भारत ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत तथा कार्य एजेंसी के खाते में फिलिस्तीनियों की मदद के लिए राहत राशि की दूसरी किस्त के तौर पर 20 करोड़ रु. सौंपे। संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी इससे फिलिस्तीनी शरणार्थियों की मदद और पुनर्वास में खर्च करने वाली है। इस बात की जानकारी कल शाम रामल्लाह में भारतीय प्रतिनिधि के कार्यालय ने एक बयान जारी करके दी। बयान में बताया गया है कि यह पैसा शिक्षा, स्वास्थ्य, राहत तथा सामाजिक सेवाओं के साथ ही एजेंसी के अन्य कार्यक्रमों तथा सेवाओं में उपयोग किया जाएगा।
भारत सरकार ने पहले भी लगभग इतनी ही राशि फिलिस्तीन के शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत तथा कार्य एजेंसी को सौंपी थी। इस वित्तीय साल में भारत की ओर से इस मद में कुल 5 करोड़ रु. देने का वादा किया गया था। फिलिस्तीन के रामल्लाह शहर में भारतीय प्रतिनिधि के कार्यालय में यूएनआरडब्ल्यूए के विदेश संबंध विभाग की एसोसिएट डोनर रिलेशंस एंड प्रोजेक्ट्स अधिकारी ज़ुरान वू को यह वित्तीय योगदान सौंपा गया। इससे पहले, यूएनआरडब्ल्यूए ने जानकारी दी थी कि लेबनान में फ़िलिस्तीनी शरणार्थी जर्जर हालत में हैं, जिनके पास खुद को संभाले रखने लायक न पैसे हैं, न रहने की कोई जगह।
लेबनान में इन फिलिस्तीनी शरणार्थियों को गरीबी, बेरोजगारी और निराशा का सामना करना पड़ रहा है। इससे लेबनानी लोगों सहित सीरियाई शरणार्थी भी बुरी तरह प्रभावित हैं। भारत की तरफ से 2018 से अब तक यूएनआरडब्ल्यूए को 22.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए गए हैं। यह संयुक्त राष्ट्र की वह एजेंसी है जो फिलिस्तीनी शरणार्थियों को मदद प्रदान करती है और उनकी स्थितियां सुधारने का प्रयास करती है।
उल्लेखनीय है कि 23 जून,2020 को एक मंत्रिस्तरीय वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किया गया था। उस सम्मेलन में भारत के विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने अपने वक्तव्य में कहा था कि भारत अगले दो साल के अंदर यूएनआरडब्ल्यूए में 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा।
यूएनआरडब्ल्यूए को पंजीकृत फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बढ़ती संख्या और उनकी गरीबी के कारण सेवाओं की बढ़ती मांग जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह एजेंसी 1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित की गई थी, जो आज यूएनआरडब्लूए के साथ पंजीकृत कुल दुनियाभर में 5.6 मिलियन शरणार्थियों को राहत और सुरक्षा प्रदान करती है।
संयुक्त राष्ट्र की यह एजेंसी यरुशलम तथा गाजा पट्टी सहित जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, वेस्ट बैंक जैसी जगहों में फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए भोजन, आवास और सेहत की बुनियादी सुविधाओं की चिंता करती है। एक आंकड़े के अनुसार, कुल फिलिस्तीनी शरणार्थियों में से 93 प्रतिशत बेहद गरीबी की हालत में रहने को मजबूर हैं।
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