भारत के छोटे से पड़ोसी इस्लामी देश से दुर्गा पूजा के अवसर पर नहीं तो विसर्जन के ठीक बाद एक आहत करने वाला समाचार आया है। वहां एक काली मंदिर पर अपनी मजहबी नफरत निकालने के बाद, उन्मादियों ने देवी की प्रतिमा को तोड़ डाला और परिसर में जबरदस्त तोड़फोड़ की है।
बांग्लादेश में यह काली मंदिर अत्यंत प्राचीन माना जाता है। इसी मंदिर को कल निशाना बनाया गया है। हालांकि बाद में पुलिस ने इस उकसावे वाली कार्रवाई के पीछे जिम्मेदार अपराधियों की खोज का एक बड़ा अभियान तो छेड़ा है लेकिन अभी तक कोई पकड़ा नहीं जा सका है। यह मंदिर झीनईदाह जिले के अंतर्गत दौतिया नामक गांव का बताया जाता है।
घटनाक्रम के अनुसार, मंदिर पर चढ़ आए मजहबी उन्मादियों ने इस अति प्राचीन काली मंदिर में
शुक्रवार को जमकर तोड़फोड़ की है। हमले में मंदिर के अंदर स्थापित देवी प्रतिमा को नुकसान पहुंचा है। अंग्रेजों के जमाने से इस मंदिर में देवी की पूजा-अर्चना होती आ रही है। हमले की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को खंडित प्रतिमा के टुकड़े मिले और प्रतिमा का ऊपरी हिस्सा मंदिर से आधा किलोमीटर दूर सड़क पर पड़ा मिला।
इस घटना से स्थानीय हिन्दू समुदाय में जबरदस्त आक्रोश है। मंदिर समिति के प्रमुख सुकुमार कुंडा व अन्य अधिकारियों ने प्रशासन से गुहार की है कि घटना के पीछे जिम्मेदार लोगों को तुरंत पकड़ा जाए।
बांग्लादेश के एक समाचार पोर्टल ने सुकुमार कुंडा से बातचीत के बाद बताया है कि यह काली मंदिर अंग्रेजों के जमाने से ही स्थानीय हिंदुओं की आस्था का केन्द्र रहा है। बांग्लादेश में दुर्गा पूजा खत्म हुए अभी 24 घंटे नहीं बीते थे कि इस घटना ने श्रद्धालुओं को आक्रोश से भर दिया है।
पूजा उत्सव संस्था के एक अधिकारी चंदनाथ पोद्दार का कहना है कि यह घटना 6 अक्तूबर की रात में हुई। ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पोद्दार इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताते हुए कहते हैं कि बांग्लादेश में दस दिवसीय नवरात्र उत्सव इस बार बिना व्यवधान के गुजर जाने पर मन में बड़ा संतोष था, लेकिन इस घटना से बहुत दुख हुआ है। स्थानीय सहायक पुलिस अधीक्षक अमित कुमार बर्मन का कहना है कि इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है, संदिग्धों की तलाश जारी है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दुर्गा पूजा में मजहबी उन्मादियों ने जबरदस्त व्यवधान डाला था, हिंसा में अनेक लोगों की जान गई थी, तोड़फोड़ हुई थी और स्थिति बहुत तनावपूर्ण बना दी गई थी। उसे देखते हुए तो इस साल उत्सव कमोबेश शांतिपूर्ण निपटा था।
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