सरसंघचालक जी ने महर्षि अरविन्द के पांच सपनों का किया उल्लेख

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विजयदशमी पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में अपना उद्बोधन दिया। इस दौरान उन्होंने कहा- स्वाधीनता के ७५ वर्ष पूरे हो रहे हैं। हमारे राष्ट्रीय नवोत्थान के प्रारंभ काल में स्वामी विवेकानंद जी ने हमें भारत माता को ही आराध्य मानकर कर्मरत होने का आवाहन किया था। १५ अगस्त, १९४७ को पहले स्वतंत्रता दिवस तथा स्वयं के वर्धापन दिवस पर महर्षि अरविन्द ने भारतवासियों को संदेश दिया। उसमें उनके पांच सपनों का उल्लेख है।

भारत की स्वतंत्रता व एकात्मता, यह पहला था। संवैधानिक रीति से राज्यों का विलय होकर एकसंध भारत बनने पर वे प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। किन्तु विभाजन के कारण हिन्दू व मुसलमानों के बीच एकता के बजाय एक शाश्वत राजनीतिक खाई निर्माण हुई, जो भारत की एकात्मता, उन्नति व शांति के मार्ग में बाधक बन सकती है, इसकी उन्हें चिंता थी। जिस किसी प्रकार से जाए, विभाजन निरस्त होकर भारत अखंड बने यह उत्कट इच्छा वे जताते हैं। क्योंकि उनके अगले सभी स्वप्नों को – एशिया के देशों की मुक्ति, विश्व की एकता, भारत की आध्यात्मिकता का वैश्विक अभिमंत्रण तथा अतिमानस का जगत में अवतरण – साकार करने में भारत की ही प्रधानता होगी, यह वे जानते थे। इसलिए कर्तव्य का उनका दिया संदेश बहुत स्पष्ट है –

“राष्ट्र के इतिहास में ऐसा समय आता है जब नियति उसके सामने ऐसा एक ही कार्य, एक ही लक्ष्य रख देती है, जिस पर अन्य सबकुछ, चाहे वह कितना भी उन्नत या उदात्त क्यों न हो, न्यौछावर करना ही पड़ता है। हमारी मातृभूमि के लिए अब ऐसा समय आया है, जब उसकी सेवा के अतिरिक्त और कुछ भी प्रिय नहीं, जब अन्य सब उसी के लिए प्रयुक्त करना है। यदि आप पढ़ें तो उसी के लिए पढ़ो, शरीर, मन व आत्मा को उसकी सेवा के लिए ही प्रशिक्षित करो। अपनी जीविका इसलिए प्राप्त करो कि उसके लिए जीना है। सागर पार विदेशों में इसलिए जाओगे कि वहाँ से ज्ञान लेकर उससे उसकी सेवा कर सकें। उसके वैभव के लिए काम करो। वह आनंद में रहे इसलिए दुःख झेलो। इस एक परामर्श में सब कुछ आ गया।”

भारत के लोगों के लिए आज भी यही सार्थक संदेश है।

गांव गांव में सज्जन शक्ति। रोम रोम में भारत भक्ति।

यही विजय का महामंत्र है। दसों दिशा से करें प्रयाण।।

जय जय मेरे देश महान ।।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में आयोजित विजय दशमी कार्यक्रम में शक्ति की साधना का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने शस्त्र पूजा भी की. शस्त्र पूजा के बाद संघ प्रमुख ने अपना उद्बोधन दिया. इस दौरान कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि आदरणीया श्रीमती संतोष यादव जी, मंच पर उपस्थित विदर्भ प्रांत के मा. संघचालक, नागपुर महानगर के मा. संघचालक, नागपुर महानगर के मा. सह संघचालक, अन्य अधिकारी गण, नागरिक सज्जन, माता भगिनी, तथा आत्मीय स्वयंसेवक बंधु उपस्थित रहे।

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