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होम भारत

नवरात्र : पूजा, प्रकृति और परंपरा

WEB DESK by WEB DESK
Sep 26, 2022, 01:10 pm IST
in भारत, संस्कृति
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This entry is part 1 of 2 in the series navratri
https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-251708.mp3?cb=1664178185.mp3

हमारी सनातन संस्कृति की विशिष्टता है कि हमारे यहां प्रकृति से जुड़े पर्व हैं तो जीव से जुड़े पर्व भी हैं। प्रकृति माया है तो जीव ब्रह्म। दोनों के समन्वय से सृष्टि का अस्तित्व है। प्रकृति के हर तत्व पूज्यनीय हैं चाहे वे व्यक्त हों या अव्यक्त। हर वनस्पति में ईश्वर का वास है। नवरात्र के नौ दिनों में Nine Different Forms of Maa Durga की आराधना होती है। मां के प्रत्येक स्वरूप का एक पौधे में वास माना गया है। वह पौधा मानव सभ्यता के विभिन्न विकारों, दुखों का शमन करने में सहायक है। इन पौधों में मां का वास माने जाने से इन पौधों को पवित्र माना गया है और उस पौधे के औषधीय गुण मां के स्वरूप के सादृश्य हैं। इसी प्रकार, मां के प्रत्येक स्वरूप को भिन्न पुष्प प्रिय हैं। मां के स्वरूप के प्रिय पुष्प अर्पित करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। इसका अर्थ हुआ कि नवरात्र में न केवल मां की आराधना होती है अपितु मां की आराधना के माध्यम से 18 प्रकार के औषधीय एवं पुष्पीय पौधों का संरक्षण भी किया जाता है जिससे मानव सभ्यता के स्वास्थ्य की आवश्यकताएं पूर्ण होती हैं


मां शैलपुत्री

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥

पुष्प – लाल गुड़हल
औषधि- हरड़- स्नायु तंत्र, पाचन तंत्र, मधुमेह, कोलेस्ट्राल, हृदय विकार, स्मरण शक्ति, एलर्जी, संक्रमण, दांत दर्द, मसूढ़ों में सूजन, कब्ज, अपच, बवासीर में लाभप्रद

मां ब्रह्मचारिणी

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

पुष्प – गुलदाउदी
मान्यता – यह पुष्प अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास
औषधि – ब्राह्मी- आयु और स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली, रुधिर विकार नाशक, स्वर को मधुर करने वाली, मन एवं मस्तिष्क को शक्ति, और गैस व मूत्र संबंधी रोगों में लाभप्रद

मां चंद्रघंटा

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैयुर्ता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

पुष्प – कमल या शंखपुष्पी – मान्यता – यह पुष्प अर्पित करने से जीवन में सफलता के रास्ते खुलते हैं
औषधि – चंदुसूर – यह मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्र्रिका औषधि है

मां कूष्मांडा

सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।

पुष्प – चमेली
मान्यता – यह पुष्प अर्पित करने से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है
औषधि – कुम्हड़ा – पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक

मां स्कंदमाता

सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।।

पुष्प – पीला गुलाब
मान्यता – पीले फूल अर्पित करने से सुख-संपन्नता का आशीर्वाद मिलता है
औषधि – अलसी – हृदय की तंदुरुस्ती, प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती, ब्लड प्रेशर में कमी, मधुमेह में फायदेमंद

मां कात्यायनी

चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।

पुष्प – पीला गेंदा
मान्यता – यह पुष्प अर्पित करने से मां का आशीर्वाद मिलता है
औषधि – मोइया – इसे आयुर्वेद में अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका के नाम से जाना जाता है। इसे माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है

मां कालरात्रि

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।

पुष्प – नीला कृष्णकमल
मान्यता – यह पुष्प अर्पिंत करने से देवी मां की कृपा प्राप्त होती है
औषधि – नागदौन – सभी प्रकार के रोगों की नाशक, सर्वत्र विजय दिलाने वाली, मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों की नाशक। यह सुख देने वाली एवं सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है

मां महागौरी
श्वेते वृषे समारूढ़ा,
श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात,
महादेवप्रमोददाद।।

पुष्प – मोगरा
मान्यता – यह पुष्प अर्पित करने से घर-परिवार पर मां की कृपा होती है
औषधि – तुलसी – तुलसी रक्त को साफ करती है एवं हृदय रोग का नाश करती है

मां सिद्धिदात्री

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

पुष्प – चम्पा
मान्यता – यह पुष्प अर्पित करने से मां अति प्रसन्न होती हैं
औषधि – शतावरी – शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोधनाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है

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Topics: पूजाहमारी सनातन संस्कृति की विशिष्टताप्रकृति और परंपरामां दुर्गा के नौ पृथक-पृथक स्वरूपों की आराधनाऔषधीय गुण मां के स्वरूपNine Different Forms of Maa Durga
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