मंगलवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी और सच, नदी के दो किनारे हैं, जो आपस में कभी नहीं मिलते, लेकिन नेता प्रतिपक्ष को सदन में सच बोलने की आदत डालनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 4 बार सपा की सरकार रही, लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की कोई कोशिश नहीं की गई। यहां तक कि गोरखपुर व आसपास के जिलों में इंसेफेलाइटिस से मासूम बच्चों की हर साल सैकड़ों मौतें होती रही लेकिन सपा की ओर से संवेदना का एक भी शब्द नहीं फूटा।
मानसून सत्र के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र पर अपना बयान दिया। जवाब में सीएम योगी ने सपा के 4 शासनकाल के दौर की कारगुजारियों की पोल खोल कर रख दी। तथ्यों और तर्कों के साथ सीएम ने कहा कि गोरखपुर एम्स के लिए जमीन देने में यही लोग रोड़ा अटकाते रहे। वर्ष 2017 में जब नई सरकार बनी तो हमने जमीन की रजिस्ट्री कराई। प्रदेश में सीएचसी और पीएचसी बंदी की कगार पर थे। जिला अस्पतालों की हालत दयनीय थी। इन्हीं बरसात के महीनों में गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस का कहर होता था। हर साल 1200 से 2000 तक मासूम बच्चों की मौत होती थी। यह बच्चे अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक वर्ग और पिछड़ा वर्ग परिवारों के थे, लेकिन सरकारों ने कोई इंतजाम नहीं किया। इंसेफेलाइटिस का टीका 1905 में ही जापान में आ गया था, लेकिन भारत तक पहुंचने में उसे 100 साल लग गए। आज सरकार पर सवाल उठाने से पहले इन्हें अपने कार्यकाल के बारे में सोचना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते साढ़े पांच साल में स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतरीन सुधार हुआ है। एनीमिया की रोकथाम की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज प्रदेश में राष्ट्रीय औसत से बेहतर हालात हैं। मातृ व शिशु मृत्यु दर में लगातार सुधार हो रहा है। आज हम विरासत की ऐसी ही विकृतियों को सुधार रहे हैं। यह डबल इंजन सरकार के प्रतिबद्धतापूर्ण प्रयासों का ही नतीजा है कि इस साल अब तक गोरखपुर में एईएस के 40 और जेई के मात्र 7 मामले आये हैं और एक भी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है। 108 एम्बुलेंस के रेस्पॉन्स टाइम को कम किया गया है। सरकार के लिए 25 करोड़ प्रदेशवासी परिवार का हिस्सा हैं। कोरोना आया तो नेता प्रतिपक्ष कहां था ? किसी का पता नहीं था। जनता की कोई सुध नहीं ली। प्रधानमंत्री जी की कोशिशों से 9 माह में ही देश को दो स्वदेशी वैक्सीन मिली, आज पूरा देश, पूरा उत्तर प्रदेश सुरक्षित है।
विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि जब इनको मौका मिला तो कुछ न कर सके, लेकिन आज जब प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं, गांवों में साप्ताहिक आरोग्य मेले लग रहे हैं, इंसेफेलाइटिस खत्म हो रहा है, तो नेता प्रतिपक्ष को खुश होना चाहिए। सहयोग भले न कर सकें लेकिन कम से कम गलत और भ्रामक बयान देकर प्रदेश की बेहतरी में अड़ंगा तो न लगाएं। अखिलेश यादव पूर्व में मुख्यमंत्री रहे हैं, आज मुख्य विपक्षी दल के नेता हैं, जनता को भ्रमित करना, गुमराह करना इन्हें शोभा नहीं देता। सदन में बोलने से पहले नेता प्रतिपक्ष को आंकड़ों का सत्यापन कर लेना चाहिए।
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