राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री केशवराव दत्तात्रेय दीक्षित नहीं रहे। उन्होंने 20 सितंबर को कोलकाता के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 98 वर्ष के थे। अधिक आयु होने के कारण वे कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त थे। लंबे समय से उनकी चिकित्सा चल रही थी। उनके निधन के साथ ही पश्चिम बंगाल में एक ऐतिहासिक युग का अंत हो गया। उन्होंने असंख्य कार्यकर्ताओं को गढ़ा और उन्हें संघ कार्य में लगाया।
केशवराव जी का जन्म 1 अगस्त, 1925 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पुलगांव में हुआ था। केशवराव जी अपने पिता दत्तात्रेय दीक्षित और माता सगुणा देवी की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और चार बहनें थीं। परिवार का परम्परागत कार्य पौरोहित्य था। लेकिन केशवराज जी के पिताजी अपने परिवार के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने कपास मिल में नौकरी की। 1939 के दिसंबर महीने में केशवराज जी का उपनयन संस्कार हुआ था। 1949 में उन्होंने जलगांव के एम.जे. कॉलेज से मराठी और संस्कृत में स्नातक की उपाधि ली थी। केशवराव जी 1931 में ही केवल छह वर्ष की आयु में शाखा जाने लगे थे। उन्होंने 1939 में संघ शिक्षा प्रथम वर्ष, 1940 में द्वितीय वर्ष और 1941 में तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लिया था।
इन प्रशिक्षण वर्गों ने युवा केशवराव के मन में देशभक्ति की ऐसी ज्वाला जगाई कि वे 1950 में प्रचारक बनकर देश की सेवा में लग गए। उन्हें संघ कार्य के लिए पश्चिम बंगाल भेजा गया। इसके बाद तो वे बंगाल में ऐसे रचे-बसे कि वहीं के हो गए। प्रचारक बनने के बाद वे कोलकाता के बड़ा बाजार स्थित संघ कार्यालय में आए।
उन्होंने 72 साल तक पश्चिम बंगाल में राष्ट्र निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाया। उन्होंने कोलकाता महानगर के प्रचारक के अलावा प्रांत संपर्क प्रमुख, प्रांत प्रचारक, क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख, क्षेत्र प्रचारक जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया। आज पश्चिम बंगाल में संघ कार्य का जो विस्तृत रूप दिख रहा है, उसके लिए केशवराज जी ने लगभग सात दशक तक तपस्वी जीवन जिया।
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