विभाजन की विभीषिका : ‘सोना लेकर बख्शी जान’
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

विभाजन की विभीषिका : ‘सोना लेकर बख्शी जान’

भारत के बंटवारे के समय मेरी उम्र 13 साल थी। हम लोग अहसानपुर में रहते थे। वहां हमारे परिवार का सबसे ऊंचा मकान था। हमारे मकान से अहसानपुर रेलवे स्टेशन दिखाई देता था। हम लोग अपने मकान की छत से देखते थे कि जो भी हिंदू स्टेशन जा रहे थे उनको मुसलमान मारते थे। मुसलमानों ने स्टेशन मास्टर को हमारे सामने मारा, क्योंकि वे हिंदू थे

by अरुण कुमार सिंह and अश्वनी मिश्र
Oct 2, 2022, 04:59 pm IST
in भारत, विश्लेषण
सत्या अरोड़ा

सत्या अरोड़ा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

न भूलने वाला पल
स्टेशन पर हिंदुओं को काट-काट कर ट्रेन में डाल दिया जाता था और उसे भारत की ओर रवाना कर दिया जाता था।

सत्या अरोड़ा

अहसानपुर, मुजफ्फरगढ़, पाकिस्तान

 

भारत के बंटवारे के समय मेरी उम्र 13 साल थी। हम लोग अहसानपुर में रहते थे। वहां हमारे परिवार का सबसे ऊंचा मकान था। हमारे मकान से अहसानपुर रेलवे स्टेशन दिखाई देता था। हम लोग अपने मकान की छत से देखते थे कि जो भी हिंदू स्टेशन जा रहे थे उनको मुसलमान मारते थे। मुसलमानों ने स्टेशन मास्टर को हमारे सामने मारा, क्योंकि वे हिंदू थे। स्टेशन पर हिंदुओं को काट-काट कर ट्रेन में डाल दिया जाता था और भारत की ओर रवाना कर दिया जाता था। कई दिनों तक हम लोगों ने इस दृश्य को देखा।

उस समय पाकिस्तान का माहौल ऐसा था कि मुसलमान हिंदू लड़कियों को पकड़कर उनके बाल जड़ से उखाड़ देते थे। गर्भवती हिंदू महिलाओं के पेट पर मारा करते थे। ऐसी क्रूरता की जाती थी। उस समय हालात इतने खराब थे कि परिवार के परिवार बिखर गए थे। कोई कहीं, तो कोई कहीं। हिंदुओं ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई। मुझे याद है कि हम लोग मिर्च का पाउडर और गर्म पानी छत के ऊपर रखा करते थे। रात में लोग सोते तक नहीं थे। सभी हिंदू अपने-अपने घरों की छतों पर रहा करते थे।

मुसलमानों ने साफ कहा कि सभी हिंदू मार दिए जाएंगे। पिताजी ने कहा कि जान से मत मारो, जो लेना है ले लो। इस पर मुसलमानों ने कहा कि सभी हिंदू मिलकर 500 तोला सोना दें, तभी गांव से जाने दिया जाएगा। हिंदुओं ने ऐसा ही किया। तब उन्होंने कहा, ‘आज शाम तक सभी हिंदूूू मकान खाली कर चले जाएं।

जुम्मे के दिन तो कोई भी हिंदू घर से बाहर नहीं निकलता था। सभी लोग छत पर गर्म पानी और मिर्च का पाउडर लेकर बैठे रहते थे। होता यह था कि जुम्मे की नमाज के बाद कुछ कट्टरवादी मुस्लिम हिंदुओं के घरों पर हमला करते थे। उन दिनों मेरे पिताजी मिंटगुमरी में सरकारी शिक्षक थे। वे छुट्टियों में घर आते थे। जब उन्हें पता चला कि अहसानपुर में माहौल ज्यादा खराब हो गया है तो वे हम लोगों को बचाने के लिए घर आए। एक दिन अचानक ‘अल्लाह-हो-अकबर’ की आवाज आने लगी। यह आवाज बहुत देर तक गंूजती रही।

हम लोग घबरा गए। उस समय घर में मैं, मेरी एक और बड़ी बहन और भाई था। पिताजी ने हम दोनों बहनों को ऊपर वाले कमरे में बंद कर दिया और सीढ़ी को हटा कर कहीं छिपा दिया। (ऊपर वाले कमरे के लिए लकड़ी की सीढ़ी थी।) नीचे मेरे पिताजी और बड़े भाई परेशान हो रहे थे। मेरे पिताजी ने भाई से कहा कि तुम यहीं रहो, मैं जरा गांव वालों से मिलकर आता हूं कि अब करना क्या है? कुछ हिंदुओं के साथ वे गांव के मुसलमानों और थानेदार से भी मिले।

मुसलमानों ने साफ कहा कि सभी हिंदू मार दिए जाएंगे। पिताजी ने कहा कि जान से मत मारो, जो लेना है ले लो। इस पर मुसलमानों ने कहा कि सभी हिंदू मिलकर 500 तोला सोना दें, तभी गांव से जाने दिया जाएगा। हिंदुओं ने ऐसा ही किया। तब उन्होंने कहा, ‘आज शाम तक सभी हिंदूूू मकान खाली कर चले जाएं। अब एकाएक क्या करें?’ उस समय हमारे पास कोई सााधन भी नहीं था। फिर किसी तरह ऊंटों पर कुछ सामान रखकर रेलवे स्टेशन पहुंचे। ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि लोग एक-दूसरे पर लदे हुए थे। बहुत बुरा हाल था। हम सभी रो रहे थे।

एक जगह अचानक गाड़ी रुक गई और डिब्बे में मुसलमान घुस आए। वे कहने लगे कि साथ में जो भी सामान है, दे दो। हिंदुओं ने कहा कि ऐसा न करो, हम लोग भूखे मर जाएंगे। इस पर मुसलमानों ने कहा कि फिर गाड़ी आगे नहीं बढ़ेगी और तुम लोग मारे जाओगे। इसके बाद सभी हिंदुओं ने अपना सारा सामान उन्हें दे दिया। इस तरह हम लोग बिल्कुल खाली हाथ हो गए। हमारे पास केवल पहने हुए कपड़े थे।

भगवान का नाम लेते हुए हम लोग जालंधर पहुंचे। यहां एक शरणार्थी शिविर में 15 दिन रहे। इसके बाद अपने एक रिश्तेदार के पास मेरठ आ गए। वहीं हम भाई-बहनों की पढ़ाई हुई, फिर दिल्ली में मेरी सरकारी नौकरी लग गई। बाकी भाई-बहन मेरठ वाले भाई के पास ही रहे और पिताजी ने वानप्रस्थ ले लिया।
प्रस्तुति- अरुण कुमार सिंह एवं अश्वनी मिश्र

Topics: अल्लाह-हो-अकबरविभाजन की विभीषिकाहिंदुओं को काट-काट कर ट्रेन में डाल दियाहिंदू मिलकर 500 तोला सोना देंHindus should give 500 tola gold together
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

आज भी देश झेल रहा है विभाजन की विभीषिका का दंश, पंजाब और बंगाल को भुगतना पड़ा बहुत बड़ा खामियाजा

बंटवारे के दौरान मुसलमान हावी हो गए थे

चारों तरफ आग, धुआं और कटी लाशें थीं

एक राहत शिविर

आहत हिंदुओं का सहारा बने स्वयंसेवक

आजादी, आह और सबक

कार्यक्रम की तस्वीर

हल्द्वानी : अविभाजित भारत में जन्में बुजुर्गों को किया गया सम्मानित

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना ने अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

श्रीहरि सुकेश

कनाडा विमान हादसा: भारतीय छात्र पायलट की हवाई दुर्घटना में मौत

बुमराह और आर्चर

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज: लॉर्ड्स में चरम पर होगा रोमांच

मौलाना छांगुर ने कराया 1500 से अधिक हिंदू महिलाओं का कन्वर्जन, बढ़ा रहा था मुस्लिम आबादी

Uttarakhand weather

उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट: 10 से 14 जुलाई तक मूसलाधार वर्षा की चेतावनी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies