कल्पना का आधार भी साहित्य से बनता है।
उन्होंने कहा कि युवाओं में संस्कार निर्माण हेतु साहित्यकारों को प्रयास करना चाहिए, जिससे उत्तम साहित्य युवाओं तक पहुंच सके। इस अवसर पर उन्होंने ‘भीम-मीम गठजोड़ : कथ्य एवं तथ्य’ पुस्तक का विमोचन भी किया। पुस्तक के लेखक हैं सुनील खटीक। संगम के दूसरे सत्र में ‘समरस समाज : प्रयास एवं परिणाम’ विषय पर चर्चा हुई। इसके मुख्य वक्ता थे हनुमान सिंह राठौड़।
उन्होंने कहा कि समरस समाज हेतु समाज में जागृति आवश्यक है, जिससे आवश्यक परिणाम आ सकें। समाज ने इस पर विचार करना प्रारंभ किया है एवं परिवर्तन भी होने लगा है।
तीसरे सत्र में मुकेश माथुर ने मीडिया में नवाचार विषय पर अपने विचार रखे। चौथे सत्र का विषय था-सकारात्मक सोशल मीडिया वर्तमान संदर्भ में। इस पर श्री नरेंद्र ठाकुर ने युवाओं को प्रेरित करने वाला उद्बोधन दिया।
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