नेशनल गेम्स 2022: कहावत है ना कि दुनिया में कोई काम असंभव नहीं है, बस हौसला और मेहनत की जरूरत होती है। इंसान का हौसला बड़ा हो तो परिस्थितियां उसे मजबूर नहीं मजबूत बना देंती है। इंसान अगर ठान ले तो वह क्या कुछ नहीं कर सकता है। इसका एक उदाहरण गुजरात के अहमदाबाद में हो रहे नेशनल गेम्स में देखने को मिला है, जहां एक मनरेगा मजदूर जिसका नाम राम बाबू है। उसने पुरुषों की 35 किमी पैदल चाल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीत है। राम बाबू ने दो घंटे 36 मिनट और 34 सेकेंड में यह खिताब अपने नाम किया है। राम बाबू का यह सफर इतना आसान नहीं था, उनका जीवन जहां संघर्षों से भरा हुआ रहा है, वहीं उनके जीवन की कहानी भी बेहद रोचक है।
राम बाबू उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने साल 2012 में ओलंपिक देखने के बाद दौड़ का अभ्यास करना शुरू किया था। लेकिन घर की परिस्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उन्हें काम करने के लिए वाराणसी जाना पड़ा। जहां उन्होंने वेटर का काम करना शुरू किया, वह जानते थे, उनके सपने उन्हें ही पूरे करने हैं, जिसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी, जो उन्होंने की, वह रोजाना अपनी नौकरी के साथ-साथ दौड़ा का अभ्यास भी करते थे। जिसके लिए वह सुबह जल्दी उठते और दौड़ का अभ्यास करने के बाद फिर से अपने काम के लिए निकल जाते थे।
साल 2018 में वह रेस वॉकिंग में चले गए, और अपनी मेहनत के दम पर धीरे-धीरे नेशनल स्तर तक पहुंच गए। लेकिन, कोरोना महामारी ने उनके सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया। लॉकडाउन में उनका परिवार आर्थिक रूप से परेशान था। जिसकी वजह से वह सरकार की मनरेगा योजना के तहत अपने पिता के साथ शारीरिक श्रम में शामिल हो गए थे। उस श्रम में उन्हें हर रोज 300 रुपए मजदूरी मिलती थी। मनरेगा का काम करते-करते वह अपनी ट्रेनिंग भी जारी रखे हुए थे।
इस जीत के साथ ही राम बाबू ने अपने सपने को लेकर कहा कि वह पेरिस में होने वाले ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। इसके अलावा उनका सपना यह भी है, कि वह सेना में शामिल होकर देश के लिए अपनी सेवा दें। जिसको लेकर वह सेना की तैयारी के लिए भी जुट गए हैं।
बहरहाल, राम बाबू की संघर्ष और उनकी इस जीत को हर भारतीय सलाम कर रहा है।
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