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होम भारत बिहार

आठ दलों की दलदल के बावजूद खिला ‘कमल’

संजीव कुमार by संजीव कुमार
Nov 7, 2022, 01:42 pm IST
in बिहार
पटना में जीत की खुशी मनाते भाजपा कार्यकर्ता  

पटना में जीत की खुशी मनाते भाजपा कार्यकर्ता  

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https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-256268.mp3?cb=1667808778.mp3

बिहार के मोकामा और गोपालगंज में हुए उपचुनाव में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन से नीतीश कुमार और लालू यादव की उड़ी नींद। लोगों ने एक तरह से जदयू और राजद के गठबंधन को नकारा है।  

 

बिहार विधानसभा के उपचुनाव में अंततः कमल ही खिला। भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध 8 दल मिलकर चुनाव लड़ रहे थे, फिर भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहा।   मोकामा सीट पर बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने भाजपा प्रत्याशी सोनम देवी को 16,741 मतों से हराया, वहीं गोपालगंज सीट पर भाजपा प्रत्याशी कुसुम देवी ने राजद प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता को 1,794 मतों से मात दी।
प्रत्यक्ष तौर पर देखने से यही प्रतीत होता है कि 2 सीट के लिए हुए उपचुनाव में महागठबंधन और राजग को 1 -1 सीट मिली, लेकिन चुनाव परिणाम और मतों का विश्लेषण बताता है कि भाजपा ने अपनी बढ़त बनाई है।

मोकामा में महागठबंधन को 42,000 मत कम मिले

मोकामा विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर भले ही राजद उत्साहित हो,लेकिन मत प्रतिशत और भाजपा का उभार सत्तारूढ़ दल की नींद उड़ा रहा है। 2020 में राजद प्रत्याशी बाहुबली अनंत सिंह ने जदयू प्रत्याशी राजीव लोचन को 35,757 मतों से हराया था। दोनों को मिलकर 1,21,685 मत मिले थे। इस बार राजद और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा, फिर भी महागठबंधन को सिर्फ 79,646 मत मिले। जीत का अंतर 16,741 का ही रहा। यहां ध्यान देने की बात है कि भाजपा 27 वर्ष बाद मोकामा से चुनाव लड़ रही थी। राजद प्रत्याशी के साथ कई समीकरण काम कर रहे थे। एक तो अनंत सिंह की गिरफ्तारी को लेकर स्वजातीय गोलबंदी की जा रही थी ताकि सहानुभूति की लहर पैदा की जा सके। दूसरे मतदाताओं में भय भी था, क्योंकि धुर विरोधी अनंत सिंह और विवेका पहलवान एक खेमे में थे। इसके अलावा बाहुबली दुलारचंद यादव भी अनंत सिंह की पत्नी के पक्ष में प्रचार कर रहे थे। अगर 2000 को अपवाद मानें तो 1990 से इस विधानसभा पर अनंत सिंह के परिवार का कब्जा है। 1990 और 1995 में अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह चुनाव जीते थे। 2005 से अनंत सिंह यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं।

सभी वर्गों का समर्थन मिला भाजपा को 

अनंत सिंह के स्वजातीय मतदाता भी इस बार उनके खेमे से खिसक गए। जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के चुनाव प्रचार से अनंत सिंह की पत्नी को चुनाव में घाटा हो रहा था। कई स्थान पर उनका जमकर विरोध हुआ। ललन सिंह ने सिर्फ प्रतीकात्मक चुनाव प्रचार किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रचार से दूरी बना ली थी। भाजपा ने न सिर्फ अनंत सिंह के स्वजातीय मतदाताओं को अपने पक्ष में किया, बल्कि राजद और जद (यू) के पारंपरिक मतदाताओं में भी सेंध लगाई। पूर्व विधान सभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के गांव और ससुराल दोनों स्थान से भाजपा प्रत्याशी ने बढ़त बनाई।

लालू प्रसाद के गृह जिला में खिला कमल

गोपालगंज राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का गृह जिला है। लिहाजा यह उपमुख्यमंत्री और राजद के कार्यकारी अध्यक्ष तेजस्वी यादव का भी घर है। यहीं  लालू प्रसाद का ससुराल भी है। पत्नी राबड़ी देवी भी मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। इस बार के चुनाव में परिवार ने एड़ी चोटी एक कर दिया था ताकि इस सीट पर राजद का कब्जा हो जाए, लेकिन राजद की मंशा पूरी नहीं हो सकी। लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने इस हार का ठीकरा अपने मामा साधु यादव पर फोड़ा है। उन्होंने ट्वीट किया कि कंश मामा का अंत निकट है।

वैसे 2020 और 2022 के चुनाव में मिले मतों का विश्लेषण कुछ और इशारा करता है। 2020 के चुनाव में साधु यादव ने बसपा से चुनाव लड़  था। महागठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी आसिफ गफूर थे। दोनों को मिलाकर 77,499 मत मिले थे। इस बार भी साधु यादव बसपा से चुनाव लड़े, लेकिन महागठबंधन से राजद प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता थे। इस बार साधु यादव और राजद प्रत्याशी के मिले वोट का योगफल 77,113 है। यानी राजद के पारंपरिक मतदाता यहां भी कम हुए।
इस चुनाव परिणाम ने साफ़ कर दिया है कि बिहार के लोगों ने जदयू और राजद के एक साथ आने को सही नहीं माना है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में नीतीश कुमार और लालू यादव को भाजपा की ओर से तगड़ी चुनौती मिलने वाली है।

Topics: राजदबिहार उप चुनावबिहारभाजपा
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