रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण यूरोप की हालत खराब होती जा रही है। कई यूरोपीय देश नाटो के सदस्य हैं और यूक्रेन को रूस के खिलाफ लड़ने के लिए हथियार सप्लाई करते हैं। इस युद्ध का असर ये हो रहा है कि यूरोपियन लोगों की जीवनशैली पर बुरा असर पड़ रहा है। मुश्किल के इस वक्त से ब्रिटेन को बाहर निकालने के लिए लिज ट्रस ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनीं, हालाँकि मात्र 44 दिनों में ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। अब कंजर्वेटिव पार्टी के सहयोग से भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं।
जब से ब्रिटेन में ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री चुना गया है, तब से भारत में कथित सेकुलर और विपक्ष मुखर हो गए हैं। कांग्रेस इसमें काफी आगे है। उसके नेता कह रहे हैं भारत को ब्रिटेन से सीखना चाहिए कि कैसे एक अल्पसंख्यक को देश का सर्वोच्च पद कैसे दिया जाता है। इन नेताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वो जो बोल रहे हैं उसका कोई तर्क भी है या ऐसे ही बेतुका है।
भारत पर करीब 200 साल तक राज करने वाले ब्रिटेन की सर्वोच्च सत्ता पर एक भारतवंशी को चुना गया है। एक अल्पसंख्यक हिंदू को प्रधानमंत्री चुना गया। कांग्रेस इसे भारतीयों की जीत करार दे सकती थी, लेकिन हो इसका उल्टा रहा है। यहां तो कांग्रेस के नेता ‘अल्पसंख्यकों का सम्मान कैसे हो’ ये कहकर भारत को ही नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
सांसद शशि थरूर ने इस मामले को लेकर ट्वीट कर कहा, “सबसे शक्तिशाली कार्यालय में ‘विजिबल माइनॉरिटी’ का सदस्य बनाकर ब्रिटेन ने विश्व का सबसे अधिक दुर्लभ काम किया है। जिस तरह से हम भारतीय ऋषि सुनक की सफलता पर जश्न मना रहे हैं, आइए ईमानदारी से पूछें, क्या यह यहाँ हो सकता है?”
यहीं नहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी ट्वीट कर इस मामले में कहा कि पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक, यूएस और यूके के लोगों ने अपने देशों के अल्पसंख्यकों को गले लगा लिया है उन्हें सरकार में ऊँचे पद भी दिए। भारत में बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों को सीखना चाहिए। गमले में गोभी उगाकर करोड़ों का टर्नओवर करने वाले चिदंबरम अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी को टार्गेट करने की कोशिश कर रहे थे।
जैसा कि पहले से ही अपेक्षित था जम्मू कश्मीर की सीएम रहीं महबूबा मुफ्ती ने सुनक के बहाने भारत सरकार को टार्गेट करने की कोशिश की और कहा कि ब्रिटेन ने एक जातीय अल्पसंख्यक को अपने पीएम के तौर पर स्वीकार कर लिया है। जबकि हम सीएए और एनआरसी जैसे विभाजनकारी कानूनों का पालन करने में व्यस्त हैं। वह इस सवाल का जवाब नहीं देतीं कि क्या जम्मू-कश्मीर में वे अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री का समर्थन करेंगी। बीएसपी के नेता कुँवर दानिश अली दावा करते हैं कि ये सभी को मानना पड़ेगा कि एक अल्पसंख्यक को देश का सबसे अधिक शक्तिशाली पद देकर सबसे अनोखा काम किया है।
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि एक दिन भारत की पीएम हिजाब वाली लड़की बनेगी। हिजाब का समर्थन करने वाले ओवैसी से जब सोशल मीडिया पर यह पूछा गया कि क्या वे अपनी पार्टी का प्रमुख हिजाब वाली लड़की को बनाएंगे तो इस पर भी वे खामोश रहे।
यहाँ उल्लेखनीय है कि इसी साल अगस्त में जब ऋषि सुनक को पीएम कैंडिडेट बनाया गया था तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ गौ पूजा की थी, जिसकी भारत में कड़ी आलोचना लेफ्ट-लिबरल वामपंथियों और कांग्रेसियों ने की थी। सुनक को विपक्ष बहुत अधिक हिंदूवादी बता रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वो अपने हिंदू होने पर शर्म नहीं गर्व महसूस करते हैं और खुले मंच पर इसका प्रदर्शन भी करते हैं। पीएम चुने जाने के बाद अपने हाथों में कलावा पहनकर उन्होंने शपथ ग्रहण किया। यही कारण है कि भारत के लेफ्ट-लिबरल्स को काफी कष्ट दे रहा है।
विपक्ष की तथ्यहीन बातें
अल्पसंख्यक समुदाय की बातें कर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता भले ही भारत को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के चक्कर में वे इस तथ्य को भूल गए कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह अल्पसंख्यक हैं। वह दो बार देश के पीएम रहे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक मुस्लिम थे, लेकिन वो देश के राष्ट्रपति भी रहे। यहीं नहीं वनवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू इस वक्त देश की राष्ट्रपति हैं।
अल्पसंख्यकों के नाम पर देश को नीचा दिखाने की कोशिशों से पहले विपक्ष को कम से कम रिसर्च तो कर ही लेना चाहिए था।
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