इस्राएल में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच गत दिनों चुनाव हुए और कयासों के अनुसार ही बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर से प्रधानमंत्री बने हैं। उल्लेखनीय है कि गत तीन वर्ष में वहां पांचवीं बार वोट डाले गए हैं। नेतन्याहू के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अपने मित्र’ को जिस अंदाज में बधाई दी है उसकी सब आरे चर्चा हो रही है।
राजनीतिक और सामरिक रूप से सदा झंझावातों में घिरे रहने वाले शक्तिशाली देश इस्राएल की बागडोर फिर से बेंजामिन नेतन्याहू के हाथों में आई है। यह तय हो चुका है कि अब वहां उनकी सरकार होगी, जो धुर ‘दक्षिणपंथी’ मानी जा रही है। कारण, नेतन्याहू के नेतृत्व के दक्षिणपंथी दलों के गठबंधन ने चुनाव में जीतकर संसद में बहुमत हासिल किया है। नेतन्याहू की अगुआई वाले गठबंधन ने 120-सदस्यों वाली संसद में 64 सीटें जीती हैं। इसकी घोषणा होते ही निवर्तमान प्रधानमंत्री याइर लापिड ने चुनाव में हार स्वीकार की और बेंजामिन नेतन्याहू को फोन करके जीत की बधाई दी। चुनाव में उनकी जीत के बाद देश में जश्न का माहौल बन गया।
इस्राएल के अगले प्रधानमंत्री नेतन्याहू होंगे, यह तय होने के बाद उन्हें बधाई मिलने का तांता लग गया। लेकिन सबसे खास अंदाज में बधाई दी प्रधानमंत्री मोदी ने। मोदी ने कल ही बधाई देते हुए कहा कि वह भारत-इस्राएल रणनीतिक साझेदारी को और ज्यादा गहराने के लिए साझे प्रयासों को जारी रखने के लिए तत्पर हैं।
मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “चुनाव में जीत पर मेरे प्रिय मित्र नेतन्याहू को बधाई। मैं भारत-इस्राएल रणनीतिक साझेदारी को और अधिक बढ़ाने के लिए हमारे साझा प्रयासों को आगे जारी रखने के लिए उत्सुक हूं”। नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामना के लिए उन्हें फौरन धन्यवाद भी दिया।
उधर, इस्राएल में चुनाव में हारने के बाद लापिड ने नेतन्याहू को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के सभी विभागों को सत्ता के हस्तांतरण की पूरी तैयारी करने के आदेश जारी किए हैं। लापिड ने ट्वीट किया,”इस्राएल की संकल्पना किसी भी राजनीतिक विचार से ऊपर है। मैं नेतन्याहू को इस्राएल और यहां के नागरिकों की ओर से शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं।”
उल्लेखनीय है कि एक लंबे समय से इस्राएल राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। गत तीन साल में पांच बार मतदान होना साबित करता है कि वहां हर पार्टी अपने खोए आधार को तलाशने में जुटी है। फिलिस्तीन एक बड़ा मुद्दा बना ही हुआ है। अधिकांशत: कई छोटे-छोटे दल मिलकर सरकार बनाते आ रहे हैं। परन्तु मतभेद इतने हैं कि कुछ दिन में ही सरकारें गिरती रही हैं। अब नागरिकों को आशा तो है कि नेतन्याहू सरकार कुछ स्थायित्व लाएगी और अपना कार्यकाल सफलता से पूरा करेगी।
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