सातवीं कक्षा के छात्रों से पूछा गया कि चीन में रहने वालों को ‘चीनी’ कहा जाता है, तो नेपाल, इंग्लैंड, कश्मीर में रहने वालों को क्या कहा जाता है! यानी प्रश्नपत्र तैयार करने वाले ने कश्मीर को अलग ‘देश’ माना। भाजपा का कहना है कि यह सब राज्य सरकार में घुसपैठ कर चुके जिहादी तत्वों का काम है।
बिहार सरकार से भाजपा के बाहर होते ही वह सब होने लगा है, जिसके लिए राजद और जदयू बदनाम हैं। बता दें कि इस समय बिहार में राजद और जदयू की सरकार है। ये दोनों दल मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसका एक उदाहरण मुस्लिम—बहुल जिले किशनगंज में मिला है। किशनगंज जिले में सातवीं कक्षा के लिए हो रही अर्धवार्षिक परीक्षा में छात्रों से एक सवाल पूछा गया कि चीन में रहने वालों को ‘चीनी’ कहा जाता है, तो नेपाल, इंग्लैंड, हिंदुस्तान और कश्मीर में रहने वाले लोगों को क्या कहा जाता है? यानी जिसने भी इस प्रश्न को तैयार किया है, उसके दिमाग में यह बात है कि कश्मीर एक अलग ‘देश’ है। बिहार में ऐसा दूसरी बार हुआ है कि परीक्षा में कश्मीर को अलग ‘देश’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इससे पहले 2017 में बिहार शिक्षा बोर्ड द्वारा सरकारी विद्यालयों के लिए निर्धारित अर्धवार्षिक परीक्षा में ही सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों से ठीक यही सवाल पूछा गया था। उस समय वैशाली के एक छात्र द्वारा ध्यान दिलाए जाने पर सबका ध्यान इस ओर आया था। सरकार द्वारा इसे प्रिंटिंग की गलती बताई गई थी, लेकिन यह गलती तभी होती है जब बिहार में महागठबंधन की सरकार होती है। और शायद इसलिए ऐसे तत्वों के विरुद्ध कोई कार्रवाई भी नहीं होती है।
बता दें कि 2017 में भी बिहार में राजद और जदयू की सरकार थी। शिक्षाविद् डॉ. हरेराम मिश्र कहते हैं, ”बिहार में अब वही होता है, जो जिहादी तत्व चाहते हैं और इन तत्वों को राजद और जदयू का पूरा समर्थन मिलता रहा है। यही कारण है कि ये तत्व प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी पीएफआई के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं।” उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले पटना के पास फुलवारीशरीफ में पीएफआई के ठिकाने पर छापा मारा गया था, जिसमें पता चला था कि यह संगठन 2047 तक भारत को इस्लामी देश बनाना चाहता है। इसलिए अनेक लोग कह रहे हैं कि किशनगंज में जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे वे लोग हैं, जो अभी भी पीएफआई के लिए काम कर रहे हैं।
बिहार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने इसे सोची—समझी साजिश बताया है। उन्होंने कहा है कि जदयू में बैठे सरकारी पदाधिकारी और राजद के वोट बैंक में पैठ बनाए पीएफआई समर्थकों के नापाक गठजोड़ का ही नतीजा है कि बिहार में सीमावर्ती जिलों के सरकारी विद्यालयों में रविवार के बदले शुक्रवार को छुट्टी होती है और कश्मीर को एक अलग ‘देश’ बताया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सरकार में घुसपैठ कर चुके जिहादी तत्व सपना देख रहे हैं कि वे राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों के जरिए ही बिहार के पूर्वी हिस्से को 2047 तक एक इस्लामिक देश में बदल दें। बिहार सरकार के पीएफआई समर्थक पदाधिकारी उसी दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रबड़ स्टैंप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इतनी हैसियत नहीं की वे पीएफआई समर्थक सरकारी पदाधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई कर सकें। आखिर वे उन्हीं की बदौलत मुख्यमंत्री बने हैं।
पटना के सामाजिक कार्यकर्ता गणेश साह कहते हैं कि भले ही केंद्र सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन बिहार में सरकारी शह पर पीएफआई के लोग अपना काम कर रहे हैं। यह आने वाले समय में बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए खतरा बन सकता है। इस खतरे के देखते हुए ही किशनगंज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को एक ज्ञापन सौपा।
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