भारत की ऐतिहासिक महत्व की अनेक प्रतिमाएं आखिरकार अमेरिका से भारत पहुंची हैं। ये ऐतिहासिक चीजें चोरी अथवा तस्करी के माध्यम से अमेरिका ले जाई गई थीं। लेकिन अब अनेक जगहों से इन्हें एकत्रित करके भारत वापस भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि ये वस्तुएं अफगानिस्तान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाइलैंड तथा अन्य कुछ देशों से तस्करी के रास्ते अंतत: अमेरिका ले जाई गई थीं।
भारत से चोरी की गईं ये प्राचीन धरोहरें अब वापस लौटने पर देश के इतिहास और संस्कृति के प्रति आसक्ति रखने वाले लोगों को एक सुखद अनुभूति हो रही है। इन ऐतिहासिक वस्तुओं को 15 साल तक चली लंबी जांच के बाद अंतत: लौटाया गया है। ये वही वस्तुएं हैं जो चारों व तस्करों ने अलग—अलग समय पर भारत से चुराई थीं और अनेक देशों के रास्ते अमेरिका ले जाई गई थीं। इन सब ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं की कुल कीमत लगभग 40 लाख डालर बताई गई है। 307 प्राचीन वस्तुओं में से 235 तो कलाकृतियों के विक्रेता सुभाष कपूर से जब्त की हैं। इन्हें मैनहटन जिला अटार्नी के कार्यालय ने कपूर से लिया था।
मैनहटन जिला अटार्नी कार्यालय द्वारा इस संबंध में बयान जारी करके बताया गया है कि न्यूयार्क में भारत के वाणिज्य दूतावास में एक समारोह संपन्न हुआ। इसमें उन प्राचीन वस्तुओं को जब्त करने संबंधी कार्रवाई हुई। इस मौके पर भारत के महावाणिज्यदूत रणधीर जायसवाल तथा अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी इंवेस्टिगेशन के कार्यवाहक उन विशेष प्रभारी एजेंट क्रिस्टोफर लाउ उपस्थित थे।
भारत को लौटाई गईं इन चीजों में 12-13वीं शताब्दी की संगमरमर का ‘आर्क परिकारा’। इसकी कीमत करीब 85 हजार डालर आंकी गई है। इसे भी कलाकृत्तियों के विक्रेता सुभाष कपूर से जब्त किया गया था। इन चीजों में से कुछ विक्रेता नैन्सी वीनर से ली गई हैं। इनमें कई ऐतिहासिक प्रतिमाएं हैं, जैसे विष्णु, लक्ष्मी और गरुड़। एक प्रतिमा 11वीं सदी के आसपास की है।
उल्लेखनीय है कि अटार्नी कार्यालय ने 2012 में ही सुभाष कपूर को गिरफ्तार करने का वारंट जारी किया था। नवंबर 2019 में कपूर और उनके सात अन्य साथियों को चोरी की गईं प्राचीन वस्तुओं की तस्करी के षड्यंत्र के अपराध में आरोपित किया गया था।
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