महसा अमिनी की पुलिस की कथित यातना से हुई मौत का सच उजागर करने वाली नीलोफर हमीदी और इलाहे मोहम्मदी को ईरान सरकार ने आखिरकार सीआईए का एजेंट घोषित कर दिया। इन्हीं दोनों की रिपोर्ट के बाद पूरे देश में हिजाब और महसा की मौत के विरुद्ध जनाक्रोश उबल पड़ा था।
सरकारी एजेंसियों के अनुसार, यह नीलोफर ही थी जिसने महसा अमिनी के परिवार के साथ जबरदस्ती करके उसे महसा की मौत के बारे में अहम जानकारी देने को मजबूर किया था। हालांकि बताते हैं, नीलोफर हमीदी और मोहम्मदी ने सबसे पहले सीधे उस अस्पताल से रिपोर्ट भेजी थी जहां कथित पुलिस यातना से कोमा में गई अमिनी का इलाज चल रहा था।
ईरान में गत 16 सितम्बर को 22 साल की महसा की मौत के बाद से पूरे देश में एक जबरदस्त आंदोलन उठ खड़ा हुआ है जो अभी तक थमा नहीं है। चारों तरफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। आंदोलन की तपिश सिर्फ ईरान तक ही सीमित न रहकर दुनिया के अनेक देशों तक जा पहुंची है। महसा अमिनी के साथ न्याय करने करने की मांग उठ रही है। लोग ईरान के कड़े इस्लामिक ड्रेस कोड पर लानतें भेज रहे हैं।
नीलोफर की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ईरान की महिलाओं और पुरुषों में जबरदस्त आक्रोश उपजा था। बस तभी से आम नागरिक सड़कों पर उतरने लगे थे। इन प्रदर्शनों में अब तक बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है। लेकिन ईरान ने उन दोनों महिला पत्रकारों को सीआईए की एजेंट बता दिया है जिन्होंने इस खबर को सबसे पहले रिपोर्ट किया था।
उल्लेखनीय है कि सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी अर्थात सीआईए अमेरिका की एक गुप्तचर संस्था है, जो दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों और बड़े अफसरों की गुप्त सूचनाएं जुटाती है। ईरान के गुप्तचर मंत्रालय तथा इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के गुप्तचर संगठन ने दो दिन पहले बताया कि दोनों महिला पत्रकार फिलहाल देश की एविन जेल में कैद हैं। इन दोनों पर यही आरोप लगाया गया है कि इन्होंने महसा की मौत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सीआईए के पास भेजी हैं।
ईरान की सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि ईरान में जो विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, वे को पहले से रचे गए थे। ये प्रदर्शन एक सुनियोजित ऑपरेशन का हिस्सा हैं। इतना ही नहीं, एजेंसियों ने दोनों महिला पत्रकारों पर यह आरोप भी लगाया कि ये विदेशी मीडिया के लिए जासूसी कर रही थीं।
टिप्पणियाँ